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"भ्रष्ट हजारे को लोकपाल समिति से हटाओ"

२१ अप्रैल २०११

भारत में इस वक्त अगर लोकपाल बिल को लेकर बहस हो रही है तो उसका काफी श्रेय सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को जाता है. लेकिन उन्हीं को मसौदा समिति से हटाने के लिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.

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epa02670916 Indian veteran social activist Anna Hazare (center in white dress) participates in a hunger strike in New Delhi, India on 05 March 2011. According to the media reports Hazare along with supporters protestors demanded for a stronger anti-graft Lokpal (Administrator) Bill through greater involvement of civil society in its formulation. The Jan Lokpal (Administrator) Bill calls for setting up ombudsmen - Lokpal and Lokayuktas (in states) - independent of the government's control in order to check corruption in public life. EPA/ANINDITO MUKHERJEE +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance/dpa

अन्ना हजारे के आमरण अनशन के आगे झुकते हुए सरकार ने हाल ही में एक समिति गठित की है जो लोकपाल बिल का मसौदा तैयार कर रही है. हजारे इस समिति के सदस्य हैं. लेकिन जनहित याचिका में कहा गया है कि अन्ना हजारे खुद भ्रष्टाचार के दोषी पाए जा चुके हैं, लिहाजा उन्हें इस समिति में नहीं होना चाहिए.

क्या है आरोप

नेशनल एंटी करप्शन पब्लिक पावर नाम की एक स्वयंसेवी संस्था ने यह याचिका दायर की है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीबी सावंत की अध्यक्षता में हुई एक जांच का हवाला दिया गया है. याचिका के मुताबिक इस जांच में अन्ना हजारे को उनके हिंद स्वराज ट्रस्ट से दो लाख रुपये के हेरफेर का जिम्मेदार पाया गया.

जनहित याचिका में कहा गया है कि पैसे के हेरफेर की यह घटना अन्ना हजारे के गांव में उनके जन्मदिन के उत्सव के मौके पर हुई. जस्टिस सावंत ने अपनी रिपोर्ट में नतीजा निकाला था कि "हिंद स्वराज ट्रस्ट में दो लाख रुपये का हेरफेर हुआ है जो भ्रष्टाचार के तहत आता है. अन्ना के गांव रालेगांव सिद्धि में उनके जन्मदिन के दौरान यह सब हुआ."

Indian activist Anna Hazare, 73, gestures during his hunger strike against corruption, besides a portrait of Mahatma Gandhi, in New Delhi, India, Friday, April 8, 2011. Hazare, harnessing the tactics of Gandhi, has galvanized public anger at rampant corruption with a high-profile hunger strike demanding the government adopt immediate reforms. (Foto:Saurabh Das/AP/dapd)
तस्वीर: dapd

कब का मामला

स्वयंसेवी संस्था के मुताबिक 2003 में जांच शुरू हुई और 2005 में जस्टिस सावंत ने अपनी रिपोर्ट जमा कराई. इसमें हजारे को साफ शब्दों में भ्रष्टाचार का दोषी माना गया.

याचिका में कहा गया है, "कमिशन की रिपोर्ट कहती है कि हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन ट्रस्ट के कुछ कर्मचारी इस ट्रस्ट को उगाही और ब्लैकमेलिंग जैसे असामाजिक कामों के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. वे लोग आरटीआई के जरिए जानकारी निकलवाने के नाम पर लोगों को ब्लैकमेल करते थे."

याचिका में दावा किया गया है कि अन्ना हजारे को एक मंत्री की मानहानि के मामले में एक दिन के लिए जेल भेजा जा चुका है. हालांकि इस मामले की पूरी जानकारी नहीं दी गई है.

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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