मिसाइल तकनीक में भारत हमसे पीछे: चीनी विशेषज्ञ
१४ फ़रवरी २०१०3,500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने सकने वाली अग्नि-3 मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद चीन में कुछ चिंताएं दिखाई पड़ी. इन्हीं चिंताओं को दूर करते हुए रविवार को चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में एक चीन रक्षा विशेषज्ञ के हवाले से समीक्षा छापी गई.
अख़बार ने चीन की प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एडमिरल ज़ांग ज़ाओज़ोंग के हवाले से कहा गया कि, ''हालांकि भारत यह दावा करता है कि यह मिसाइल एकदम तैयार है लेकिन यह अभी तक साफ़ नहीं है कि भारतीय सेना में अग्नि-3 की तैनाती कब से की जाएगी. लगता है कि अग्नि-5 बनाने के लिए उन्हें पांच साल का समय और लगेगा.''
भारत से ख़तरे और चुनौतियों को दरकिनार करते हुए ज़ांग ज़ाओज़ोंग ने लिखा है, ''चीन ने अपनी सैन्य तकनीक का विस्तार करते समय कभी भारत को रणनीतिक दुश्मन नहीं माना. हमारे हथियार भारत को ध्यान में रखकर नहीं बनाए गए हैं.''
भारत ने सात फरवरी को ही अग्नि-3 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. परीक्षण के बाद डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन के प्रमुख वीके सारस्वत ने कहा था, ''अग्नि-3 और अग्नि-5 के बाद पाकिस्तान और चीन में कोई ऐसी जगह नहीं होगी, जहां मार करना चाहें और न कर पाएं.'' सारस्वत के मुताबिक अग्नि-3 की सटीकता चीन की DF-21 मिसाइल से बेहतर है.
डीआरडीओ प्रमुख के इन दावों के जवाब में ज़ांग का कहना है कि भारत का मिसाइल तकनीक अब भी चीन से 10 से 15 साल पीछे है. लेकिन चीन को भारत की मिसाइल रक्षा प्रणाली को लेकर कुछ चिंताएं ज़रूर हैं. फ़िलहाल अमेरिका और रूस के पास ही मिसाइल इंटरसेप्टर टेक्नोलॉजी है. भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है. इस पर ज़ांग ने कहा, ''मिसाइल को ट्रेस करने की भारत की तकनीक अभी काफ़ी निचले दर्जे पर है. भारत अभी भी पूर्ण मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैयार नहीं कर पाया है.''
भारत और चीन दोनों जहां एक ओर अपनी सैन्य ताकत को बढ़ा रहे हैं वहीं दोनों देशों के नेता संबंधों के मधुर बनाने की बात करते हैं. अग्नि-3 के परीक्षण के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, ''भारत और चीन के रिश्ते दोस्ताना और सहयोगात्मक हैं. चीन भारत के लिए ख़तरा नहीं बनेगा और भारत चीन के लिए ख़तरा नहीं बनेगा.''
दोनों देशों की मिसाइल क्षमता आकंने का दावा करते हुए एडमिरल झांग झाओझोंग भी सरकारी अख़बार में लेख के ज़रिए यही कह रहे हैं कि भारत और चीन एक दूसरे के लिए ख़तरा नहीं हैं.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: एम गोपालकृष्णन