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समाज

मुसलमानों से ज्यादा समलैंगिकों को पसंद करता जर्मनी

१७ अगस्त २०१८

जर्मनी में 70 फीसदी लोग कह रहे हैं कि अगर उनके बच्चे समलैंगिंक होंगे तो उन्हें इस पर ऐतराज नहीं होगा. लेकिन मुसलमानों को लेकर सोच में ऐसा लचीलापन नहीं दिख रहा है.

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Symbolbild - Islamfeindlichkeit
तस्वीर: picture-alliance/Ralph Goldmann

प्लेबॉय जर्मनी के एक सर्वे में बड़ा चौंकाने वाला बदलाव सामने आया है. सर्वे के दौरान 1,000 महिलाओं और पुरुषों से बात की गई. इनमें से 70 फीसदी ने कहा कि अगर उनके बच्चे समलैंगिंक निकलेंगे तो भी उन्हें बतौर मां बाप परेशानी नहीं होगी. करीब दो तिहाई लोगों ने यह भी माना कि सेक्स चेंज सर्जरी के लिए ट्रांसजेंडर लोगों को बीमा कंपनियों से मदद मिलनी चाहिए. सर्वे में शामिल लोगों ने बहुमत से इसके लिए कानून बनाने की बात कही.

समलैंगिकता के प्रति सोच में आता खुलापन अप्रत्याशित है. 1949 में 53 फीसदी जर्मन समलैंगिकता को अपराध मानते थे. 1991 में हुए एक सर्वे में 36 फीसदी लोगों ने कहा कि वह एक समलैंगिक के पड़ोस में नहीं रहना चाहेंगे. लेकिन 2018 में ऐसी आपत्ति जाहिर करने वालों की संख्या सिर्फ 13 फीसदी बताई जा रही है.

Infografik Who would you not want to have as a neighbor EN

प्लेबॉय पोल के लिए रिसर्च करने वाले इंस्टीट्यूट Mafo.de के मुताबिक मुसलमानों को लेकर जर्मन समाज की सोच में ऐसी उदारता नहीं दिख रही है. रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक 16.6 फीसदी जर्मन नहीं चाहते कि उनके पड़ोस में कोई चर्च हो. पड़ोस में मस्जिद का विरोध करने वालों की संख्या 55.7 फीसदी है. 70 फीसदी से ज्यादा जर्मनों ने यह भी कहा कि टीचरों और सरकारी कर्मचारियों के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

कोब्लेंज यूनिवर्सिटी में सामाजिक मनोविज्ञान की प्रोफेसर मेलानी स्टेफेन्स समलैंगिकता और मुसलमानों के प्रति सोच में इस अंतर के कारण समझने की कोशिश कर रही है. वह कहती हैं, "एलजीबीटी समुदाय कहीं न कहीं इस बात को नियंत्रित करता है कि आम लोग उनकी पहचान कितनी देख सकते हैं और साथ में कानून बना. अगर आप समलैंगिक शादी को कानूनी करेंगे तो धीरे धीरे उसके प्रति स्वीकार्यता भी बनने लगेगी."

प्रोफेसर स्टेफेन्स कहती हैं, "कुछ लोगों में इस बात की भ्रांति है कि इस्लाम उदार सामाजिक ताने बाने के लिए खतरा है." लोगों को लगता है कि इस्लाम के मू्ल्य जर्मनी की संस्कृति से बहुत ज्यादा अलग है. एलजीबीटी समुदाय के साथ यह अंतर इतना बड़ा नहीं है.

(कहां कहां बैन है बुरका)

एलिजाबेथ शूमाखर/ओएसजे