मैर्केल ने की एकजुटता की अपील
१४ दिसम्बर २०१७14 दिसंबर से ब्रसेल्स में शुरू हुए यूरोपीय संघ के सम्मेलन से उम्मीद की जा रही थी कि यूरोपीय देशों के नेता ब्रेक्जिट मुद्दे पर दूसरे दौर की वार्ता करेंगे. इसके अलावा शरणार्थी मुद्दों पर जोरदार बहस होगी. साथ ही रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए नई तरीकों पर विचार किया जाएगा है. उम्मीद मुताबिक सम्मेलन में इन मुद्दों को भरपूर तवज्जो भी मिल रही है. यूरोपीय संघ के प्रमुख डोनल्ड टुस्क ने ब्रिटेन और संघ के अन्य 27 देशों से ब्रेक्जिट के बाद, भविष्य की नीतियों पर विचार करने की बात कही. टुस्क ने कहा, "जब तक हम साथ है, किसी भी चुनौती से निपट लेंगे." उन्होंने कहा, "हमारी एकता की असली परीक्षा, ब्रेक्जिट पर दूसरे चरण की वार्ता है."
अब तक ईयू तो ब्रेक्जिट के मसले पर एकजुट नजर आया है लेकिन ब्रिटेन का रुख असमंजस भरा रहा है. इसका कारण प्रधानमंत्री टेरीजा मे को आम चुनावों में बहुमत न मिलना नहीं है. दरअसल कारण बुधवार को संसद में टेरीजा में मिली हार से जुड़ा है. बुधवार को ब्रिटिश संसद में एक ऐसे संशोधन के पक्ष में मतदान किया गया जो संसद को ब्रेक्जिट पर अंतिम निर्णय का अधिकार देता है. लक्जमबर्ग के प्रधानमंत्री जेवियर बीटल ने कहा कि संसद में टेरीजा मे को मिली हार ने समझौते के प्रयासों की प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया है.
शरणार्थी मुद्दा
प्रवासी मुद्दे पर जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा, "जब बात प्रवासी मुद्दे से निपटने की आती है तो यूरोपीय देश सिलेक्टिव सॉलिडेरिटी नहीं दिखा सकते." उन्होंने कहा कि हमें न सिर्फ प्रवासन और नियमन पर एकता और बंधुत्व की आवश्यकता है बल्कि आंतरिक स्तर पर भी एकता की आवश्यकता है. मैर्केल ने कहा, "मेरी राय में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच इस तरह की सिलेक्टिव सोलिडेरिटी नहीं हो सकती और इस मुद्दे पर अपनी मर्जी नहीं चला सकती."
पोलैंड के नए प्रधानमंत्री मताअुश मोरास्यवकी ने सम्मेलन में कहा कि वे इस बात से खुश है कि शरणार्थियों को लेकर पोलैंड का जो विरोध था उसे अब यूरोपीय संघ के सभी देशों मान रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूरोप को शरणार्थियों को अपनाना नहीं चाहिये बल्कि रिफ्यूजी केंद्रों में उनकी मदद करनी चाहिए.
एए/ओएसजे (एपी,डीपीए)