यूक्रेन संकट में जापान भेजेगा यूरोप को गैस
९ फ़रवरी २०२२बुधवार को जापान के अर्थव्यवस्था, उद्योग और वाणिज्य मंत्री कोइची हागिउदा ने इस बारे में जानकारी दी. अमेरिका और यूरोपीय संघ के अनुरोध पर जापान की सरकार ने यह फैसला किया है. इसका मकसद यूक्रेन पर रूस के हमले की आशंका को देखते हुए यूरोप में गैस की सप्लाई में आने वाली कमी से निबटना है. अमेरिकी राजदूत रैम इमानुएल से मुलाकात के बाद होगिउदा ने यह बात कही.
इमानुएल ने जापान के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है. इमानुएल ने एक बयान जारी कर कहा है, "जापान का यूरोप को सहयोग इस बात का उदाहरण है कि राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री किशिदा किस तरह से समान विचारों वाले सहयोगियों के साथ मिल कर यूक्रेन में रूस के घुसपैठ को रोकना चाहते हैं और साथ ही हमारे साझा मूल्यों को बनाए रखना चाहते हैं."
अमेरिका और सऊदी अरब के बाद रूस दिनिया में तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. यूरोप में इस्तेमाल होने वाली प्राकृतिक गैस का 40 फीसदी हिस्सा रूस से आता है. गैस और तेल की कीमतें पहले से ही ऊंची चल रही है. ऐसे में अगर यूरोप को गैस की सप्लाई में कोई कटौती होती है तो उसके लिए बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगी.
अमेरिका और यूरोपीय सहयोगियों ने यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के जवाब में आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों का वचन दिया है. हालांकि उन्हें रूस की तरफ से प्राकृतिक गैस की सप्लाई रोकने पर होने वाली दिक्कतों का भी अंदाजा है. गैस की सप्लाई सर्दियों के दौरान ही कम हो जाए इसकी आशंका बहुत ज्यादा है. अमेरिका और यूरोप पूरी दुनिया में प्राकृतिक गैस के सप्लायरों से सहयोग बढ़ा रहे हैं ताकि रूस की तरफ से होने वाली कमी के असर को कम किया जा सके.
नॉर्ड स्ट्रीम-2 पर रूस की प्रतिक्रिया
रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के मुताबिक रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने बुधवार को कहा, "दुर्भाग्य से यह यूरोप और नाटो की मौजूदा सच्चाइयों का प्रतिबिंब है." रियाबकोव का कहना है कि यह "राजनीतिक सर्कस है जो पश्चिमी देश आयोजित कर रहे हैं." रूसी उप विदेशमंत्री ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ और नाटो लंबे समय में अपने हित का आकलन करने की भी कोशिश नहीं कर रहे हैं.
रूस की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस के साथ युद्ध टालने के लिए कूटनीति कोशिशें पुरजोर चल रही हैं. सोमवार को जर्मन चांसलर व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिले. इस दौरान बाइडेन ने कहा कि यूक्रेन पर हुआ कोई भी हमला नॉर्ड स्ट्रीम-2 पाइपलाइन को खत्म कर देगा. अमेरिका पहले भी इस पाइपलाइन को लेकर अपनी नापसंदगीजाहिर करता रहा है. अमेरिका का मानना है कि यह यूरोप की रूस के गैस पर निर्भरता को बढ़ाएगा.
नॉर्ड स्ट्रीम-2 वो पाइपलाइन है जो रूस से जर्मनी तक गैस लाने के लिए बनाई गई है लेकिन अभी यहां से सप्लाई चालू नहीं हुई है. जर्मनी भी यह कह चुका है कि यूक्रेन पर हमले की स्थिति में उठाए गए कदमों में नॉर्ड स्ट्रीम-2 पाइपलाइन भी होगी. अब रूस की तरफ से पहली बार इस पर प्रतिक्रिया सामने आई है.
दूसरे देश भी यूरोप को गैस देने के लिए राजी
जानकारों के मुताबिक दुनिया में तरल प्राकृतिक गैस यानी एलएनजी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश कतर मदद करने को आतुर है लेकिन उससे बहुत कम ही राहत मिल सकेगी. जापान एलएनजी का एक प्रमुख आयातक देश है. हागिउदा का कहना है कि वह अपने घरेलू इस्तेमाल के लिए जरूरी मात्रा जमा करने के बाद अतिरिक्त सप्लाई का योगदान करने को तैयार है. फरवरी का महीना इस लिहाज से काफी अहम है क्योंकि इसी महीने में सर्दियां सबसे ज्यादा तंग करती हैं.
हागिउदा का कहना है, "हमारा देश भी फरवरी में एलएनजी की कमी के कारण मुश्किल झेलता है. जापान में अमेरिकी राजदूत इमानुएल के अनुरोध और यूरेप में गैस की भारी कमी की आशंका को देखते हुए हमने सहयोग करने का फैसला किया है. हमें यकीन है कि जापान के लिए सप्लाई सुरक्षित है."
हागिउदा ने जापान में यूरोपीय संघ की राजदूत पैट्रिशिया फ्लोर से भी बुधवार को अलग से मुलाकात की. एलएनजी की कितनी मात्रा जापान से यूरोप की तरफ भेजी जाएगी इसका ब्यौरा अभी नहीं दिया गया है. हागिउदा ने कहा है कि जापान के अधिकारी जापानी गैस कंपनियों से इस योजना के बारे में अभी बात कर रहे हैं. इमानुएल के साथ बातचीत में हागिउदा ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि जापान और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग को ज्यादा गहरा और विस्तृत बनाना पूरे प्रशांत क्षेत्र के लिए कितना जरूरी है.
रूस ने युक्रेन की सीमा पर करीब 1,00,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं. रूस लगातार यह कह रहा है कि वह अपनी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए ही युद्ध अभ्यास कर रहा है हालांकि यूक्रेन की सीमा पर इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती दुनिया को हजम नहीं हो रही है. हमले की आशंका को देखते हुए नाटो और अमेरिका ने अपनी फौजें अलग अलग इलाकों में भेजी हैं. हालांकि पूरी कोशिश इस बात के लिए है कि युद्ध को किसी भी तरह से टाला जाए.
एनआर/आईबी (एपी, रॉयटर्स, डीपीए)