2020 में भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बढ़ी
४ जनवरी २०२१राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 23,722 शिकायतें मिलीं जो कि छह साल में सबसे ज्यादा है. महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कुल शिकायतों में से एक चौथाई घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं. यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं घर में भी सुरक्षित नहीं रहीं. एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि पिछले साल कुल 5,294 शिकायतें घरेलू हिंसा से जुड़ीं थी. देश में कई महिलाएं तो भय के कारण शिकायत भी नहीं कर पाती हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने एनसीडब्ल्यू के हवाले से बताया है कि पिछले साल किस तरह से घरेलू हिंसा के मामले बढ़े और यह पिछले छह सालों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायतें मिलीं.
कहां-कहां से आईं शिकायतें?
एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक 11,872 शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिलीं, इसके बाद दिल्ली से 2,635, हरियाणा 1,266 और महाराष्ट्र 1,188 से शिकायतें मिलीं. कुल 23,722 शिकायतों में से 7,708 शिकायतें गरिमा के साथ जीवन के अधिकार के तहत की गईं. एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि, "आर्थिक असुरक्षा, तनाव के स्तर में वृद्धि, चिंता, वित्तीय चिंताएं और माता-पिता से कोई भावनात्मक समर्थन नहीं मिलने के कारण 2020 में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े." रेखा शर्मा कहती हैं कि दंपति के लिए घर ही दफ्तर बन गया है और यहां तक कि उनके बच्चों के लिए स्कूल और कॉलेज. इसी दौरान महिलाओं को उसी स्थान से कई काम एक साथ करने पड़े. इसिलए पिछले छह सालों में सबसे ज्यादा शिकायतें साल 2020 में दर्ज की गईं. इससे पहले साल 2014 में 33,906 शिकायतें दर्ज की गईं थीं.
लॉकडाउन और महिलाओं की मुसीबतें
पिछले साल जब कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया था तो उस वक्त एनसीडब्ल्यू के पास घरेलू हिंसा की शिकायतों की भरमार लग गई. महिलाओं के पास इस दौरान बाहर जाने का विकल्प नहीं था और उन्हें घर पर ही हिंसा का सामना करना पड़ा. घरेलू हिंसा की शिकायतें जुलाई महीने में और बढ़ीं.
संयुक्त राष्ट्र के अभियान से हाल ही में जुड़ी मॉडल और अभिनेत्री मानुषी छिल्लर कहती हैं, "महिलाएं हर कहीं अलग-अलग तरह से हिंसा की शिकार होती हैं और उन्हें यह देखकर दुख होता हैं." उन्होंने एक वीडियो संदेश ट्विटर पर साझा किया है.
मानुषी छिल्लर को महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने "ऑरेंज द वर्ल्ड" नामक वैश्विक अभियान में शामिल किया है. मानुषी कहती हैं कि महिलाओं को हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और दूसरी महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए सशक्त बनाने की जरूरत है.
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