रूसी तेल का 90 फीसदी आयात रोकेगा यूरोपीय संघ
३१ मई २०२२यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश रूस पर नये प्रतिबंधों के लिए एक सहमति पर पहुंच गये हैं. इसके तहत रूस से यूरोपीय संघ में तेल का आयात इस साल के आखिर तक 90 फीसदी बंद हो जायेगा.
ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की दो दिन की बैठक के दौरान समझौता होने के बाद यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने ट्विटर पर लिखा, "यह रूस से दो तिहाई से ज्यादा तेल के आयात पर तुरंत असर डालेगा, और जंग के लिए उसके धन के स्रोत में बड़ी कटौती करेगा."
समुद्र के रास्ते नहीं आयेगा तेल
पहले दिन की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने बताया कि यूरोपीय संघ में रूस से समुद्र के रास्ते आने वाले तेल को पूरी तरह से इस साल के आखिर तक बंद कर दिया जायेगा. यह रूस से तेल के कुल आयात का करीब दो तिहाई है.
फॉन डेय लाएन ने यह भी कहा कि सोवियत जमाने के विशाल पाइपलाइन ड्रुज्बा के रास्ते आने वाले तेल को फिलहाल प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है. यह पाइपलाइन रूस को कई पूर्वी और मध्य यूरोपीय देशों से जोड़ती है. हंगरी और कुछ दूसरे देशों ने इस पाइपलाइन को फिलहाल चालू रखने के लिए दबाव बनाया. इस पाइपलाइन से यूरोप में करीब एक तिहाई तेल की सप्लाई होती है और इसका कुछ हिस्सा यूक्रेन से भी गुजरता है.
जर्मनी और पोलैंड ने कहा है कि वो पाइपलाइन से आने वाले तेल को भी धीरे धीरे बंद कर देंगे. फॉन डेय लाएन ने कहा कि इसका मतलब है, "लगभग 90 फीसदी रूसी तेल का आयात साल के आखिर तक बंद हो जायेगा."
यह भी पढ़ेंः बिना रूसी तेल के क्या यूरोप चल पायेगा
हंगरी को मनाने के लिए छूट
सदस्य देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में ड्रुज्बा पाइपलाइन के जरिये तेल के आयात को मिली छूट भी जल्द ही खत्म करने की बात कही गई है लेकिन इसके लिए कोई स्पष्ट समय सीमा का जिक्र नहीं है. हंगरी का समर्थन हासिल करने के लिए यूरोपीय संघ के दूसरे देशो ने ना सिर्फ पाइपलाइन से आयात की छूट दी बल्कि यूक्रेन से गुजरने वाली पाइपलाइन को कोई नुकसान होने पर हंगरी में तेल सप्लाई सुनिश्चित करने के लिये "आपातकालीन उपायों" का भी वादा किया.
तेल के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का चार हफ्ते पहले आया प्रस्ताव हंगरी ने खारिज कर दिया था. इसके अलावा चारों तरफ जमीनी सीमा से घिरे मध्य यूरोपीय देशों ने भी रूस से पाइपलाइन तेल पर निर्भर होने के कारण इसकी आलोचना की.
यह भी पढ़ेंः रूसी तेल और गैस से छुटकारा पाने की कोशिश में जुटा है यूरोप
छठे दौर के प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने रूस के लिए छठे दौर में जिन प्रतिबंधों की तैयारी की है उसमें स्बरबैंक को स्विफ्ट सिस्टम से बाहर करना भी शामिल है. यह रूस का सबसे बड़ा बैंक है. इसके रूस की तीन सरकारी मीडिया कंपनियों और युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों पर प्रतिबंध भी शामिल है.
मई की शुरुआत में यूरोपीय आयोग ने रूसी तेल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया था, अब इस पर सहमति तो बन गई है लेकिन तेल का आयात पूरी तरह से बंद नहीं हो रहा है. मिशेल का कहना है, "सख्त उपायों से रूस पर युद्ध खत्म करने के लिए अत्यधिक दबाव बनेगा." जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने भी ट्विटर पर कहा है कि "प्रतिबंधों का दूरगामी असर" होगा.
यूक्रेन को 9 अरब यूरो की सहायता
राजनीति सहमति के बावजूद अभी इस प्रस्ताव के तकनीकी पहलुओं पर आने वाले दिनों में चर्चा होगी. यूरोपीय संघ के देश यूक्रेन की मदद के लिए 9 अरब यूरो की सहायता देने पर भी रजामंद हुए हैं. इस पैसे से यूक्रेन को अपने खर्च पूरे करने में मदद दी जायेगी. इसमें रूसी हमले में घिरे देश के सरकारी कर्मचारियों के वेतन, अस्पतालों और स्कूलों को चालू रखने जैसे काम शामिल है.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने यूरोपीय संघ के नेताओं से रूसी तेल के आयात पर रोक लगाने की मांग की. ब्रसेल्स में यूरोपीय नेताओं को वीडियो लिंक के जरिये संबोधित करते जेलेंस्की ने पूछा, "ऊर्जा के संसाधनों को बेच कर हर दिन लगभग एक अरब यूरो रूस को क्यों कमाना चाहिये."
यह भी पढ़ेंः युद्ध के दो महीने में जर्मनी ने खरीदा सबसे ज्यादा रूसी तेल
जेलेंस्की ने यूरोपीय नेताओं को यूक्रेनी बंदरगाहों की रूसी घेरेबंदी के खतरे की चेतावनी भी दी. जेलेंस्की ने कहा कि इसका नतीजा दुनिया में भोजन की कीमतों के बढ़ने और प्रवासी संकट के रूप में सामने आ सकता है.
जेलेंस्की ने कहा, "अफ्रीका और एशिया में बड़े पैमाने पर अकाल का मतलब दक्षिणी और दक्षिण पूर्वी यूरोप में बड़े स्तर पर प्रवासी संकट के खतरे के रूप में सामने आ सकता है." जेलेंस्की ने रूस की रणनीति को "फूड ब्लैकमेल" का नाम दिया. यूरोपीय नेताओं की बैठक मंगलवार को भी जारी है. इस दौरान दुनिया में भोजन की सुरक्षा और यूरोपीय संघ के रक्षा में निवेश पर चर्चा हो रही है.
एनआर/आरपी (डीपीए)