रूस के लेजर हथियार 'जदीरा' के दावे में कितना दम है
२० मई २०२२रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2018 में कुछ नये हथियार बनाने का एलान किया था. इनमें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, अंडरवाटर न्यूक्लियर ड्रोन, सुपरसोनिक हथियार और लेजर हथियार शामिल थे. पुतिन ने पहले एक मर्तबा लेजर हथियार 'पेरेसवेट' का जिक्र किया था. ये नाम मध्ययुग के ऑर्थोडॉक्स योद्धा मोंक एलेक्जेंडर पेरेसवेट के नाम से मिला है, जिसकी युद्ध के दौरान मौत हुई थी.
रूस के उप-प्रधानमंत्री और सैन्य विकास के प्रभारी यूरी बोरिसोव ने मॉस्को में एक कांफ्रेंस के दौरान बताया कि पेरेसवेट की व्यापक तौर पर तैनाती शुरू हो चुकी है और यह हथियार पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद सेटेलाइटों को अंधा करने में सक्षम है.
ड्रोन को भस्म करने वाला जदीरा
बोरिसोव ने यह भी कहा था कि पेरेसवेट से ज्यादा ताकतवर सिस्टम भी मौजूद हैं, जो ड्रोन और दूसरे हथियारों को भस्म कर सकते हैं. बोरिसोव ने मंगलवार को हुए एक परीक्षण के बारे में भी बताया, जिसमें इस हथियार ने 5 किलोमीटर दूर मौजूद एक ड्रोन को पांच सेकेंड के भीतर जलाकर भस्म कर दिया. बोरिसोव के मुताबिक इसका नाम जदीरा है. हालांकि इस परीक्षण की कोई वीडियो या तस्वीर जारी नहीं की गई है और कई विशेषज्ञ भी इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं. ले दे कर अब तक रूस के पास पेरेसवेट होने की ही बात कही जा रही है जो सेटेलाइटों को अंधा कर सकता है लेकिन किसी रॉकेट, मिसाइल या ड्रोन को नहीं रोक सकता.
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने उड़ाया मजाक
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने लेजर हथियारों के बारे में चल रही खबरों की तुलना दूसरे विश्व युद्ध में नाजियों के वंडर वेपन से करके उनका मजाक बनाया है. जेलेंस्की ने कहा, "इससे और साफ हो गया है कि इस लड़ाई में उनके लिए कोई उम्मीद नहीं है. जिस विलक्षण हथियार के बारे में कहा जा रहा है कि वह इतना ताकतवर है कि युद्ध का रुख बदल देगा, उसका इतना प्रचार यही दिखाता है."
जेलेंस्की ने यह भी कहा, "पूरी ताकत से लड़ी जा रही लड़ाई के तीसरे महीने में हम देख रहे हैं कि रूस अपने वंडर वेपन की खोज करने में जुटा है. यह सब साफ दिखाता है कि उनका मिशन पूरी तरह से नाकाम है."
जदीरा के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है. हालांकि, 2017 में रूसी मीडिया ने कहा था कि न्यूक्लियर कार्पोरेशन रोसातोम ने इसे विकसित करने में मदद की है और यह भौतिकी के नये सिद्धांतों पर आधारित हथियार बनाने के कार्यक्रम के तहत बनाया गया है. हालांकि जानकार लेजर हथियार की क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं. कहा जा रहा है कि लेजर हथियार एक बार में सिर्फ एक जगह ही निशाना लगा सकते हैं और मिसाइल डिफेंस सिस्टम उनसे ज्यादा असरदार हैं जो एक साथ कई हथियारों को निशाना बना सकते हैं.
यूक्रेन पर हमले ने रूस के सोवियत दौर के बाद पारंपरिक हथियारों के मामले में उसकी सीमायें दिखा दी हैं. हालांकि, पुतिन यही कहते हैं कि उनका, "विशेष सैन्य अभियान" अपनी योजना के मुताबिक चल रहा है. जेलेंस्की का कहना है कि जिन हथियारों की बात हो रही है उनकी तुलना में छोटी मिसाइलें और दूसरे हथियार ज्यादा किफायती और कारगर हैं.
लेजर हथियारों में चीन और अमेरिका की दिलचस्पी
बोरिसोव के बयानों से लगता है कि रूस ने लेजर हथियारों के मामले में तरक्की कर ली है. इन हथियारों में अमेरिका और चीन जैसे परमाणु ताकत से लैस देशों की भी काफी दिलचस्पी है.
लेजर का इस्तेमाल कर सेटेलाइटों को अंधा करना कभी साइंस फिक्शन की कल्पना रही है. वैसे रूस, चीन और अमेरिका इन हथियारों के अलग-अलग संस्करणों पर कई सालों से काम कर रहे हैं.
चीन और अमेरिका इस दिशा में कहां तक पहुंचे हैं इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इस्रायल ने इस दिशा में कुछ प्रगति जरूर की है. इसी साल अप्रैल में इस्रायल के प्रधानमंत्री ने लेजर हथियारों के परीक्षण की जानकारी दी थी.
इस्रायली प्रधानमंत्री ने परीक्षण का वीडियो डाल कर बताया कि उनके देश ने आयरन बीम लेजर इंटरसेप्शन सिस्टम का परीक्षण किया है जो दुनिया का पहला ऊर्जा आधारित हथियार है. यह लेजर का इस्तेमाल कर यूएवी, रॉकेट, मोर्टार को महज 3.5 डॉलर प्रति शॉट की कीमत पर ध्वस्त कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही यह साइंस फिक्शन जैसी लगे मगर सच्चाई है
ड्रोन को जला देने में कारगर होने के अलावा जासूसी के तंत्र को अंधा बनाना इन हथियारों को रणनीतिक लिहाज से बहुत असरदार बना देता है. आखिरकार परमाणु हथियार लेकर जाने वाले इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों का पता सेटेलाइट के जरिये ही चलता है.
एनआर/वीएस (रॉयटर्स)