रेनां जासूसी कांड के बाद फ्रांस में अफरा तफरी
७ जनवरी २०११हाल ही में रेनां ने जासूसी के आरोप में अपने तीन वरिष्ठ मैनेजरों को सस्पेंड किया है. इन पर आरोप है कि इन्होंने इलेक्ट्रिक कार से जुड़े अहम दस्तावेजों को लीक किया है. रेनां अपने जापानी साथी निसान के साथ 2014 तक दुनिया भर में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक कार लाने की योजना बना रहा है.
मामले का खुलासा होने के बाद फ्रांस के उद्योग मंत्री एरिक बेसन ने कहा, "इस मामले के लिए मैं कह सकता हूं कि यह आर्थिक युद्ध की तरह है. यह इलेक्ट्रिक कार से जुड़ा मामला हो सकता है. मैं इससे ज्यादा नहीं कहूंगा."
फ्रांस की सबसे बड़ी कार कंपनी रेनां ने भी इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं किया. लेकिन इतना जरूर कहा कि इसकी रणनीतिक, बौद्धिक और तकनीकी संपत्ति पर हमला किया गया है.
रेनां के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट क्रिस्टियान हुसन ने कहा कि संदिग्ध जासूसी का मामला एक बेहद गंभीर बात है, जिसमें कंपनी के अहमतरीन पदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत है. उन्होंने कहा, "एक महीने तक चली जांच से पता चलता है कि इन तीनों मैनेजरों का व्यवहार रेनां के नीतियों और मूल्यों के खिलाफ है. उन्होंने जान बूझ कर कंपनी की संपत्ति को जोखिम में डाला है."
हालांकि कंपनी ने यह नहीं कहा कि इससे किस दूसरी कंपनी को फायदा हो सकता है.
रेनां की प्रतिद्वंद्वी फ्रांसीसी कार कंपनी सिट्रोएन सी-जीरो और पीजो आई-ऑन नाम से इलेक्ट्रिक कारें तैयार कर रही हैं. भारत की टाटा विस्टा ईवी और विशालकाय जर्मन कार कंपनी मर्सिडीज बेंज के पास स्मार्ट नाम से पहले से ही इलेक्ट्रिक कार है. जापान की मिट्सूबिशी और टोयोटा भी बिजली से चलने वाली कारें बना रही हैं. इस महीने डेट्रॉयट में बड़ा कार मेला लगने वाला है और वहां रेनां सहित दुनिया भर की कारें अपनी इलेक्ट्रिक कारों के साथ पहुंचने वाली हैं.
फ्रांस का कार उद्योग हाल के दिनों में जासूसी कांड से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां की टायर बनाने वाली कंपनी मिचिलेन और पुर्जे बनाने वाली वालियो में भी जासूसी के आरोप लगे हैं. फ्रांसीसी उद्योग मंत्री ने कहा कि जिन कंपनियों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलती है, उन्हें जासूसी के खिलाफ अपने तंत्र को और मजबूत करना चाहिए.
फ्रांस की अर्थव्यवस्था में रेनां की खास जगह है. इसका अरबों यूरो का कारोबार है और फ्रांस के अंदर लाखों लोगों को कंपनी में नौकरी मिली हुई है. फ्रांस की सरकार भी जानती है कि कार उद्योग उनके अर्थव्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है.
हाल के दिनों में कार कंपनियों ने वैकल्पिक ईंधन को लेकर अपने प्रयास शुरू किए हैं, जिनमें रेनां को अग्रणी माना जा रहा है. बिजली से चलने वाली कारों का फॉर्मूला बहुत नया नहीं है लेकिन इसमें किसी कंपनी को बहुत ज्यादा कामयाबी भी नहीं मिल पाई है क्योंकि ऐसी कारें बहुत तेज रफ्तार नहीं चल सकतीं और इनमें एक बार में लंबा सफर तय करने का ईधन नहीं भरा जा सकता.
बिजली से चलने वाली कारों के लिए रेनां हर साल 20 अरब यूरो का निवेश कर रही है और उसका अनुमान है कि 2020 तक दुनिया की 10 प्रतिशत कारें ऐसी हो जाएंगी. दो साल के अंदर वह 25,000 यूरो (लगभग 15 लाख रुपये) की कीमत से दो कारें बाजार में उतारने वाली है.
रेनां जहां बिजली से चलने वाली कारों पर ज्यादा ध्यान दे रही है, वहीं दुनिया की दो सबसे बड़ी कार कंपनियां अमेरिका की जनरल मोटर्स और जापान की टोयोटा ऐसी कारें बनाने पर ध्यान दे रही हैं, जो बिजली और पेट्रोल दोनों से चल सकें.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः वी कुमार