लंबी छुट्टी लेने वालों पर ब्रिटेन सरकार की नजर
१७ फ़रवरी २०११सरकार ने पहले ही एलान किया था कि वो लंबी छुट्टी पर चल रहे 15 लाख लोगों की लंबी बीमारी के कारणों का पता लगाकर ये देखेगी कि वो काम पर वापस लौटने के लायक हैं भी या नहीं. इसके साथ ही सरकार छुट्टी पर जाने वाले नए लोगों की संख्या भी कम करना चाहती है. गुरुवार को प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इस बात का एलान कर देंगे. एक दिन पहले जारी उनके भाषण की कॉपी में लिखा है, "हर साल नौकरी छोड़ने वाले लोगों में से आधे पहले बीमारी के नाम पर लंबी छुट्टी ले लेते हैं." प्रधानमंत्री कैमरन आज ब्रिटेन की सुविधा तंत्र को बदलने के लिए लाए सरकार के विधेयक पर बोलने वाले हैं.
सरकार चाहती है कि बीमारी के नाम पर छुट्टी लेने वाले लोगों की तादाद कम हो, लोग अपना स्वास्थ्य अच्छा रखें और ठीक ढंग से काम करें. सरकार उन लोगों से परेशान है जो बीमारी के नाम पर लंबी छुट्टियां लेकर सरकारी खजाने पर बोझ बनते हैं. ब्रिटिश सरकार कर्मचारियों के वेलफेयर में सुधार लाना चाहती है लेकिन नौकरी से बचने वालों पर उसकी निगाहें टेढ़ी है.
हालांकि ये बदलाव राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हैं और इनकी वजह से लोगों का गुस्सा बढ़ सकता है. खासतौर से ऐसे समय में जब बेरोजगारी बढ़ रही है, सरकारी खर्च में कटौती हो रही है और देश की अर्थव्यवस्था मंदी के लंबे दौर के कारण कमजोर पड़ चुकी है. सरकार को उम्मीद है कि अलग अलग तरीकों से छोटी छोटी मदद की बजाए एक मद में भुगतान के जरिए लोगों को सरकारी अनुदान पर निर्भर रहने की आदत छुड़ाई जा सकेगी. इन सुधारों के कारण सरकार पर शुरुआत में तो खर्च का बोझ पड़ेगा लेकिन आगे चल कर इनसे हर साल 50 करोड़ पाउंड की बचत प्रशासनिक खर्चों में आई कमी के कारण होगी. इसके अलावा सरकार कई दूसरी सुविधाओं में भी कटौती करने की तैयारी में है जिनसे हर साल 18 अरब पाउंड की बचत होगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः महेश झा