लड़ाकू विमान से चुनाव केंद्र तक
२० सितम्बर २०१३जर्मन जहाज पोलारस्टर्न पर काम कर रहे रिसर्चर चुनाव के दिन रविवार को कंप्यूटर के सामने आंख गड़ाए बैठे होंगे, लाइव स्ट्रीम पर चुनाव के नतीजे जानने के लिए. लेकिन अंटार्कटिक के वेडेल सागर में स्थिति आइसब्रेकर पर तैनात वैज्ञानिक चुनाव को सक्रिय रूप से प्रभावित नहीं कर पाएंगे. मध्य अगस्त से उनका जहाज सागर में है. जब वह चिली से सागर में रवाना हुआ तब तक चुनाव के दस्तावेज और डाक मतपत्र वहां नहीं पहुंचे थे. अंटार्कटिक पर नॉयमायर स्टेशन पर तैनात उनके साथियों का भी यही हाल है. हालांकि वहां के लिए विमान सेवा है, लेकिन खराब मौसम के कारण अक्टूबर तक उसे रोक दिया गया है. चूंकि डाक मतपत्र चुनाव के चार हफ्ते पहले भेजा जाता है, इसलिए शोधकर्ता इस बार वोट नहीं दे पाएंगे.
लेकिन विदेशों में काम की हर जगह तक बैलट पहुंचना असंभव नहीं होता. जर्मन सेना इस मामले में अपने सैनिकों का ख्याल रखती है. वह इस बात की व्यवस्था करती है कि युद्धपोत नीडरजाक्सेन पर तैनात नौसैनिकों को चुनाव से पहले समय पर उनका बैलट मिल जाए. पोट्सडम में ऑपरेशंस कमान के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्कुस बेक बताते हैं कि इसके लिए गैर परंपरागत तरीकों का भी सहारा लिया जाता है, "सितंबर के शुरू में उन्हें उनके कागजात एक कैप्सूल में मिले, जिसे स्पेन के एक टोही विमान ने समुद्र में फेंका था." बाद में एक बोट के जरिए उसे पानी से बाहर निकाला गया. बेक इस अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बारे में कहते हैं जहां भी संभव हो हम एक दूसरे की मदद करते हैं.
हजारों मतदाता
दूसरे इलाकों में तैनात सैनिकों को भी बैलट समय से भिजवाया जाता है ताकि वे मतदान के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकें. बेक कहते हैं, "उन्हें अपना मतपत्र सामान्य डाक से मिलता है." इस साल यह काम बिना किसी मुश्किल के और समय पर हो गया है. यह जरूरी भी है क्योंकि भरा हुआ बैलट चुनाव के दिन शाम छह बजे मतदान केंद्र बंद होने से पहले चुनाव अधिकारी के दफ्तर में पहुंच जाना चाहिए, ताकि उसकी गिनती हो सके. विल्हेल्म्सहाफेन शहर के अधिकारी बताते हैं कि कभी कभी तो लड़ाकू विमानों के जरिए बैलट चुनाव अधिकारियों तक पहुंचाए जाते हैं.
लेकिन विदेशों में रहने वाले दूसरे लोगों के लिए, जो मुश्किल जगहों पर तैनात नहीं है, सब कुछ थोड़ा आसान है. इस साल विदेशों में रहने वाले 14 लाख जर्मनों में से 67,000 ने मतदान में हिस्सा लिया है और अपना पोस्टल बैलट वापस भेजा है. जर्मन चुनाव आयुक्त क्लाउस पोएच कहते हैं कि इस बार पिछले चुनावों से ज्यादा लोगों ने मत दिया है. मतपत्र पाने के लिए चुनाव अधिकारियों को अर्जी देनी पड़ती है और कितने लोग यह करना भूल जाते हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं है. कुछ अन्य देशों की तरह जर्मन नागरिक दूतावासों में मतदान नहीं कर सकते. पोएच कहते हैं, "बैलट क्षेत्रीय आधार पर छपे होते हैं, इसलिए हम दूतावासों में इतनी बड़ी व्यवस्था नहीं कर सकते."
विवादास्पद मताधिकार
विदेशों में रहने वाले बहुत से जर्मन यूं भी मतदान नहीं करना चाहते, क्योंकि वे खुद को जर्मनी में अपने इलाके से जुड़ा हुआ महसूस नहीं करते. हिट रेडियो नामीबिया ने पिछले दिनों विंडबुक में एक सर्वे किया है. एक श्रोता का जवाब: "मैं यहां 47 साल से रहती हूं, इसलिए जर्मन राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है." कुछ दूसरे मतदान करना चाहते हैं लेकिन एक कानून की वजह से ऐसा कर नहीं सकते. इस कानून के मुताबिक जो 25 साल से ज्यादा से विदेश में रह रहा है उसे मत देने के लिए जर्मनी के साथ नजदीकी रिश्तों का सबूत देना पड़ता है. पोएच स्पष्ट करते हैं, "निकटता आप इस तरह दिखाते हैं, जैसे आप गोएथे इंस्टीट्यूट में काम करते हैं, या जर्मन सीमा के करीब रहते हैं, जर्मन संगठनों में सक्रिय हैं या जर्मनी से वेतन पाते हैं."
अंगेलिका श्टुके 25 साल से ज्यादा से स्पेन के मिराप्लोरेस में रहती हैं. उन्हें कम से कम जर्मनी से आमदनी होती है. वे जर्मन में उपन्यास लिखती हैं, जिसका प्रकाशन जर्मनी में होता है. वे शिकायत करती हैं, "मेरी अर्जी किसी अधिकारी की मेज पर पहुंचती है जो अपने मनमर्जी से फैसला करता है कि क्या मैं मतदान करने के काबिल जर्मन हूं. यह क्या है, मतदान की काबीलियत की परीक्षा?" इस बीच विदेशी मीडिया भी मतदान के लिए नजदीकी रिश्तों के सबूत की आलोचना कर रहे हैं. लेकिन जर्मनी का रवैया सख्त है. पोएच कहते हैं, "जिसका जर्मन राजनीति से कोई संबंध नहीं है, उसे मतदान का अधिकार भी नहीं होना चाहिए."
रिपोर्ट: क्रिस्टियान इगनात्सी/एमजे
संपादन: ए जमाल