लीबिया पर फैसला लेने का ओबामा को कानूनी हक
१६ जून २०११अमेरिकी राष्ट्रपति प्रशासन ने कांग्रेस को लंबी कानूनी सफाई भेजी है. जिसमें दावा किया गया है कि राष्ट्रपति को अमेरिकी सेना की लीबिया में भूमिका के बारे में फैसला लेने का वैधानिक अधिकार है भले ही उस पर सांसदों की मुहर नहीं लगी हो.
ओबामा और अमेरिकी संसद के बीच लीबिया संकट के कारण मतभेद बढ़ता जा रहा है. कुछ सांसद इसलिए चिंता में हैं क्योंकि लीबिया तीसरा मुस्लिम देश है जहां अमेरिकी सेना मौजूद है. राष्ट्रपति पर दबाव बढ़ाया जा रहा है कि वह उत्तरी अफ्रीका के इस देश में अपनी भूमिका की सफाई दें.
मंगलवार को ही स्पीकर जॉन बोएनर ने चेतावनी दी थी कि संसद की अनुमति के बगैर लीबिया में तीन महीने से अमेरिकी सैन्य कार्रवाई जारी रखना नाजुक डोर पर चलने जैसा है. बोएनर ने ओबामा पर आरोप लगाया कि कांग्रेस की भूमिका और महत्ता को नजरअंदाज किया है और साफ नहीं बताया है कि अभी तक अमेरिका लीबिया में क्यों मौजूद है.
उन्होंने ओबामा से इस संघर्ष के लिए कानूनी आधार पेश करने की मांग की. उनका कहना था कि रविवार तक अगर ओबामा सफाई नहीं देते हैं और कोई बदलाव नहीं होता है तो यह 1973 के वॉर पॉवर रिसोल्यूशन का उल्लंघन होगा.
अमेरिकी संविधान कहता है कि कांग्रेस युद्ध के बारे में घोषणा करती है और राष्ट्रपति सेना का कमांड इन चीफ होता है. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का कहना था कि ओबामा ने प्रस्ताव का उल्लंघन नहीं किया है क्योंकि उन्होंने नाटो के नेतृत्व से अप्रैल में समर्थन वापिस ले लिया था. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, "हमारा मानना है कि कांग्रेस हमारे लक्ष्य के बारे में मिश्रित संदेश न भेजे."
लीबिया में मानवीय सहायता के लिए अमेरिकी सैन्य अभियान को 3 जून तक 71.60 करोड़ डॉलर का खर्च आया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़