वर्क फ्रॉम होम यानी पैसे की बचत
१५ जुलाई २०२०कोरोना काल में जहां तमाम किस्म के कारोबार पर अनिश्चयता के काले बादल मंडरा रहे हैं, वहीं आपदा को अवसर साबित करते हुए इस दौरान कुछ कारोबार तेजी से फल-फूल रहे हैं. स्टोरेज हाउस का कारोबार भी इनमें से ही एक है. बीते लगभग चार महीनों से वर्क फ्रॉम होम बढ़ने की वजह से अब स्टोरेज हाउस का नया कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. बंगलुरू, हैदराबाद, पुणे और मुंबई जैसे तकनीकी हब में खासकर आईटी कंपनियों में काम करने वाले ज्यादातर लोग घर से घटे हुए वेतन पर काम कर रहे हैं. ऐसे में फ्लैट बंद रख कर भारी-भरकम किराया देना उनके लिए मुश्किल है. इसलिए उन शहरों में कई कंपनियां स्टोरेज के कारोबार में उतर आई हैं. लोग महंगे फ्लैट खाली कर यहां बेहद मामूली मासिक किराये पर अपने घर का तमाम समान और कारें वगैरह रख सकते हैं.
मिसाल के तौर पर अगर फ्लैट का किराया 25 हजार रुपये महीना है, तो इन स्टोरेज हाउस का किराया महज ढाई से साढ़े तीन हजार. वहां तमाम सामान सुरक्षित तो रहता ही है, इंश्योरेंस की सुविधा भी होती है. यह व्यवस्था कर्मचारियों के लिए काफी मुफीद साबित हो रही है. कोरोना काल में वेतन में कटौतियों को ध्यान में रखते हुए मासिक किराये के तौर पर होने वाला खर्च अचानक 90 फीसदी तक कम हो रहा है. कर्मचारियों के अलावा कई छोटी आईटी और स्टार्टअप कंपनियां भी किराये का खर्च घटाने के लिए इस सुविधा का लाभ उठा रही हैं. तमाम वेबसाइटों के अलावा स्थानीय अखबारों में अब ऐसी कंपनियों के विज्ञापनों की भरमार है. सेफ स्टोरेज, स्टोनेस्ट स्टोरेज, आरेंज सेफटोरेज और माइरक्षा समेत ऐसी कंपनियों की सूची लगातार लंबी होती जा रही है.
बड़े शहरों से घर वापसी
यह कंपनियां लोगों को महामारी के दौरान फ्लैट या पेइंग गेस्ट की जगह खाली कर अपना तमाम सामान बेहद कम खर्च पर अपने पास रखने का मौका दे रही हैं. लोग अपनी कार और दूसरे वाहन भी यहां रख सकते हैं. इन कंपनियों में अहम दस्तावेजों को रखने के लिए लॉकर की सुविधा भी है और चौबीसों घंटे सीसीटीवी के जरिए लोग अपने लॉकरों पर निगाह रख सकते हैं. इन कंपनियों के काम करने का तरीका बेहद आसान और सुविधाजनक है. बस एक फोन करते ही कंपनी के कर्मचारी बताए हुए पते पर पहुंच कर तमाम सामानों की सुरक्षित पैकिंग कर साथ ले जाते हैं. इसके लिए कुछ अतिरिक्त भुगतान करना होता है. ऐसी तमाम कंपनियां सामानों के बीमा की सुविधा भी दे रही हैं.
पुणे में एक आईटी कंपनी में काम करने वाली कोलकाता की श्रेया राय दो महीने पहले घर से काम करने की सहूलियत के साथ कोलकाता लौट आई है. आने से पहले उसने अपना फ्लैट खाली कर सारा सामान ऐसे ही एक स्टोरेज हाउस में रख दिया है. वह बताती हैं, "मुझे हर महीने 20 हजार रुपये का किराया देना होता था. कोलकाता में घर बैठे काम करते हुए पुणे के फ्लैट का किराया देना बेकार था. अब मुझे अपने सामान के स्टोरेज के लिए हर महीने महज 2200 रुपये देने होते हैं.”
25,000 की जगह 2,500 किराया
इसी तरह बंगलुरू की एक कंपनी में काम करने वाले सोमाद्रि शेखर सरकार बताते हैं. "मैं 23 हजार रुपये किराया देता था. लेकिन लॉकडाउन से पहले घर आया था और यहीं फंस कर रह गया. बाद में कंपनी ने घर से काम करने की अनुमति दे दी, तो मैं दो दिनों के लिए जाकर अपना सामान एक स्टोरेज हाउस में रख आया. वहां महज ढाई हजार रुपए देने होंगे. यह बेहद राहत की बात है.” वे कहते हैं कि कुछ महीनों के लिए सामान ढोकर घर ले आना और फिर हालात सामान्य होने के बाद उसे ले जाना घाटे का सौदा साबित होता. लेकिन अब स्टोरेज हाउस की सुविधा से उन जैसे लाखों लोगों की मुश्किलें कम हो गई हैं.
ऐसी ही एक कंपनी सेफ स्टोरेज के सह-संस्थापक रमेश बताते हैं, "बंगलुरू में हमारे 13 वेयरहाउस हैं. पहले जहां मुश्किल से हमारे 20-25 ग्राहक थे, वहीं लॉकडाउन के बाद हमें हर महीने औसतन चार सौ ग्राहक मिले हैं.” एक अन्य कंपनी स्टोरेजियंस के मालिक प्रसन्न कुमार बताते हैं, "हमारे तमाम स्टोरेज हाउस जुलाई के आखिर तक बुक हैं. रोजाना कोई पचास नए ग्राहक फोन कर रहे हैं. लकिन हमारे पास जगह नहीं है.”
स्टोरेज का किराया कैसे तय होता है? इस पर इन कंपनियों का कहना है कि यह इस बात पर निर्भर है कि सामान कितना है. आमतौर पर एक कमरे वाले फ्लैट के सामान के लिए किराया ढाई से तीन हजार के बीच है और दो कमरे वाले फ्लैट में रखे सामानों के लिए चार से पांच हजार तक हो सकता है.
इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि पहले महज अस्थाई तौर पर तबादले पर विदेश जाने वाले लोग ही इस सुविधा का लाभ उठाते थे. लेकिन कोविड-19 के बाद इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. रमेश कहते हैं, "एक नया कॉन्सेप्ट होने के बावजूद कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. इसमें दोनों पक्षों का फायदा है.” वे बताते हैं कि स्टोरेज हाउस में सामान रख कर फ्लैट खाली करने वालो को हर महीने बिजली, पानी और रखरखाव में होने वाला खर्च भी नहीं देना पड़ता.
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