शाहरुख की मन्नत पर फिर मुकदमा
२६ फ़रवरी २०१२कोर्ट में दायर याचिका में शिकायत की गई है कि शाहरुख खान ने अपने सपनों का महल बनवाने में कई नियम कायदों को तोड़ा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह इमारत आर्कियोलॉजी के कानूनों और तटवर्ती इलाकों के नियमों को तोड़ कर बनवाया गया है. इस मामले में पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था.
याचिका दायर करने वाले सिमप्रीत सिंह और अमित मारुआंद मुंबई के रहने वाले हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट ने पिछले महीने की 28 तारीख को यह मुकदमा खारिज किया और इन लोगों को मुकदमे का खर्च 20 हजार रुपये देने के लिए कहा. कोर्ट ने इस याचिका को 'पब्लिसिटी पेटिशन' करार देते हुए कहा कि यह जनहित याचिका सिर्फ प्रचार पाने के लिए दायर की गई थी.
याचिका दायर करने वालों की दलील है कि शाहरुख ने पर्यावरण और हेरिटेज कानूनों को तोड़ कर बंगले के परिसर में इमारत बनवाई है. उधर शाहरुख खान का कहना है कि किसी तरह के नियम को नहीं तोड़ा गया है और हर निर्माण के लिए मुंबई की नगरपालिका से मंजूरी ली गई है.
शाहरुख का बंगला पहली बार मुसीबतों में नहीं घिरा है. इससे पहले 2008 में भी इसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. तब हाईकोर्ट ने शाहरुख खान को इस बारे में नोटिस भी जारी किया था. तब इस बंगले पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया था.
मुंबई के बांद्रा में शाहरुख का बंगला एक ऐतिहासिक इमारत है जो धरोहरों की सूची में भी है. शाहरुख ने इसके मूल स्वरूप को कायम रखते हुए इसे अपनी पसंद के हिसाब से सजाया है. इस परिसर में एक और इमारत भी है.
रिपोर्टः पीटीआई/ एन रंजन
संपादनः महेश झा