श्रीलंका के हिंदू मंदिरों में बलि पर रोक की तैयारी
१४ सितम्बर २०१८श्रीलंका की सरकार ने एक ऐसी योजना पेश की है जिसके तहत हिंदू मंदिरों में पशुओं की बलि देने की परंपरा पर रोक लगाई जा सकती है. बौद्ध बहुल श्रीलंका में बहुत से लोग इस तरह की परंपराओं का विरोध करते हैं. कई उदारवादी हिंदू भी इसके हक में नहीं हैं. लेकिन श्रीलंका के कई हिंदू मंदिरों में आज भी बलि देने की प्रथा है.
श्रीलंका में हिंदू धार्मिक मामलों के मंत्री ने बलि पर रोक लगाने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है, "मसौदा बनाने वालों से कहा गया कि वे हिंदू मंदिरों में जानवरों और पक्षियों की बलि देने पर रोक लगाने के बारे में एक बिल तैयार करें."
धार्मिक उत्सवों के दौरान कुछ हिंदू बकरे, मुर्गे और भैंसों की बलि देते हैं. उनका मानना है कि इससे उनके देवता खुश होंगे और उनकी किस्मत चमकेगी. लेकिन पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले इस परंपरा से बहुत आहत होते हैं. कई आम श्रीलंकाई नागरिक भी इसका विरोध करते हैं.
मुस्लिम देशों में हिंदू मंदिर
अभी श्रीलंका में ऐसा कोई स्पष्ट कानून नहीं है जो पूजा स्थलों पर पशुओं की बलि पर रोक लगाता हो, हालांकि श्रीलंका की अदालतें जरूर समय समय पर ऐसी प्रथाओं पर अस्थाई प्रतिबंध लगाती रही हैं.
श्रीलंका में 2.1 करोड़ की आबादी में 70 फीसदी बौद्ध हैं. उनके बाद आबादी में लगभग 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ हिंदू दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है. इसके बाद मुसलमानों का नंबर आता है जो लगभग 10 फीसदी हैं. मुसलमान भी अपने कुछ धार्मिक आयोजनों पर पशुओं की बलि देते हैं. लेकिन लगता है कि बलि पर रोक लगाने वाला कानून सिर्फ हिंदुओं पर लागू होगा.
हाल के सालों में श्रीलंका में कई बार धार्मिक तनाव देखा गया है. इस साल मार्च में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा में तीन लोग मारे गए थे. इसके अलावा सैकड़ों मस्जिदों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जला कर खाक कर दिया गया.
एके/एमजे (एएफपी)
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