श्रीलंका सरकार ने कत्ल की तस्वीरों को खारिज किया
१२ नवम्बर २०१०श्रीलंका के सूचना मंत्री केहेलिया रांबुकवेला ने कहा कि कतर के टेलीविजन नेटवर्क ने एक ब्रिटिश चैनल द्वारा पहले दिखाई गईं तस्वीरों को कुछ बनाई हुई तस्वीरों के साथ मिला दिया है. रांबुकवेला ने एक बयान में कहा, "कत्ल की जो तस्वीरें दिखाई गई हैं वे सिर्फ झूठ हैं. अल जजीरा की रिपोर्ट पुरानी तस्वीरों का ही संग्रह है जिसे हम पहले ही खारिज कर चुके हैं."
अल जजीरा का कहना है कि उसे ये तस्वीरें एक तमिल सूत्र से मिली हैं जिसका नाम जाहिर नहीं किया गया है. इस सूत्र का कहना है कि ये तस्वीरें श्रीलंका सेना के ही एक व्यक्ति द्वारा ली गई थीं. इन तस्वीरों में लाशों का ढेर एक ट्रक में भरा नजर आता है. कुछ तस्वीरों में नग्न लोगों के शव नजर आते हैं जिनकी आंखों पर पट्टी बंधी है और हाथ पीठ पीछे बांध दिए गए हैं.
अल जजीरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह तस्वीरों की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं कर पाया और यह कहना मुश्किल है कि शव सेना के ऑपरेशन के बाद जमा किए गए या फिर नरसंहार हुआ.
श्रीलंका की सेना ने पिछले साल मई में लिट्टे का पूरी तरह सफाया कर दिया था. इस युद्ध में तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे के प्रमुख वी प्रभाकरण समेत ज्यादातर आतंकवादियों को मार गिराया गया था. लेकिन मानवाधिकार संगठन सेना पर युद्ध अपराधों के आरोप लगाते रहे हैं. इस बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ, पश्चिमी देश और मानवाधिकार संगठन जांच की मांग करते रहे हैं.
जनवरी में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार दूत फिलिप एल्सटन ने एक वीडियो को सही ठहराया था जिसमें श्रीलंकाई सैनिकों को निहत्थे तमिल विद्रोहियों को कत्ल करते दिखाया गया था. श्रीलंका सरकार ने इस विडियो को भी फर्जी बताकर खारिज कर दिया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार