सर्ब जनरल पर युद्ध अपराध का मुकदमा
१६ मई २०१२दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह नरसंहार यूरोप में हुआ सबसे बड़ा हत्यांकाड था. इस मुकदमे से बोस्निया युद्ध में मारे गए दसियों हजार लोगों को न्याय मिलने के अलावा जातीय हत्या के लिए लोगों की जिम्मेदारी का पता चलने की उम्मीद है. म्लादिच 1992 से 1995 तक चले बोस्निया युद्ध के दौरान बोस्निया की सर्ब सेना का कमांडर था. बेलग्रेड की सरकार के समर्थन से यह सेना बोस्निया के बहुमत मुसलमानों और अल्पसंख्यक क्रोएशियाई लोगों के खिलाफ लड़ रही थी.
संयुक्त राष्ट्र के वकीलों ने म्लादिच के खिलाफ अपने मुकदमे को पांच हिस्सों में बांट दिया है. मुकदमे की शुरुआत म्लादिच के कथित अपराधों की सुनवाई के साथ होगी, जिसके मध्य जुलाई तक पूरा हो जाने की संभावना है. बाद के चरणों में अभियोजन पक्ष चार तरह के अपराधों में म्लादिच की भूमिका के सबूत देगा जिनका लक्ष्य सर्बों के नियंत्रण वाले इलाके से मुसलमानों और क्रोएटों को बाहर निकालना था. संयुक्त राष्ट्र के वकीलों का कहना है कि कुछ इलाकों में जातीय सफाई नरसंहार के स्तर पहुंच गई थी.
मुकदमे के एक हिस्से में सारायेवो पर हुई गोलाबारी और 1995 में संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को बंधक बनाए जाने पर भी सुनवाई होगी. सारायेवो पर नियमित रूप से होने वाली गोलाबारी में 11,000 लोग मारे गए थे. अंतिम हिस्से में स्रेब्रेनित्सा के नरसंहार की सुनवाई होगी जहां म्लादिच के सैनिकों ने 8000 मुस्लिम मर्दों और युवकों को मार डाला था. अभियोजन पक्ष का कहना है कि बोस्निया की सर्ब सेना ने नरसंहार को छुपाने के लिए लाशों को अनजान कब्रों में दफना दिया. इसका पता न चले, इसके लिए बाद में उन्हें एक्सकेवेटर से निकाल कर दूर दराज के इलाकों में दबा दिया गया. बाद में ये लाशें 17 मुख्य और 37 सहायक कब्रों में पाई गईं.
16 साल तक फरार रहने के बाद म्लादिच को पिछले साल सर्बिया में गिरफ्तार किया गया. पूर्व जनरल ने सारे आरोपों को दानवी आरोप बताकर उन्हें खारिज कर दिया है. म्लादिच के खिलाफ मुकदमा युद्धकाल में बोस्निया के सर्ब नेता रादोवान काराचिच के खिलाफ चल रहे मुकदमे के साथ साथ चलेगा. काराचिच के खिलाफ भी युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप हैं. उसे चार साल पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.
बोस्निया युद्ध के सबसे बड़े अधिकारियों के खिलाफ यह अंतिम मुकदमा है. काराचिच और म्लादिज के खिलाफ 1995 में ही अभियोग पत्र दाखिल किया गया था, लेकिन दोनों के फरार होने के कारण मुकदमा नहीं चलाया जा सका. अब यह मुकदमा बोस्निया के बड़े हिस्से को मुसलमानों और क्रोएटों से काली करवाने के सर्बों के प्रयासों और बेलग्रेड के अधिकारियों के बीच सांठगांठ को भी सामने लाने में मदद दे सकता है.
2001 में द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय युगोस्लाविया अदालत ने म्लादिच के कमांड में काम करने वाले जनरल रादिस्लाव क्रस्टिच को स्रेब्रेनित्सा के नरसंहार में हिस्सेदारी का दोषी पाया था. 2007 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने स्रेब्रेनित्सा के हत्याकांड को नरसंहार बताया था. 2010 में म्लादिच के नीचे काम करने वाले दो अन्य अधिकारियों वुयादीन पोपोविच और लुबिसा बेआरा को नरसंहार के लिए आजीवन कैद की सजा मिली. म्लादिज के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष के पास पिछले मुकदमों से 200 घंटे के सबूत और 400 लोगों की गवाही है.
वर्षों तक चलने वाले मुकदमे से पहले अभियोजन पक्ष और बोस्निया के पीड़ितों के परिवार वालों की चिंता म्लादिच का स्वास्थ्य है. 70 वर्षीय म्लादिच पिछली सुनवाई में कमजोर दिख रहा था. अदालत के आदेश पर किए गए मेडिकल जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और उसके खिलाफ सुनवाई चल सकती है. लोगों को डर है कि कहीं मुकदमे के दौरान ही उसकी मौत न हो जाए और वह सर्बिया के पूर्व राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविच की तरह सजा पाने से बच न जाए. मिलोसेविच की मुकदमे के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
युगोस्लाविया के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना में 1993 में युगोस्लाविया युद्ध के अंत में राजनयिक प्रयासों के विफल हो जाने की बाद की गई थी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद न्यूरेमबर्ग सैनिक अदालत के बाद यह पहला अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध कोर्ट था. पिछले 19 सालों में उसने सभी 161 अभियुक्तों को पकड़ा है और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया है.
एमजे/एएम (डीपीए. रॉयटर्स)