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सानिया को उत्तराधिकारी का इंतजार

३० मई २०१२

भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने एशिया में महिला टेनिस की हालत की सराहना की है. इस समय चीन की ली ना एशिया की चोटी की टेनिस खिलाड़ी है जबकि एक नई पीढ़ी आगे बढ़ने का इंतजार कर रही है.

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तस्वीर: dapd

फ्रेंच ओपन के हाशिए पर एएफपी के साथ बातचीत में सानिया मिर्जा ने कहा, "मैं समझती हूं कि शायद एशियाई महिला टेनिस बेहतरीन हालत में है." उन्होंने कहा कि टेनिस एशिया में बढ़ रहा है. कभी एशिया में चोटी पर रही सानिया मिर्जा और उनकी अमेरिकी जोड़ी बेथनी माटेक-सैंड्स पहले राउंड में ही रूसी रोमानियाई जोड़ी नीना ब्राचिकोवा और एडीना गालोवित्स-हॉल से तीन सेटों में हार गए. 2007 में वे विश्व वरीयता में 27वें नम्बर पर थीं जबकि डबल्स में वे मंगलवार तक दसवें नम्बर पर थीं. इस समय सिंगल में वे 185वें नम्बर पर हैं और यह साफ नहीं है कि वे लंदन ओलंपिक खेल पाएंगी या नहीं.

सानिया अभी सिर्फ 25 साल की हैं और इस हिसाब से वे अभी कुछ और साल तक खेल सकती हैं, लेकिन पिछले सालों में वे चोट से परेशान रही हैं. अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए उन्हें टेनिस की प्राथमिकताओं पर फैसला लेना होगा. अपने करियर में 22 लाख डॉलर पुरस्कार जीत चुकीं सानिया कहती हैं, "ये फैसला मुझे करना है, या तो सिर्फ सिंगल खेलना है या सिर्फ डबल्स." सानिया कहती हैं कि कलाई और दोनों घुटनों में तीन सर्जरी के बाद उनका शरीर 25 जैसा नहीं लगता. "मैं ज्यादा उम्र का महसूस करती हूं."

पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से 2010 में शादी कर तहलका मचा देने वाली सानिया मानती है कि डबल्स शरीर के लिए थोड़ा आसान है लेकिन दूसरी ओर उन्हें लगता है कि वे सिंगल्स में वापसी कर सकती हैं. "यह टेनिस नहीं है. मुझे अपने टेनिस में कभी कोई शक नहीं रहा. यह शरीर के बारे में है."

सानिया मिर्जा और फेंच ओपन विजेता ली ना से प्रेरणा लेकर पूरे एशिया में ज्यादा लड़कियां टेनिस खेलने लगी हैं. लेकिन पुरुषों में नई प्रतिभाएं सामने नहीं आ रही हैं. सानिया इसकी वजह एशिया में फुटबॉल और क्रिकेट की लोकप्रियता को मानती हैं. वे कहती हैं, "टेनिस के लिए आपको कोर्ट चाहिए, रैकेट चाहिए, बॉल चाहिए. क्रिकेट के लिए आपको एक बैट और एक बॉल चाहिए और 22 लोग खेल सकते हैं." साथ ही वे कहती हैं कि पुरुष खिलाड़ियों का मुकाबला यूरोप, रूस और अमेरिका के अधिक ताकतवर खिलाड़ियों से है.

सानिया मिर्जा चाहती हैं कि कोई भारतीय लड़की उनकी विरासत संभाले, लेकिन बहुत जल्दी ऐसा होता नहीं लग रहा है. अभी कोई भी दूसरी भारतीय लड़की वरीयता क्रम में पहले 500 में नहीं है. "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि पिछले आठ साल से मैंने अकेले झंडा लहरा रखा है, इसलिए मुझे उम्मीद है कि कोई सामने आएगा. आखिरकार ऐसा होगा, मुझे पूरा विश्वास है.

एमजे/एएम (एएफपी)