सिर्फ आलू चावल वज़न नहीं बढ़ाते
२ मई २०१०ऐसी ही एक कहानी है जर्मनी के बेर्न्ड की. 45 साल के हैं और 110 किलो के हैं. वज़न कम करने के लिए उन्होंने एक निजी ट्रेनर ढूंढा है. अब वो एक्सरसाइज़ करते हैं इस ट्रेनर के हिसाब से. जेब के लिए थोड़ा भारी लेकिन ये निजी ट्रेनर व्यक्ति के हिसाब से एक्सरसाइज़, खाना, तय करते हैं और लगातार उस व्यक्ति के साथ काम करते हैं.
महंगे निजी ट्रेनर
जर्मनी में एक निजी ट्रेनर के लिए महीने में कम से कम दो सौ से तीन सौ यूरो लगते हैं. ये ट्रेनर सायकोलॉजिस्ट होते हैं, साथ ही साथ आहार विशेषज्ञ भी. यही ट्रेंड भारत के बड़े शहरों में भी धीरे धीरे आ रहा है. करीना कपूर की निजी ट्रेनर ऋजुता दिवेकर ने करीना कपूर को एकदम ज़ीरो साइज़ में ला दिया...बहरहाल आम आदमी ज़ीरो साइज़ में नहीं आना चाहता लेकिन चाहता है कि वह फिट बना रहे. ऋजुता की वेब साइट पर सिर्फ़ एक्सरसाइज़ की ही बातें नहीं हैं बल्कि ये भी किस तरह से खाएं. इस पर उन्होंने दो किताबें भी लिखी हैं.
मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों को छोड़ दे तो छोटे शहरों में सामान्य मध्यमवर्ग के पास निजी ट्रेनर के लिए शायद पैसे और समय न हों. तो वॉकिंग करके और खाने पर काबू करके कैसे वज़न कम किया जा सकता है. आहार विशेषज्ञ डॉक्टर पौर्णिमा भाले का कहना है कि अपनी जीवन शैली को देखते हुए खाना तय करना बहुत ज़रूरी है. एक खिलाड़ी का खाना आम आदमी के लिए नहीं. इसलिए अगर आपकी जीवन शैली में शारीरिक भागदौड़ नहीं है या एक्सरसाइज़ नहीं है तो उस हिसाब से खाना तय करना चाहिए.
सही खाना ज़रूरी
डॉक्टर पौर्णिमा कहती हैं, "खाने में दाल, रोटी, सब्ज़ी, दूध से बना एक पदार्थ, सलाद, चावल होने ही चाहिए. लेकिन सब्ज़ी या दाल में बहुत ज़्यादा तेल नहीं. कम से कम तेल में सब्ज़ी और दाल बघारी जानी चाहिए. "
कई लोग कहते हैं कि आलू चावल नहीं खाने पर भी मोटें हैं इसकी क्या वजह है, इस बारे में डॉ पौर्णिमा कहती हैं, "लोगों में ये एक ग़लत धारणा है कि आलू चावल खाने से वज़न बढ़ता है. कईं लोग बहुत उपास करते हैं और उपास का खाना बहुत कैलोरी वाला होता है. तो ऐसी स्थिति में हम लोगों को ये बताते हैं कि उपास के दौरान क्या कैसे खाएं. या फिर कुछ लोग खाना तो सही खाते हैं लेकिन उन्हें मीठा या चॉकलेट खाने की आदत होती और इससे शरीर में बहुत जल्दी वसा जमा होता है."
हेल्थ टिप्स
डॉक्टर पौर्णिमा से बातचीत के दौरान हमने ये पूछा कि अगर मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति के साथ बातचीत के दौरान ये समझ में आए कि चिंता या अवसाद की वजह से वह मोटा हो रहा है तो ऐसी स्थिति में वे क्या करती हैं. डॉक्टर ने कहा, "एक आहार विशेषज्ञ को कभी कभी मनोचिकित्सक के तौर पर भी काम करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में हम व्यक्ति को भरोसा दिलाते हैं कि वज़न कम होगा और हमारे डायट प्लान के हिसाब से आप काम करें. लेकिन साथ ही साथ ये भी कहते हैं कि बीच बीच में अगर खाने की इच्छा हो तो रोस्टेड यानी भुनी हुई चीज़ें, जैसे चना, परमल खाएं. साथ ही थोड़ी एक्सरसाइज़ करने के लिए भी हम उन्हें प्रेरित करते हैं."
इच्छा ज़रूरी
मेरे जैसे कई लोग हैं जो आधुनिक जीवन का शिकार हैं या फिर किसी बीमारी के कारण मोटापे का शिकार हैं. तो कुल मिला कर अपनी इच्छा के बल पर ही हम दुबले हो सकते हैं. निजी ट्रेनर और आहार विशेषज्ञ तो मदद का सिर्फ़ हाथ दे सकते हैं. चलना हमें है.
रिपोर्टः आभा मोंढे
संपादनः एम गोपालकृष्णन