सुरक्षा परिषद ने लीबिया पर प्रतिबंध लगाए
२७ फ़रवरी २०११शनिवार को कई घंटों तक चली बैठक के बाद सुरक्षा परिषद ने भारी बहुमत के साथ लीबिया और वहां के तानाशाह राष्ट्रपित मुअम्मर गद्दाफी के खिलाफ कड़े कदम उठाए. प्रतिबंधों के तहत गद्दाफी और उनके करीबियों की संपत्ति सील करने के आदेश जारी किए गए हैं. गद्दाफी, उनके चार बेटों, एक बेटी और दस करीबियों को किसी दूसरे देश में जाने से भी रोके जाने का प्रावधान है.
सुरक्षा परिषद ने गद्दाफी और उनके साथियों पर मानवता के खिलाफ युद्ध के आरोपों की जांच कराने का फैसला भी किया है. यह केस अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में चलेगा. मुकदमे को युद्ध अपराध ट्राइब्यूनल के हवाले भी किया जाएगा.
इससे पहले शनिवार को दिन भर लीबिया के मसले पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल होती रही. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबाम ने जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल से फोन पर बातचीत की. बातचीत के अंश जारी करते हुए व्हाइट हाउस ने कहा, ''राष्ट्रपति ने कहा कि अगर कोई नेता अपने ही लोगों के खिलाफ व्यापक हिंसा का इस्तेमाल करके सत्ता में बने रहना चाहता है तो इसका मतलब है कि वह वैधता खो चुका है. ऐसे देश के लिए सही कदम यही है कि नेता सत्ता छोड़ दे.''
जर्मनी ने भी लीबिया के हालात पर गहरी चिंता जताई है. दोनों देशों ने लोगों पर हो रही बर्बरता और मानवाधिकार के मुद्दे पर चर्चा की. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि लीबिया के लोगों ने अपना जनादेश विरोध के जरिए बता दिया है. क्लिंटन ने कहा, ''हमने हमेशा कहा है कि गद्दाफी सरकार का भविष्य लीबिया के लोगों के हाथों में है. वहां के लोगों ने यह साफ तौर पर जता भी दिया है.''
अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को ही अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए लीबिया सरकार और गद्दाफी परिवार पर कई प्रतिबंध लगाए. प्रतिबंधों के तहत अमेरिका में गद्दाफी और उनके करीबियों की किसी भी तरह की संपत्ति को सील किया जाएगा. माना जा रहा है कि अमेरिका यूरोपीय संघ और उसके नेताओं से भी ऐसे ही कड़े कदमों की अपेक्षा कर रहा है.
ट्यूनिशिया और मिस्र के बाद अफ्रीकी देश लीबिया में पिछले कई दिनों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. अलग अलग रिपोर्टों के मुताबिक इन प्रदर्शनों में अब तक 2,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. सरकार पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बर्बरता करने के आरोप लग रहे हैं. लीबिया के तानाशाह राष्ट्रपति मुअम्मर गद्दाफी चार दशक से देश की सत्ता से चिपके हुए हैं. लोग इसी का विरोध कर रहे हैं. गद्दाफी और उनके सहयोगी आम लोगों को गृहयुद्ध की चेतावनी दे रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया