सू ची ने अमेरिका को किया खबरदार
२० नवम्बर २०१०हाल ही में बरसों बाद नजरबंदी से रिहा होने वाली सू ची ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के साथ बातचीत में कहा, "बहुत सारे लोग हैं जो कह रहे हैं कि अमेरिका ने अब सैनिक सरकार के साथ बातचीत की पहल करने का फैसला किया है. उन्होंने हम से मुंह फेर लिया है. लेकिन मैं नहीं मानती कि ऐसी बात है. मुझे लगता है कि इस तरह की पहल अच्छी बात है."
शुक्रवार को प्रसारित होने वाली इस बातचीत में सू ची ने खबरदार किया है, "मैं नहीं चाहती कि कोई भी ऐसी पहल गुलाबी चश्मा पहन कर की जाए. मैं चाहती हूं कि वे इस बारे में व्यावहारिक रहें." पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने म्यांमार के साथ बातचीत की पहल शुरू की. काफी समय से अमेरिका म्यांमार की सैनिक सरकार को अलग थलग करने की नीति पर चल रहा था लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ.
पिछले 21 में से 15 साल नजरबंदी में गुजारने वाली सू ची ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों को म्यांमार के बारे में किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. उन्होंने जोर दे कर कहा कि अमेरिका को अपनी आंखें खुली रखनी होंगी और देखना होगा कि असल में क्या हो रहा है. यह पहल किस दिशा में जा रही है और कौन से बदलाव वास्तव में होने चाहिए.
पहले बर्मा के नाम से जाने जाने वाले म्यांमार में लोकतंत्र की प्रतीक सू ची ने कहा, "मैं सोचती हूं कि हमें बर्मा में मानवाधिकारों का उससे ज्यादा सम्मान करना चाहिए जितना अभी होता है. हम आर्थिक प्रगति चाहते हैं. लेकिन उसे जवाबदेही के साथ संतुलित किया जाना चाहिए." पूर्वी एशियाई मामलों के अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल म्यांमार के साथ बातचीत का नेतृत्व करते रहे हैं, लेकिन सितंबर में उन्होंने कहा कि अब तक के नतीजों से वह निराश हैं.
अमेरिका ने शनिवार को सू ची की रिहाई का स्वागत किया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें अपना हीरो भी बताया. अमेरिकी सरकार ने म्यांमार की सैनिक सरकार से देश के लगभग 2,100 कैदियों को फिर रिहा करने को कहा है.
सीएनएन के इंटरव्यू में जब सू ची से पूछा गया कि क्या उन्हें फिर से गिरफ्तार होने का डर है तो उन्होंने कहा, "बहुत से लोग मुझ से यही सवाल पूछते हैं. इस बारे में मैं यही कह सकती हूं कि पता नहीं. ऐसी संभावना हमेशा रहती है. आखिरकार वे मुझे कई बार गिरफ्तार कर चुके हैं. यह नहीं कहा जा सकता कि वे मुझे गिरफ्तार नहीं करेंगे. लेकिन आप इसी के बारे में तो नहीं सोचते रहेंगे. आपको तो सिर्फ अपने काम पर ध्यान केंद्रित करना है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी