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सेना तैनाती पर मैर्केल करजई बातचीत

१६ जनवरी २०१४

अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सेना के मिशन के खत्म होने के बाद भी जर्मनी वहां शांति स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका देख रहा है. इस मुद्दे पर चांसलर अंगेला मर्केल और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने बात की.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बुधवार को दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत में इस बात पर चर्चा हुई कि जर्मन सेनाओं को अफगानिस्तान में और कितने समय तक रखने की जरूरत है. अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सेनाओं का मिशन 2014 में खत्म होना है. समाचार एजेंसी डीपीए ने बर्लिन में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों नेताओं ने जर्मनी के सैनिकों को और लंबे समय तक वहां बनाए रखने की संभावना पर चर्चा की. अफगानिस्तान में अभी जर्मन सेना के करीब 3,100 जवान तैनात हैं. अगर दोनों देश अतिरिक्त समय तक जर्मन सेना को वहां रखने के लिए सहमत होते हैं तो अंतरराष्ट्रीय मिशन के समाप्त होने के बाद भी जर्मन सेना की एक छोटी टुकड़ी वहां बनी रहेगी.

अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय सेनाओं की वापसी के बाद भी जर्मनी वहां की सरकारी अफगान सेनाओं को सलाह और ट्रेनिंग देगा. इसके लिए करीब 800 सैनिक मुहैया कराए जाने की योजना है. लेकिन यह योजना लागू करना कुछ हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच सुरक्षा समझौते की बात आगे बढ़े. अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच यह सुरक्षा समझौता नाटो का युद्ध अभियान खत्म होने के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की भूमिका तय करेगा.

पिछले साल नवंबर में काबुल में जुटे करीब ढाई हजार कबायली नेताओँ के लोया जिरगा में इस समझौते पर सहमति बनी थी. लोया जिरगा में कबीलों के नेताओं ने अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौते का अनुमोदन कर दिया. लेकिन करजई ने फिलहाल इस पर दस्तखत नहीं किया है. उनका कहना है कि अमेरिका को पहले अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लानी होगी. करजई अमेरिका से अफगानिस्तान में सैन्य तलाशियों को बंद करने और अगले साल के चुनाव में सहयोग देने की मांग कर रहे हैं. इससे पहले करजई ने कहा था कि वे अप्रैल 2014 में होने वाले चुनाव के बाद समझौते पर दस्तखत करेंगे.

जर्मनी की नई रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन ने पिछले महीने अफगानिस्तान के दौरे के समय कहा था कि वह चाहेंगी कि जर्मनी ने "जो शुरू किया है वह काम पूरा करे." नाटो की अंतरराष्ट्रीय सेनाएं अफगानिस्तान में शांति और सुव्यवस्था लाने की कोशिश में लगी हुई हैं.

इस बीच बृहस्पतिवार को एफ-पाक इंटरनेशनल कांटेक्ट ग्रुप (आईसीजी) फोरम की नई दिल्ली में एक बैठक हो रही है. इस बैठक का आयोजन जर्मनी ने किया है जहां 50 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि मिलकर अफगानिस्तान में शांति बहाल करने और चुनावी सुधारों के बारे में चर्चा करेंगे.

आरआर/एमजे(डीपीए, पीटीआई)

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