सेना रिश्वत कांड में एंटनी की सफाई
२७ मार्च २०१२भारतीय संसद में लगातार दूसरे दिन सेना प्रमुख के बयान पर हंगामा मचा, जिसके बाद एंटनी ने राज्यसभा में बयान दिया. उन्होंने इस बात को माना कि जनरल वीके सिंह ने उन्हें इस बात की जानकारी दी थी कि एक व्यक्ति ने उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की. लेकिन उस वक्त इतने सबूत नहीं थे कि जांच शुरू की जा सके. रक्षा मंत्री एंटनी ने सोमवार को ही इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं.
रविवार को सेना प्रमुख सिंह ने द हिन्दू अखबार को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि सेना से हाल में रिटायर हुए एक अधिकारी ने उन्हें 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की और कहा कि वह घटिया गाड़ियों की खरीद को हरी झंडी दे दें. सिंह ने दावा किया कि उन्होंने फौरन इस बात की खबर भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी को दे दी. उनका कहना है कि रक्षा मंत्री ने परेशान होकर सिर हिलाया और कहा कि ऐसे लोगों को दूर रखना है. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सेना का भेदिया
सिंह का कहना है कि रिश्वत की पेशकश करने वाला व्यक्ति सेना को बखूबी जानता है क्योंकि वह बरसों भारतीय फौज में नौकरी कर चुका है. सिंह ने कहा कि घूस ऑफर करने वाले ने उनसे कहा, "पहले के लोगों ने भी ऐसे पैसे लिए हैं और आपके बाद के लोग भी लेंगे." इस पूरे मामले में लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह का नाम लिया जा रहा है, जो हर तरह के आरोपों से इनकार करते हैं. हालांकि उनका नाम पहले भी मीडिया में स्टोरी लीक करने को लेकर सामने आ चुका है.
इसी साल रिटायर हो रहे वीके सिंह इससे पहले अपनी उम्र को लेकर विवादों में थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला हाल ही में खत्म हुआ है, जिसमें सिंह की हार हुई. राजनीतिक स्तर पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि सिंह ने इस मामले को तभी क्यों नहीं उठाया था, जब यह सामने आया और इसके लिए इतना इंतजार क्यों किया. सिंह का कहना है कि उन्होंने तब भी इस बारे में रक्षा मंत्री को जानकारी दे दी थी.
ईमानदार एंटनी
भले ही रक्षा मंत्री एंटनी की ईमानदारी की कसमें खाई जाती होंगी लेकिन नेताओं और जानकारों का सवाल है कि जब उन्हें इस तरह की जानकारी दी गई, तो इस पर खामोश रहना क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नहीं होगा. एंटनी ने संसद में सफाई देते हुए कहा है कि वह इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें लिखित शिकायत नहीं दी गई.
घोटालों की सेना
भारत के अंदर सेना का जबरदस्त सम्मान है और सैनिकों को बहुत इज्जत की नजर से देखा जाता है. लेकिन सेना हमेशा इस तरह के भ्रष्टाचार के मुद्दे में फंसती रही है. इससे पहले मुंबई का आदर्श सोसाइटी घोटाला सुर्खियों में रहा, जिसमें कारगिल के शहीदों की जगह सेना के अफसरों को मकान अलॉट कर दिए गए. इससे पहले कारगिल संघर्ष के बाद ताबूत घोटाला भी सामने आया था, जिसमें ताबूतों की खरीद में हेर फेर का आरोप है.
वैसे भारतीय सेना का सबसे ज्यादा चर्चित घोटाला बोफोर्स कांड है, जिसके छींटे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक पर पड़े. इटली के ओत्तावियो क्वात्रोकी को इसका प्रमुख दलाल बताया जाता है, जो आज भी भारतीय कानून की पहुंच से बाहर है. अस्सी के दशक में करोड़ों रुपये के इस घोटाले के बाद बरसों जांच चली, जिसके बाद राजीव गांधी को निर्दोष साबित कर दिया गया.
आने वाले सौदे
भारत हाल ही में दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है. इसने अपने रक्षा इतिहास का सबसे बड़ा सौदा भी पिछले दिनों ही किया है, जब उसने फ्रांस में बनी रफाएल युद्घक विमानों को खरीदने का फैसला किया. हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि यह सौदा यूरोप की सबसे बड़ी विमान कंपनी एयरबस बनाने वाली ईएडीएस से होना था. यूरोप के देश इसे भी विवादों में घसीटने की कोशिश में लगे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन