सौर ऊर्जा की मदद से दुनिया की सैर
४ जनवरी २०२३इसके लिए पाल्मेर ने सौर ऊर्जा से चलने वाला तितली जैसा एक खास वाहन तैयार किया है, जिसमें एक छोटा सा वीडियो स्टूडियो भी है. उनके रास्ते में 6 महाद्वीपों के 90 देश आएंगे. सोलर बटरफ्लाई सौर ऊर्जा से चलने वाला कैंपर वैन है. यानि गाड़ी की तरह चलने वाला टिनी हाउस. इस यात्रा का एक ठिकाना बर्लिन भी रहा. यहां एक कार्यक्रम में लुई पाल्मेर कहा, "हम ऐसे लोगों से मिलना चाहते हैं जो जलवायु परिवर्तन पर कुछ काम कर रहे हैं."
उनका इरादा नए विचारों वाले ऐसे लोगों और कंपनियों के अधिकारियों से मिलना था जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयासों लगे हैं. वे ऐसे लोगों के साथ सोशल मीडिया के लिए वीडियो बना रहे हैं जिसमें वे दिखाना चाहते हैं कि दुनिया नए विचारों से भरी हुई है. वे कहते हैं, "यह विश्वास से परे है कि कार्बन उत्सर्जन हमारी दुनिया को बर्बाद कर रहा है, जबकि हमारे पास बहुत से उपाय हैं ."
पाल्मेर की सोलर तितली
कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए लुई पाल्मेर का उपाय है तितली जैसा दिखने वाला सोलर घर. पहियों पर चलने वाला पाल्मेर का यह घर अपने 70 वर्ग मीटर के पंखों को तितली की तरह खोल देता है. इससे इलेक्ट्रिक कार और 30 वर्ग मीटर के अंदरूनी हिस्से को बिजली मिलती है. उनकी गाड़ी एक फुल चार्जिंग में करीब 300 किलोमीटर तक चल सकती है.
लूसर्न यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेज की मदद से पाल्मेर ने 15 महीनों में यह सोलर तितली तैयार की है. यह दुनिया का पहला वाहन है, जिसका ज्यादातर हिस्सा समंदर से इकट्ठा किए गए प्लास्टिक कचरे से बना है. यह कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन मुक्त है. पाल्मेर बताते हैं, "यहां हम सबकुछ बिजली से चलाते हैं. सिर्फ कॉफी मेकर ही नहीं, टीवी स्टूडियो, स्टोव, माइक्रोवेव, शॉवर, कैमरा, कंप्यूटर, सब कुछ, जो भी हमें चाहिए."
पहला इको प्रोजेक्ट नहीं
यह पाल्मेर का पहला प्रोजेक्ट नहीं है. 2007 से 2008 तक उन्होंने सोलर टैक्सी में दुनिया का चक्कर लगाया था. तब ऐसा करने वाले पाल्मेर पहले शख्स थे. इस बार वाहन तितली की तरह दिख रहा है. वजह भी वाजिब है. पाल्मेर कहते हैं, "हमने तितली डिजाइन सोच समझकर रखा क्योंकि यह खुद को बदलता है. यह कैटरपिलर से शुरू होता है, सब कुछ जमीन से लेने वाला जीव. हम इंसान भी ऐसे ही हैं. हम जमीन से सब कुछ निकालते हैं, तेल, गैस, कोयला वगैरह. हम इंसानों को कैटरपिलर का रास्ता चुनना होगा."
ऐसा इसलिए कि कैटरपिलर अचानक से पंख निकाल लेता है और फिर उड़ता है एक फूल से दूसरे तक. इसी तरह इंसान को भी अपने रास्ते देखने होंगे. अक्षय ऊर्जा की तरफ बढ़ना होगा, फिर कोयले, प्राकृतिक गैस और तेल की जरूरत नहीं रहेगी.
पेरिस समझौते की सालगिरह तक टूअर
पाल्मेर और उनकी टीम इस यात्रा के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने पर खासा जोर दे रही है. सौर ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों के बारे में जानकारी और पहुंच वाकई पर्यावरण संरक्षण में मददगार होगी. लुई पाल्मेर कहते हैं, "अकेली सौर ऊर्जा ही हमें ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव से बचा सकती है. हम इसका इस्तेमाल घर गर्म रखने, कार चलाने, बिजली पैदा करने, हाइड्रोजन बनाने और हवाई जहाज की ऊर्जा के लिए कर सकते हैं."
अगर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल इन सब चीजों के लिए किया जा सके तो कार्बन उत्सर्जन की करीब 3 चौथाई समस्याएं अकेली सौर ऊर्जा से हल हो जाएंगी. पाल्मेर का यह सोलर बटरफ्लाई वर्ल्ड टुअर 12 दिसंबर 2025 को पेरिस में खत्म होगा. इस दिन पेरिस जलवायु समझौते की 9वीं सालगिरह होगी.