स्पेस स्टेशन को मानवरहित छोड़ने का डर
१ सितम्बर २०११अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेतावनी दी है कि अगर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को खाली छोड़ा गया तो उसके खोने का खतरा बढ़ जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अगर रूसी यान अपने मिशन पर दोबारा नहीं जाता है और नवंबर तक वापस नहीं लौटता है तो खतरा बना रहेगा. रूस के अधिकारियों के साथ हुई एक कॉनफ्रेंस कॉल में अमेरिकी स्पेस एजेंसी के आईएसएस प्रोगाम मैनेजर माइकल सुफेरदेनी ने कहा, "आईएसएस को खोने का खतरा तब बढ़ जाता है जब वह मानव रहित होता है. अंतरिक्ष यात्री रहने से आईएसएस को खोने का जोखिम कम है."
सोमवार को रूस ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए जाने वाले अपने मानव अंतरिक्ष मिशन को एक महीने के लिए टाल दिया. रूस का एक अंतरिक्ष कार्गो रॉकेट दुर्घटना का शिकार हुआ है जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. 24 अगस्त को अंतरिक्ष कक्षा में जाने के बजाए यह रॉकेट साइबेरिया में गिर गया.
रूस के मानव संचालित स्पेस फ्लाइट प्रोगाम के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तैनात अंतरिक्ष यात्रियों को थकान और सप्लाई की कमी के कारण अंतरिक्ष कक्षा से मजबूरन वापस आना पड़ेगा. स्टेशन के चालक दल में आमतौर पर 6 यात्री होते हैं. वह 6-6 महीने की रोटेशन पर काम करते हैं. फिलहाल 6 चालक दल के सदस्यों में तीन रूसी, दो अमेरिकी और एक जापानी शामिल हैं. सुफेरदेनी ने कहा, "कर्मचारियों की सुरक्षा और रूस और अमेरिका का आईएसएस में बड़ा निवेश आने वाले फैसलों का मार्गदर्शन करेगा. हम उस हालात में काम करना पसंदी नहीं करेंगे जहां चालक दल लंबे समय के लिए मौजूद नहीं होंगे."
क्या है अंतरिक्ष स्टेशन
अंतरिक्ष स्टेशन को ऑर्बिटल स्टेशन ( कक्षीय स्टेशन ) के नाम से भी जाना जाता है. इंसानों के रहने योग्य यह एक उपग्रह होता है, जिसे इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने में सक्षम हो. इसके अलावा इसमें इतनी क्षमता होती है कि इस पर अंतरिक्ष यान उतारा जा सके. इन्हें पृथ्वी की लो-ऑर्बिट कक्षा में ही स्थापित किया जाता है.
दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है. ये स्टेशन एक प्रकार के मंच की तरह होते हैं, जहां से पृथ्वी का सर्वेक्षण किया जा सकता है, आकाश के रहस्य मालूम किए जा सकते हैं और भविष्य में इन्हीं मंचों से ग्रहों की मानवयुक्त यात्राएं की जा सकती हैं.
रूस, अमेरिका, यूरोप, जापान और कनाडा की स्पेस एजेंसी इस पर मिलकर काम करती हैं. वर्ष 1998 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण शुरु हुआ था. पहले इसे सिर्फ 15 साल के लिए अंतरिक्ष में रखने की बात थी लेकिन एक करार के बाद इसका इस्तेमाल 2020 तक किया जाएगा. 2003 में कोलंबिया शटल यान के हादसे का शिकार होने के नासा ने आईएसएस को खाली छोड़ने का फैसला किया था लेकिन बाद में स्टेशन पर हर वक्त अंतरिक्ष यात्री रखने का फैसला किया.
रिपोर्ट:एजेंसियां/आमिर अंसारी
संपादनः वी कुमार