हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम
१८ जुलाई २०१८न्यूजीलैंड की एक ट्रस्ट कंपनी ने अपने वर्किंग वीक कल्चर को स्थायी रूप से बदलने का एलान किया है. कंपनी ने मार्च 2018 में एक परीक्षण शुरू किया. ट्रायल के दौरान कर्मचारियों से सिर्फ चार दिन काम कराया गया. आठ हफ्तों तक किए गए परीक्षण के नतीजे हैरान करने वाले रहे. कंपनी पर्पेचुअल गार्डियन के चीफ एक्जीक्यूटिव एंड्र्यू बार्नेस के मुताबिक, "उत्पादकता थोड़ी बेहतर हुई, तनाव का स्तर गिरा."
ट्रायल के दौरान कंपनी के सभी 240 कर्मचारियों से कहा गया कि वे हर हफ्ते सिर्फ चार दिन ही काम पर आएं. इस तरह हर कर्मचारी को महीने चार ऑफ ज्यादा मिले. तनख्वाह में कोई कटौती नहीं की गई.
ट्रॉयल की निगरानी ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की रिसर्चरों ने की. रिसर्चरों के मुताबिक काम के घंटे घटाने से कामकाज पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा. ट्रॉयल से पहले कंपनी के 54 फीसदी कर्मचारी काम और निजी जीवन के संतुलन को लेकर खुश थे. चार दिन काम करने के बाद ऐसे कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 78 फीसदी हो गई.
देश के प्रमुख अखबार न्यूजीलैंड हेरल्ड से बात करते हुए कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव बार्नेस ने कहा, "हमने देखा कि काम के प्रति लोगों को प्रतिबद्धता बहुत ज्यादा बढ़ गई और स्टाफ में संतुष्टि का भाव भी बढ़ा, कंपनी के साथ काम जारी रखने की भावना में भी काफी इजाफा हुआ और प्रोडक्टिविटी में कोई गिरावट नहीं आई."
काम काज और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना मौजूदा दौर की बड़ी समस्या है. तकनीकी बदलावों के चलते रोजगार के तरीके बदल रहे हैं. यही वजह है कि होम ऑफिस और रिमोट वर्क जैसे तरीके अब कई कंपनियां इस्तेमाल करने लगी हैं.
(नौकरी से निकाला जाना किसी भी कर्मचारी के लिए जितना दर्दनाक होता है, उतना ही बड़ा धक्का किसी भी कंपनी को एक अच्छे कर्मचारी के नौकरी छोड़ कर चले जाने से भी लगता है. जानिए किन वजहों से लोग छोड़ते हैं नौकरी.)
लुइजा राइट/ओएसजे