हांगकांग के लिए ब्रिटेन के वीजा नियम ने खड़े किए नए सवाल
३ फ़रवरी २०२१हांगकांग में रहने वाले तकरीबन तीस लाख लोग जो ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट (बीएनओ) धारक हैं या वो इसके योग्य हैं, अब उनके पास ब्रिटेन में जाकर रहने का विकल्प मौजूद है. रविवार से हांगकांग के लिए विशेष वीजा रूट खोल दिया गया है जिसकी घोषणा ब्रिटिश प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने पिछले साल जुलाई में की थी. यह घोषणा तब की गई जब जून में चीन ने हांगकांग को भी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के दायरे में लाते हुए लोगों के राजनैतिक अधिकारों पर लगाम कसना और लोकतांत्रिक आवाजों का दमन शुरू किया. नया वीजा रूट शुरू होने से पहले बीते शुक्रवार को बॉरिस जॉनसन ने इसे हांगकांग के साथ संबंधों और दोस्ती के मद्देनजर उठाया गया एक कदम बताते हुए कहा कि "हम आजादी और स्वायत्तता के पक्ष में खड़े हैं जिसकी कद्र ब्रिटेन और हांगकांग करते हैं.”
नए वीजा के रास्ते हांगकांग में ब्रिटिश पासपोर्ट धारकों के लिए ब्रिटेन ने अपना दरवाजा तो खोला है, लेकिन यहां से सवालों का नया सिलसिला शुरू होता है. क्या ये रास्ता सबके लिए मुमकिन है? कितने लोग वाकई हांगकांग छोड़कर ब्रिटेन की राह पकड़ सकते हैं और ब्रिटेन-चीन संबंधों पर इसका क्या असर होगा. हांगकांग की स्वायत्तता के पक्षधर और ब्रिटेन में शरण लेने वाले युवा नेता नेथन लॉ ने बातचीत में कहा कि "लोगों को चीन के दमन से निकलने का एक विकल्प देना अहम है लेकिन इस तरह की वीजा स्कीम को लागू करते वक्त बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है. ये देखना होगा कि हांगकांग के सरकारी महकमों से जुड़े लोग इसका फायदा ना उठाएं और सिर्फ मदद उन लोगों को मिले जो वाकई जुल्म के शिकार हैं.”
चीन ने की बीएनओ की मान्यता खत्म
चीन ने ब्रिटेन के इस कदम को 1997 में हांगकांग पर हुए समझौते के खिलाफ बताते हुए आलोचना की है. चीनी विदेश मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर आई प्रतिक्रिया में कहा गया कि "ये हांगकांग के नागरिकों को दोयम दर्जे का ब्रिटिश नागरिक बनाने की ओर उठाया गया कदम है.” चीन की तरफ से आए बयान में ये भी कहा गया कि अब वो बीएनओ को व्यक्तिगत पहचान पत्र या देश के भीतर आवाजाही के लिए जरूरी कागजात के तौर पर स्वीकार नहीं करेगा और इस पर आगे की कार्यवाई का हकदार होगा. हालांकि चीन इसे अमली जामा किस तरह से पहनाएगा ये अभी पूरी तरह से साफ नहीं है.
नए वीजा नियमों के तहत हांगकांग से लोग ब्रिटेन में आकर रह सकेंगे, उन्हें काम करने और पढ़ने का अधिकार होगा. नए वीजा रूट के जरिए ऐसे प्रावधान रखे गए हैं जो बीएनओ पासपोर्ट धारकों के लिए ब्रिटिश नागरिकता का रास्ता भी फास्ट ट्रैक कर सकते हैं. साथ ही वह नियमों पर खरे उतरने की स्थिति में ब्रिटेन में ही बस जाने की अर्जी भी दे सकेंगे. पांच साल का वीजा दाखिल करने की फीस प्रति व्यक्ति ढाई सौ ब्रिटिश पाउंड रखी गई है और तीस महीने की अवधि का वीजा लगाने के लिए एक सौ अस्सी पाउंड खर्च करने होंगे. इस फीस पर छह सौ चौबीस पाउंड का हेल्थ सरचार्ज अलग से देना होगा. गौरतलब है कि इस नए रूट के खुलने से पहले ही सात हजार लोग हांगकांग से आकर ब्रिटेन में रह रहे हैं और ब्रिटेन में चीनी मूल के लोग भी बसे हुए हैं हालांकि उनकी कुल संख्या अन्य प्रवासियों के मुकाबले काफी कम है.
जमीनी चुनौतियां और ब्रिटेन चीन संबंध
चीन लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि हांगकांग के मामले में ब्रिटेन को टांग अड़ाने का कोई हक नहीं है क्योंकि ये उसका अंदरूनी मामला है. उधर ब्रिटेन, हांगकांग के साथ अपने संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की दुहाई देते हुए इसे अपनी जिम्मेदारी बताता है लेकिन कुछ जानकारों की राय ब्रिटेन के रुख पर सवाल उठाती है. स्कॉटलैंड के सेंट ऐन्ड्रूज विश्वविद्यालय में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर ग्रेगरी ली कहते हैं कि "चीन में दमनकारी नीतियां लागू करने का सफर बहुत लंबा है. ब्रिटेन ने उस पर दबाव बनाने में कोई भूमिका नहीं निभाई है. मुझे लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है और ऐसा कोई तरीका नजर नहीं आता जो चीन पर दबाव बना सकता हो.”
मुश्किलें उन लोगों के साथ भी होंगी जो ब्रिटेन आकर रहने लगेंगे. प्रो. ली पूछते हैं, "अगर लोग यहां आ भी जाएंगे तो क्या उनकी नए सिरे से पहचान की तलाश आसान होगी? क्या लोगों के पास इतने पैसे हैं कि वो यहां आकर अपना जीवन शुरू कर सकें? स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों के क्या अधिकार होंगे? ये मामला जितना आसान लग रहा है उतना है नहीं.” शायद कुछ नामचीन राजनैतिक नामों को नए नियमों का फायदा मिल भी जाए लेकिन आम लोगों के लिए स्थिति आसान नहीं होगी. चीन-ब्रिटेन सांस्कृतिक संबंधों की बात करते हुए प्रोफेसर ली कहते हैं कि ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में चीनी छात्रों से होने वाली आय पर निर्भरता भी पिछले सालों में बहुत बढ़ी है और आने वाले वक्त में इसका बुरा असर देखने को मिलेगा.
चीन के साथ टकराव की बढ़ती संभावनाएं और इस योजना के जमीनी असर को लेकर सवाल लगभग हर उस शख्स के मन में है जो हांगकांग के हालात को नजदीक से जानता है. तकरीबन छह साल पहले ब्रिटेन आ चुके डेविड, हांगकांग के समर्थन में गठित फाइट फॉर फ्रीडम, स्टैंड विद हांगकांग समूह से जुड़े हैं. वे कहते हैं, "इस वीजा स्कीम से युवाओं को फायदा होने की उम्मीद है. हांगकांग छोड़कर यहां आने वाले लोगों की जिंदगी को मुमकिन बनाने के लिए ब्रिटिश सरकार को जमीन तैयार करनी होगी. लोगों की जिंदगी चैरिटी संस्थाओं पर निर्भर नहीं रह सकती इसलिए ऐसे उपाय करने होंगे जिससे लोग नए सिरे से जिंदगी शुरू कर सकें.” इस योजना के आने के बाद चर्चा इस बात की भी है कि हांगकांग छोड़ने के इच्छुक लोगों के खिलाफ निगरानी और कार्रवाइयों का दौर कहीं तेज ना हो जाए.
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