100 दिनों से डर
२४ जुलाई २०१४14 और 15 अप्रैल की दरम्यानी रात पूर्वोत्तरी शहर चिबोक के सरकारी स्कूल के सामने कई ट्रक आकर खड़े हो गए. ट्रक में आतंकवादी दल बोको हरम के लड़ाके सवार थे. इन्होंने लड़कियों को नींद से जगाया और उन्हें ट्रकों में लाद कर ले गए. बोर्नो के गवर्नर ने अगले दिन बताया कि 129 लड़कियों का अपहरण हुआ जिनमें से 52 भागने में सफल रहीं. हालांकि स्कूल की डायरेक्टर असाबे आलियू क्वार्मबूला के मुताबिक यह आंकड़ा गलत है. बोको हराम ने कई और बच्चियों को अपने कब्जे में ले लिया है. यह लड़कियां 12 से 18 साल के उम्र की हैं. आज तक इनका पता नहीं चल पाया है.
इनमें से एक लड़की की मां कहती है, "जब से उसका अपहरण हुआ है, तब से मैं त्रस्त हूं. मुझे किसी चीज से फर्क नहीं पड़ता. अगर कोई मुझे बंदूक से धमकाये, तो भी नहीं. अगर मैं मर जाऊं, तो भी नहीं." इस साल मई में सेना के प्रमुख आलेक्स बादे ने पत्रकारों से कहा कि नाइजीरिया की सेना को छात्राओं का पता है. लेकिन इसके बारे में और कोई जानकारी नहीं दी गई. शुरुआत में ऐसी अफवाहें भी थीं कि बोको हराम बच्चियों को पड़ोसी देश कैमरून ले गया है.
हमारी लड़कियों को वापस लाओ
लड़कियों के अपहरण के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने नाइजीरिया की सरकार पर दबाव डालना शुरू किया. ट्विटर में ब्रिंग बैक आवर गर्ल्स नाम का अभियान शुरू हुआ और पाकिस्तान की कार्यकर्ता मलाला जैसे कई लोगों ने लड़़कियों को वापस घर लाने की मांग की. अब भी कई माता पिता अपने बच्चियों को वापस लाने की मांग कर रहे हैं और सरकार पर रैलियों के जरिए दबाव डाल रहे हैं. लेकिन नाइजीरिया की पूर्व शिक्षा मंत्री ओबी एजेकवेसीली कहती हैं, "सच्चाई तो यह है कि लड़कियों के माता पिता और चीबोक के समुदाय को सरकार के मुकाबले बाकी तबकों से ज्यादा सहारा मिला है. इसे बदलना होगा."
इस हफ्ते पहली बार लड़कियों के अपहरण के बाद राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन ने उनके माता पिता से मुलाकात की. वैसे तो कई बार मिलने की योजना बनाई गई लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया. 177 परिवारवालों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. इनमें वह लड़कियां भी शामिल थीं जो अपहर्ताओं के शिकंजे से भाग निकलीं.
सेना कमजोर है
लड़कियों के परिवारवाले निराश हैं और सरकार की आलोचना विपक्षी पार्टी ही नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी के लोग कर रहे हैं. पूर्वोत्तर में बहुत सारे सैनिक तैनात किए गए हैं लेकिन फिर भी अपहरण आए दिन होते रहते हैं. हाल ही में एक जर्मन शिक्षक को गोंबी शहर से अगवा कर लिया गया. सेना उसे छुड़ा नहीं पाई है. डीडब्ल्यू से बातचीत कर रहे पूर्व सैनिक अबूबकर ऊमर कहते हैं, "हथियारों की कमी तो है ही, लेकिन सैनिकों में कोई उत्साह नहीं है."
लोगों का सेना से विश्वास पूरी तरह उठ चुका है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सेना जनरल बोको हराम के कार्यकर्ताओं को खुफिया जानकारी देते हैं, उन्हें हथियार भी दिलाते हैं. इस बीच देश में कई लोगों ने बोको हराम के साथ बातचीत की मांग कर रहे हैं. पूर्व सेना जनरल उमर का भी यही कहना है. लेकिन गुडलक जोनाथन की सरकार अब भी इस विकल्प पर नहीं सोच रही. इस बीच बोको हराम ने डांबोआ शहर पर हमला किया है. 15,000 लोग अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं.
रिपोर्टः श्टेफानी डुकश्टाइन/मानसी गोपालकृष्णन
संपदानः ओंकार सिंह जनौटी