काबुल में गुरुद्वारे पर हमले के बाद भारत ने दिए 111 वीजा
२० जून २०२२भारत ने रविवार को 111 अफगान सिखों को भारत का वीजा दिया. इससे एक दिन पहले ही काबुल के एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी और तीन लोग घायल हुए थे. इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खोरसान प्रोविंस (ISKP) नामक आतंकवादी संगठन ने यह कहते हुए ली थी कि भारत में पैगंबर मोहम्मद के अपमान का बदला लिया गया है.
भारतीय अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि हमले के कुछ घंटों के भीतर ही ई-वीजा देने का निर्णय ले लिया गया था. हमला शनिवार को तब हुआ जब 25-30 सिख और हिंदू काबुल स्थित मुख्य गुरुद्वारे दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह करते परवान में जमा हुए थे. ये लोग सुबह की प्रार्थना या सुखमणि साहब के लिए जमा हुए थे जब करीब चार बंदूकधारी गुरुद्वारे में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी करने लगे.
तालिबान ने एक बयान में कहा कि बारूद से भरी एक कार को गुरुद्वारे में घुसने से रोक दिया गया जिसके बाद आतंकियों ने उस कार में गुरुद्वारे में पहुंचने से पहले ही धमाका कर दिया. काबुल के सुरक्षा बल के एक प्रवक्ता ने बताया कि एक हमलावर भी मारा गया है.
डर में जीते सिख
गुरुद्वारे के पास रहने वाले एक सिख गुरनाम सिंह ने समाचार चैनल अल जजीरा को बताया, "मैं गुरुद्वारे के पास ही रहता हूं और सुबह काम के लिए तैयार हो रहा था जब मैंने धमाका सुना. उससे पहले कभी मैंने इतना जोर का धमाका महसूस नहीं किया था." मरने वालों में गुरुद्वारे में ही रहने वाले सरदार सविंदर सिंह गजनेची शामिल हैं.
सिखों पर इस्लामिक स्टेट ने पहले भी हमले किए हैं. 2020 मार्च में आईएस-के के सदस्यों ने काबुल के शोर बाजार में हर राय साहिब गुरुद्वारे पर हमला किया और 25 सिखों को मार दिया था. अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद सिखों के देश छोड़ने का नया सिलसिला शुरू हो गया था.
गुरनाम सिंह का अंदाजा है कि अब 140 लोग बचे हैं जिनमें से अधिकतर जलालाबाद या काबुल में हैं. काबुल में बचे ये मुट्ठीभर सिख गुरुद्वारे में अरदास के लिए जमा होते हैं. पिछले साल नवंबर में गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब की तीन प्रतियां थीं जिनमें से दो भारत ले जाई जा चुकी हैं.
भारत की योजना पर संदेह के बादल
काबुल में गुरुद्वारे पर हुए इस हमले ने भारत द्वारा वहां दूतावास को फिर से खोलने की योजना को मुश्किल में डाल दिया है. पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद बाकी देशों की तरह भारत ने भी अफगानिस्तान से कूटनीतिक संबंध तोड़ लिये थे. लेकिन इस महीने की शुरुआत में भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी तालिबान और अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाने वाले संगठनों से बात करने के लिए काबुल गए थे.
उस दल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के मामलों के लिए जिम्मेदार संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने किया था. सिंह ने पहले भी दोहा में तालिबानी अधिकारियों से मुलाकात की थी. भारतीय दल ने काबुल स्थित दूतावास के परिसर का दौरा किया और उसे ‘सुरक्षित' पाया था.
इस दौरे के बाद यह अटकलें तेज हो गई थीं कि भारत काबुल में अपना दूतावास खोल सकता है. विदेश मामलों की भारतीय परिषद यानी आईसीडब्ल्यूए की रिसर्च फेलो अन्वेषा घोष ने कहा था, "वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति शायद तुरंत नहीं होगी लेकिन जूनियर अधिकारियों के साथ दूतावास खोलने पर विचार हो रहा है."
लेकिन शनिवार के हमले के बाद भारत द्वारा खतरे की स्थिति का आकलन बदल सकता है. हालांकि ऐसी रिपोर्ट है कि तालिबान ने भारत को सुरक्षा की तसल्ली दिलाई है लेकिन सरकारी सूत्र बताते हैं कि ‘वास्तविक स्थिति' के आधार पर ही फैसला लिया जाएगा.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स, एएफपी)