2000 साल पहले यहां एक समृद्ध शहर था
बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सऊदी अरब में मक्का मदीना और तेल के साथ ही बहुत समृद्ध धरोहरें भी हैं. इन धरोहरों तक जाने की अब तक विदेशियों को अनुमति नहीं थी.
पौराणिक सभ्यता
सऊदी अरब का दक्षिण पश्चिमी शहर अल उला प्राचीन काल में अहम कारोबारी ठिकाना हुआ करता था. यह शहर पुरातत्व संबंधी अवशेषों से भरा पड़ा है. ऐसी ही धरोहरों में यह गुंबद भी शामिल हैं.
111 कब्रें
अल उला के पास ही मदा इन में भी एक आर्कियोलॉजिकल साइट है. यह 2008 से यूनेस्को विश्व धरोहर है. सन 2000 में यहां प्राचीन काल की 111 कब्रें मिलीं. कब्रों को चट्टान काटकर उसके भीतर बनाया गया था.
हैरतंगेज इंजीनियरिंग
रेगिस्तान के बीच में हरा भरा इलाका. करीब 2000 साल पहले यहां रहने वाले लोग सिंचाई और खेती के एक्सपर्ट थे. नबातेन लोगों को हाइड्रॉलिक्स और फव्वारे बनाने का विशेषज्ञ माना जाता है. आज कई सदियों बाद भी यह बाग हरा भरा है.
संदेश छोड़ गए
यहां रहने वाला समुदाय चट्टानों पर अपना संदेश भी छोड़ गया है. अभी तक यह किसी की समझ में नहीं आया है कि इन संदेशों का अर्थ क्या है.
विरासत बचाने की कोशिश
2018 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इन विरासतों को बचाने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया. रेतीली हवाओं के चलते ये धरोहरें धीरे धीरे नष्ट होती जा रही हैं.
ऊपर से नजारा
पूरे इलाके का मुआयना करने के लिए एरियल सर्वे जरूरी था. दो साल तक अब पुरातत्व विज्ञानी इस इलाके की व्यापक समीक्षा करेंगे. हेलिकॉप्टरों, ड्रोनों और सैटेलाइटों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
बर्बाद शहर का वीजा
अब तक बहुत ही कम और हाई प्रोफाइल लोगों को यहां आने का वीजा मिला हैं. इनमें ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स जैसे नाम शामिल हैं. अब सऊदी अरब पहली बार आम लोगों को अल उला के लिए वीजा देने की तैयारी कर रहा है.
पीआर एक्सरसाइज
मार्च में सऊदी अरब ने पहली बार पत्रकारों के एक ग्रुप को अल उला का दौरा कराया. महिला पत्रकारों के लिए हिजाब पहनने की शर्त भी नहीं थी. हो सकता है कि टूरिस्टों को भी ऐसी छूट दी जाए. यह सऊदी अरब के लिए अपनी छवि बेहतर करने का जरिया है.
व्यापक संसाधनों की जरूरत
तीन से पांच साल के भीतर अल उला में पर्यटक आने लगेंगे. लेकिन अभी वहां सिर्फ दो ही होटल हैं, जिनमें 120 लोग ही रह सकते हैं. (रिपोर्ट: आर्न्ड रिकमन/ओएसजे)