21 साल में बना भारत का सबसे लंबा रेल-रोड ब्रिज
पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम में देश का सबसे लंबा 'डबल डेकर' पुल बना है. करीब 5 किमी लंबे बोगीबिल रेल-सह-रोड ब्रिज का क्या महत्व है, जानिए.
कैसा है पुल
कुल 4.94 किलोमीटर लंबे इस पुल को दो यूरोपीय देशों स्वीडन और डेनमार्क को जोड़ने वाले ब्रिज की तर्ज पर बनाया गया है. इस ब्रिज के निचले हिस्से में ब्रॉड गेज रेलवे लाइन की दो पटरियां बिछाई गई हैं. ऊपरी हिस्से में तीन लेन वाली सड़क है. यह अपने किस्म का एशिया का दूसरा सबसे लंबा ब्रिज है.
तकनीक और खर्च
यह भारत का पहला ऐसा ब्रिज है जो पूरी तरह वेल्डिंग से जोड़ कर बने स्टील-कंक्रीट कंपोजिट गर्डर्स से बना है. स्टील के इन गर्डरों की कुल लंबाई 19 हजार, 250 मीटर है जो माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से दोगुनी से भी ज्यादा है. इस पर पांच हजार नौ सौ करोड़ रुपए की लागत आई है. इसके निर्माण में लगभग 68 हजार मीट्रिक टन स्टील लगा है.
सामरिक महत्व
यह ब्रिज ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ को धेमाजी होकर अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर स्थित नाहरलागून को जोड़ता है. भारतीय सेना को भी भारत-चीन सीमा के पास पहुंचने में मदद मिलेगी. रेलवे के लिए इस ब्रिज का निर्माण हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने किया है.
परिवहन में क्रांति
इससे पुल को जोड़ने वाले शहरों के बीच आवाजाही का वैकल्पिक रास्ता तो खुलेगा ही, आपात स्थिति में सुरक्षा बलों को सीमा पर आवाजाही में भी काफी सहूलियत होगी. चीन सीमा से नजदीक होने की वजह से सामरिक रूप से इस ब्रिज की काफी अहमियत है. इस पर बनी सड़क के तीन लेन पर वायुसेना के तीन लड़ाकू विमान उतर सकते हैं.
21 साल में बना
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने जनवरी, 1997 में बोगीबिल ब्रिज का शिलान्यास किया था. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में औपचारिक रूप से निर्माण कार्य शुरू होने के बाद अप्रैल, 2002 में ही इसका काम शुरू हो सका था. वाजपेई के 94वें जन्मदिन के मौके पर इसका उद्घाटन हुआ.