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जलवायुऑस्ट्रेलिया

23 साल की छात्रा ने ऑस्ट्रेलिया सरकार को झुकाया

३१ अगस्त २०२३

ऑस्ट्रेलिया सरकार इस बात के लिए राजी हो गयी है कि देश के संप्रभु बॉन्ड खरीदने वालों को बताएगी कि उनके निवेश के लिए जलवायु परिवर्तन एक व्यवस्थागत खतरा है. यह सब 23 साल की एक छात्रा डी द्वारा दायर किये मुकदमा की बदौलत हुआ.

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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में जलवायु परिवर्तन युवाओं के लिए बड़ा मुद्दा हैतस्वीर: Lisa Maree Williams/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रहने वालीं काटा ओ डॉनल ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार के खिलाफ अपने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. उनका आरोप था कि सरकारी बॉन्ड्स खरीदने वालों को यह नहीं बताया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन भी उनके निवेश के लिए खतरा है.

2020 में दायर इस जनहित याचिका में मांग की गयी थी कि सरकार को यह सूचना भी बॉन्ड्स बेचते वक्त देनी चाहिए. ऑस्ट्रेलिया सरकार ने काटा और अन्य वादियों के साथ समझौता कर लिया है.

समझौते के तहत केंद्र सरकार यह बयान जारी करने पर सहमत हो गयी है कि जलवायु परिवर्तन एक व्यवस्थागत खतरा है जो बॉन्ड्स की कीमत को प्रभावित कर सकता है. बदले में काटा ने यह शर्त छोड़ दी है कि सरकार घोषणा करे कि उसने निवेशकों को भ्रमित करने वाली जानकारी दी.

पहला अहम कदम

समझौते के बाद मीडिया से बातचीत में काटा ओ डॉनल ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के खतरों को मानने की दिशा में यह समझौता एक अहम पहला कदम है. सरकार को अब चाहिए कि जलवायु परिवर्तन के उन खतरों को कम करने के लिए जरूरी कदमों को प्राथमिकता दे."

काटा के वकीलों ने कहा कि यह पहली बार होगा जबकि ट्रिपल ए रेटिंग हासिल कोई देश जलवायु परिवर्तन को सरकारी बॉन्ड्स में निवेश के संभावित खतरों के रूप में मान्यता देगा.

इक्विटी जेनरेशन लॉयर्स नामक संस्था के साथ काम करने वालीं वकील क्लेयर शुस्टर ने कहा कि जुलाई 2020 में इस मुकदमे के शुरू होने के बाद से जलवायु परिवर्तन के प्रति ऑस्ट्रेलिया के रूख में काफी बदलाव आया है लेकिन अब भी बहुत कुछ करना बाकी है.

स्थानीय समाचार चैनल एबीसी से बातचीत में शुस्टर ने कहा, "यह (मुकदमा) ऐसे समय में दायर किया गया था जब जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों की बात तो छोड़िए, संघीय बजट में उसका कोई जिक्र ही नहीं था. तब से ऑस्ट्रेलिया ने कानून, नीति और बजट में जलवायु परिवर्तन को बेहतर तरीके से जगह दी है.”

पहली बार निवेशकों से संवाद

किसी भी देश में सरकारी बॉन्ड्स को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में गिना जाता है. ऑस्ट्रेलिया में अपने पेंशन फंड के जरिये अधिकतर लोग सरकारी बॉन्ड्स में हिस्सेदारी रखते हैं.

जो लोग निजी कंपनियों की जगह सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, वे अपना धन सरकार को कर्ज पर देते हैं और बदले में उन्हें नियमित ब्याज मिलता है. इन बॉन्ड्स को निवेशक बाजार भाव पर बेच भी सकते हैं और मैच्योर होने तक इंतजार भी कर सकते हैं.

शुस्टर कहती हैं कि यह पहली बार था जब किसी बॉन्ड निवेशक ने जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी. उन्होंने कहा, "इस मुकदमे के जरिये इस बात के बारे में जागरूकता बढ़ी है कि कैसे जलवायु परिवर्तन का असर विस्तृत बॉन्ड बाजार पर हो सकता है.”

समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया की सरकार जो बयान जारी करेगी, उसमें कहा जाएगा कि जलवायु परिवर्तन देश की "अर्थव्यवस्था, क्षेत्र, उद्योगों व समुदायों” के लिए खतरा पैदा करता है और वैश्विक स्तर पर नेट जीरो उत्सर्जन की ओर बढ़ने को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है.

नतीजतन, "इस बारे में भी अनिश्चितता की स्थिति है कि जलवायु परिवर्तन के वित्तीय प्रभावों से बाजार में खरीदे-बेचे जाने वाले बॉन्ड प्रभावित होंगे या नहीं.”

आर्थिक अनिश्चितता

सरकार को अपने बयान में यह भी बताना होगा कि वह क्या कदम उठा रही हैं. इनमें पर्यावरण के अनुकूल वित्तीय सुधारों का एक पैकेज तैयार करना, सालाना जलवायु परिवर्तन वक्तव्य जारी करना और ग्रीन बॉन्ड्स प्रोग्राम तैयार करना भी शामिल है.

सरकार ने कहा, "सरकार की मंशा है कि इन सुधारों से निवेशकों को नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य हासिल करने मुताबिक अपने निवेश निर्णय करने में मदद मिलेगी.”

हाल के सालों में जलवायु परिवर्तन के आर्थिक और वित्तीय प्रभावों को लेकर चिंता दुनियाभर में बढ़ी है. ऑस्ट्रेलिया के केंद्रीय बैंक की गवर्नर मिशेल बुलक ने इसी हफ्ते एक बयान में कहा था कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती अनिश्चितता के चलते केंद्रीय बैंकों के लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है और भविष्य में इस नीति में बदलाव भी करने पड़ सकते हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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