40 पत्रकार मारे जाते हैं हर साल
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के मुताबिक 2020 में पूरी दुनिया में कम से कम 42 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए. जानिए किस किस देश में पत्रकारों के लिए सबसे ज्यादा खतरा है.
हर साल मारे जाते हैं कई पत्रकार
आईएफजे के अनुसार हर साल कम से कम 40 पत्रकार और मीडियाकर्मी अपने काम की वजह से मारे जाते हैं. संस्था का कहना है कि पिछले तीन दशकों में पूरी दुनिया में 2,658 पत्रकार मारे गए हैं. यह तस्वीर है 2018 में मारे गए सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की.
सबसे खतरनाक देश
आईएफजे हर साल पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों की सूची बनाता है. पिछले पांच सालों में लगातार चौथी बार मेक्सिको इस सूची में सबसे ऊपर है. वहां 2020 में 13 पत्रकार मारे गए. तस्वीर में मेक्सिको के चियुदाद हुआरेज में एक पुलिसकर्मी उस स्थान पर पहरा दे रहा है जहां 29 अक्टूबर 2020 को मल्टीमेडिओस चैनल सिक्स के न्यूज एंकर आर्तुरो आल्बा को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी.
पाकिस्तान भी पीछे नहीं
सूची में दूसरे नंबर पर है पाकिस्तान. वहां 2020 में पांच पत्रकारों के मारे जाने की जानकारी मिली. तस्वीर में अहमद उमर सईद शेख है जिसे अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के लिए मौत की सजा दी गई थी. अप्रैल 2020 में पाकिस्तान की एक अदालत ने शेख की मौत की सजा को पलट दिया.
भारत में भी स्थिति चिंताजनक
भारत भी पकिस्तान से ज्यादा पीछे नहीं है. 2020 में भारत में कम से कम तीन पत्रकारों के मारे जाने की सूचना मिली. इतने ही पत्रकार अफगानिस्तान, इराक और नाइजीरिया में भी मारे गए. तस्वीर बेंगलुरु में 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में आयोजित किए गए एक प्रदर्शन की है.
घट रहा है चलन
आईएफजे का कहना है कि यह आंकड़े लगभग वहीं हैं जहां ये 30 साल पहले थे, जब संस्था ने इन आंकड़ों को इकठ्ठा करना शुरू किया था. संस्था का कहना है कि पत्रकारों के मारे जाने का चलन घट रहा है, लेकिन ये तस्वीर अफगानिस्तान की है जहां 10, 2020 दिसंबर को मारी गई पत्रकार मलालाई मैवान्द के ताबूत के पास लोग प्रार्थना कर रहे हैं.
सिर्फ आंकड़े नहीं
आईएफजे के महासचिव एंथोनी बैलैंगर ने कहा कि ये "सिर्फ आंकड़े नहीं हैं...ये हमारे दोस्त और सहकर्मी हैं जिन्होंने बतौर पत्रकार अपने काम के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और उसकी सबसे बड़ी कीमत चुकाई." उन्होंने कहा कि संस्था सिर्फ इन पत्रकारों को याद ही नहीं रखेगी बल्कि एक एक मामले का पीछा करेगी और सरकारों और कानूनी एजेंसियों पर दबाव बनाती रहेगी ताकि उनके हत्यारों को सजा हो सके.
मौत ही नहीं, जेल भी है खतरा
150 देशों में 600,000 सदस्यों वाला आईएफजे उन पत्रकारों की भी खबर रखता है जिन्हें जेल में डाल दिया गया है. अधिकतर मामलों में सरकारों ने खुद को बचाने के लिए बिना स्पष्ट आरोपों के इन पत्रकारों को गिरफ्तार किया है. इस समय पूरी दुनिया में कम से कम 235 पत्रकार अपने काम से जुड़े मामलों की वजह से जेल में हैं.
पत्रकारिता की कीमत
आईएफजे के अध्यक्ष युनेस मजाहेद ने कहा है कि यह सारे तथ्य सरकारों द्वारा किए जाने वाले उनकी शक्ति के उस दुरूपयोग पर रोशनी डालते हैं जो वो अपनी जवाबदेही से बचने के लिए करती हैं. उन्होंने कहा, "इतनी बड़ी संख्या में हमारे सहकर्मियों का जेल में होना हमें याद दिलाता है कि दुनिया भर में जनहित में सत्य को खोज निकालने के लिए पत्रकारों को क्या कीमत चुकानी पड़ती है."
महामारी में विशेष भूमिका
जिम्मेदार पत्रकारों और मीडिया संस्थानों की अहमियत कोरोना वायरस महामारी के इस युग में विशेष रूप से महसूस की गई है. यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल ऑड्री अजूले ने कहा है कि पत्रकार ना सिर्फ महामारी के दौरान आवश्यक जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे हैं, वो हर तरह के सच को झूठ से अलग करने में हमारी मदद भी कर रहे हैं.
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