पूरी तरह लो-टेक अपार्टमेंट
बीती जुलाई से, फ्रांस के एक इंजीनियर कोरेंटिन डे शाटेलपेरों और बेल्जियन डिजाइनर कैरोलिन पल्त्स पेरिस के पास बूलोन-बिलांकोर्ट में एक खास अपार्टमेंट में रह रहे हैं, जहां वे खुद को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयोग कर रहे हैं.
लो-टेक अपार्टमेंट
यह अपार्टमेंट 1970 के दशक की एक पुरानी नर्सरी बिल्डिंग है, जिसे उन्हें प्रशासन ने दिया है. यहां यह जोड़ा लो-टेक यानी सरल तकनीकी समाधानों का प्रयोग कर रहा है. इस प्रयोग का लक्ष्य है एक ऐसा लाइफस्टाइल डिजाइन करना जिसमें कोई कचरा न पैदा हो और पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव डाले, खासकर शहरी माहौल में रहते हुए.
क्या है लो-टेक
लो-टेक ऐसी सरल और सस्ती तकनीकें हैं जो लोगों को अपनी ऊर्जा, खाना पैदा करने और कचरे को रीसाइकिल करने में सक्षम बनाती हैं. ये तरीके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और पानी की खपत को बहुत कम कर सकते हैं.
कम से कम कार्बन उत्सर्जन
इनके अपार्टमेंट में बिना पानी की टॉयलेट, सोलर पैनल से जुड़ा हुआ कुकिंग सिस्टम और खाने योग्य कीड़ों का फार्म शामिल है. उनका मकसद है कि साल भर में 2 टन से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन ना हो और पानी की खपत 90 फीसदी तक कम हो. उदाहरण के लिए, उन्होंने औसतन एक व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले 150 लीटर पानी को घटाकर दो लोगों के लिए 33 लीटर कर दिया है.
पानी बचाओ
अपार्टमेंट में जैविक कचरे से बायोगैस बनाई जाती है और नहाने के पानी को बैक्टीरिया द्वारा साफ किया जाता है, जिससे पौधे उगाए जाते हैं और अपार्टमेंट का तापमान नियंत्रित होता है. अपार्टमेंट के अंदर 300-लीटर पानी जमा होता है, जो पौधों को उगाने, पानी को रीसाइकिल करने और गर्मी के दौरान अपार्टमेंट का तापमान बनाए रखने में मदद करता है.
बांग्लादेश में आया आइडिया
शाटेलपेरों को 2019 में बांग्लादेश में रहते हुए पहली बार लो-टेक समाधानों में दिलचस्पी आई और बाद में उन्होंने लो-टेक लैब नामक संगठन की स्थापना की.
मुश्किल है शहरी जीवन
दुनिया की आधी से अधिक आबादी शहरों में रहती है, और शाटेलपेरों का कहना है कि शहरी वातावरण में लो-टेक समाधानों को अपनाना एक चुनौती है, क्योंकि शहरी जीवन गांवों या रेगिस्तान के इलाकों में रहने से ज्यादा मुश्किल हो सकता है. वीके/सीके (रॉयटर्स)