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तकनीकसंयुक्त राज्य अमेरिका

एक ऐप जो जागरूक सपने देखने में मदद करता है

विवेक कुमार
१७ जनवरी २०२५

जब आप सपने देखते हैं, तब क्या आपको पता होता है कि आप सपना देख रहे हैं? अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐप बनाया है, जिसके जरिए सपनों में जागरूक हुआ जा सकता है.

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एस्ट्राल प्रोजेक्शन
सपने के दौरान जागरूक होना आसान नहीं होतातस्वीर: Michael Osterrieder/Zoonar/picture alliance

लूसिड ड्रीमिंग यानी सपने में यह जानना कि आप सपना देख रहे हैं. दशकों से यह विज्ञान और सपनों के शौकीनों के लिए दिलचस्पी का विषय रहा है. अब एक नए मोबाइल ऐप ने इसे आम लोगों के लिए आसान बना दिया है. यह ऐप लूसिड ड्रीमिंग की संभावना बढ़ाने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल करता है. इससे सपने देखने और चेतना की वैज्ञानिक रिसर्च में बड़ा बदलाव आ सकता है.

लूसिड ड्रीमिंग रेपिड आई मूवमेंट स्लीप (आरईएम) के दौरान होता है. यह वह नींद का चरण है जब हमारे सपने सबसे ज्यादा जीवंत होते हैं और दिमाग सक्रिय रहता है. कुछ लोग इस दौरान समझ पाते हैं कि वे सपना देख रहे हैं और कभी-कभी अपने सपने पर काबू भी कर सकते हैं.

पहले, इरादा करना और गैलेंटामाइन जैसे सप्लीमेंट्स से लूसिड ड्रीमिंग को बढ़ाने की कोशिश की गई. लेकिन ये तरीके मेहनत और तैयारी मांगते थे और हर बार सफल भी नहीं होते थे. इसके अलावा, प्रयोगशाला के माहौल में साउंड और लाइट क्यूज का इस्तेमाल किया जाता था, जो हर किसी के लिए व्यावहारिक नहीं था.

ऐप कैसे काम करता है?

अमेरिका के इलिनोय में इवानस्टोन की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्टों की नई स्टडी ने यह पहली बार साबित किया है कि "टार्गेटेड लूसिडिटी रिएक्टिवेशन" (टीएलआर) नाम की एक तकनीक बेहद कम तकनीकी संसाधनों के साथ भी सफल हो सकती है.

टीएलआर पद्धति को नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केन पॉलर की स्लीप लैब में पहले इस्तेमाल किया गया था. अब इस पद्धति को एक स्मार्टफोन ऐप के जरिए टेस्ट किया गया, जो सेंसरी स्टिमुलेशन को जागरूक सपनों या लूसिड ड्रीमिंग के साथ जोड़ता है।

इस रिसर्च ने यह साबित किया कि टीएलआर पद्धति काम करती है. जिन लोगों ने इस ऐप का इस्तेमाल किया, उन्होंने औसतन 2.11 जागरूक सपने हर हफ्ते देखे. यह आंकड़ा पहले हफ्ते के औसत 0.74 सपनों से काफी ज्यादा था.

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की पोस्ट-डॉक्टोरल साइकोलॉजी फेलो, कैरेन कॉन्कोली ने एक बयान में बताया, "यह एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि ज्यादातर लोगों के लिए एक हफ्ते में सिर्फ एक जागरूक सपना देखना भी बड़ी बात होती है."

कैरेन ने कहा, "हमारा लक्ष्य यह जानना था कि सिर्फ एक स्मार्टफोन से कितने जागरूक सपने देखे जा सकते हैं. साथ ही, हम यह देखना चाहते थे कि यह पद्धति कितनी आसान और सुलभ है."

रात में देर तक जागने वालों का दिमाग होता है ज्यादा तेज

ऐप ध्वनि के संकेतों का इस्तेमाल करता है. सोने से पहले, यूजर ऐप पर कुछ खास आवाजें (जैसे बीप्स) सुनते हैं और माइंडफुलनेस का अभ्यास करते हैं. फिर, लगभग छह घंटे बाद जब आरईएम स्लीप की संभावना ज्यादा होती है, ऐप वही आवाजें करता है. यह दिमाग को सपने के दौरान खुद को पहचानने में मदद करता है.

एक हफ्ते के प्रयोग में, 19 लोगों ने इस ऐप का इस्तेमाल किया. उनके लूसिड ड्रीम्स 0.74 प्रति हफ्ते से बढ़कर 2.11 प्रति हफ्ते हो गए. उसके बाद 112 लोगों पर हुए परीक्षण में भी ऐप ने अच्छे नतीजे दिए.

ऐप की खासियत

यह ऐप लूसिड ड्रीमिंग के पारंपरिक तरीकों को सरल और ऑटोमैटिक बनाता है. पहले जो चीजें सिर्फ लैब में संभव थीं, अब वह एक मोबाइल ऐप के जरिए आम लोगों के लिए भी मुमकिन हो गई हैं.

लूसिड ड्रीमिंग से लोग अपने सपनों को बेहतर समझ सकते हैं और काबू कर सकते हैं. यह रचनात्मकता और समस्या सुलझाने की क्षमता को बढ़ा सकता है.

कृत्रिम हृदय का सपना: हम कितने करीब हैं?

यह ऐप पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर के मरीजों को बुरे सपनों से राहत दिलाने में मदद कर सकती है. मरीज अपने सपनों की पहचान कर उन्हें बदल सकते हैं.

यह ऐप बड़ी संख्या में लूसिड ड्रीमर्स से डेटा इकट्ठा करने में मदद कर सकता है. इससे चेतना और दिमाग के काम करने के तरीके को समझा जा सकता है.

चुनौतियां भी हैं

लूसिड ड्रीमिंग हर किसी के लिए आसान नहीं है. इसे करते वक्त नींद और जागने के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है. साथ ही, ऐप का असर हर किसी पर एक जैसा नहीं होता.

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के रिसर्चर कहते हैं कि ऐप के साथ कुछ पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. जैसे दिनभर में खुद से पूछें, "क्या मैं सपना देख रहा हूं?" या फिर, अपने सपनों को लिखें. इससे सपनों की पहचान करना आसान होगा. जल्दी उठकर थोड़ी देर बाद वापस सोने से लूसिड ड्रीमिंग की संभावना बढ़ती है. सोने से पहले खुद से कहें कि आपको सपना पहचानना है.

ऐसे पूरा होगा टाइम ट्रैवल का सपना

यह ऐप लूसिड ड्रीमिंग को आम लोगों के लिए सुलभ बना रहा है. चाहे मनोरंजन हो, थेरेपी हो या रिसर्च, यह तकनीक सपनों की दुनिया को बेहतर तरीके से समझने और उसे प्रभावित करने की दिशा में बड़ा कदम हो सकती है.

 

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