नये तालिबान शासन में सार्वजनिक रूप से मौत की पहली सजा
७ दिसम्बर २०२२पिछले महीने तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबातुल्लाह अखुंजादा ने जजों को इस्लामी शरिया कानूनों को पूरी तरह से लागूकरने का हुक्म दिया था. इसमें सार्वजनिक रूप से मौत की सजा, संगसार यानी पत्थर से मारने की सजा, कोड़े मारना और चोरों के हाथ पांव काटना शामिल है.
'आंख के बदले आंख'
सुप्रीम लीडर के आदेश के बाद से सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की तो कई घटनाएं हुईं. बुधवार को पहली बार फराह प्रांत की राजधानी में लोगों के सामने मौत की सजा भी दी गई. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बयान जारी कर बताया है, "सुप्रीम कोर्ट को यह निर्देश दिया गया था कि सजा के हुक्म पर अमल देशवासियों की भीड़ के सामने हो." तालिबान प्रवक्ता ने बयान में न्याय के लिए "आंख के बदले आंख" के इस्लामी कानून का हवाला भी दिया.
तालिबान प्रवक्ता के बयान में सजा पाने वाले शख्स का नाम ताजमीर बताया गया है जो गुलाम सरवर के बेटे थे और हेरात प्रांत के अंजील जिले के रहने वाले थे. बयान में कहा गया है कि ताजमीर ने एक आदमी की हत्या की थी और उसका मोटरसाइकिल और मोबाइल फोन चुरा लिया था. इसके साथ ही यह भी कहा गया है, "बाद में पीड़ित के वारिसों ने उसकी पहचान कर ली."
प्रवक्ता के मुताबिक ताजमीर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि मौत की सजा कैसे दी गई. बयान में अदालत के दर्जनों अधिकारियों और तालिबान के प्रतिनिधियों का भी नाम है जो सजा दिये जाने के दौरान वहां मौजूद थे.
तालिबान का शासन
तालिबान के पहले शासन के दौरान सार्वजनिक रूप से खूब सजाएं दी जाती थीं. काबुल के नेशनल स्टेडियम में अकसर ये सजाएं दी जातीं और स्थानीय लोगों को इसे देखने आने के लिए खूब बढ़ावा दिया जाता. कट्टरपंथी इस्लामी नेताओं ने इस बार नरम रवैया अपनाने की बात कही थी, हालांकि वो लगातार सख्ती बढ़ा रहे हैं और आम लोगों के जीवन पर पाबंदियों का दायरा कसता जा रहा है. खासतौर से अफगानमहिलाओं को तो सार्वजनिक जीवन से लगभग पूरी तरह बाहर कर दिया गया है.
सरकार के लिए काम करने वालीं महिलाओं की नौकरियां छिन गई हैं या फिर उन्हें घर में रहने के लिए एक मामूली रकम दी जा रही है. बिना किसी पुरुष रिश्तेदार को साथ लिए वो यात्रा भी नहीं कर सकतीं और घर से बाहर हर वक्त उन्हें बुर्का और हिजाब में खुद को कैद रखना है.
किशोरी लड़कियों के ज्यादातर स्कूल एक साल से ज्यादा समय से बंद पड़े हैं. मुजाहिद का कहना है कि बुधवार को जो मौत की सजा दी गई है उसकी कई अदालतों ने पड़ताल की और फिर उसके बाद सुप्रीम लीडर ने इसकी मंजूरी दी.
2021 में तालिबान की वापसी के बाद अखुंदजादा किसी तस्वीर या वीडियो मे नजर नहीं आये हैं. वह देश का शासन कांधार से डिक्री के जरिये चला रहे हैं. कांधार तालिबान की क्रांति का जन्मस्थान है.
एनआर/वीके (एएफपी)