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समाज

वित्त मदद रोकने से अफगानिस्तान में बिगड़ सकते हैं हालात

१० सितम्बर २०२१

यूएन के मुताबिक इस समय अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को जीवित रखना महत्वपूर्ण है, नहीं तो लाखों अफगान गरीबी में धकेले जा सकते हैं. इस बीच, चीन ने अफगान राष्ट्रीय संपत्ति को फ्रीज करने के अमेरिकी फैसले की तीखी आलोचना की है.

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तस्वीर: Hoshang Hashimi / AFP/Getty Images

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत डेबोरा ल्योंस ने गुरुवार को कहा कि तालिबान को पैसे तक पहुंच से रोकने के लिए अफगानिस्तान को वित्त मदद रोकने का फैसला लोगों के लिए अच्छे से ज्यादा नुकसान करेगा.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद को बताया कि हालांकि तालिबान सरकार के बारे में चिंताएं हैं, देश को धन की सख्त जरूरत है और इसके जारी रखने को सुनिश्चित करना है.

ल्योंस ने कहा, "अर्थव्यवस्था को कुछ और महीनों के लिए सांस लेने की अनुमति देने की आवश्यकता है, जो तालिबान को लचीलापन दिखाने और इस बार अलग तरीके से काम करने का एक वास्तविक अवसर दे सकता है." उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों, महिलाओं के अधिकारों और आतंकवाद विरोध के संदर्भ में पैसों की जरूरत है. 

देखें: तालिबान के राज में कैसा है अफगानिस्तान

आपदा से बचने के लिए पैसों की जरूरत

ल्योंस ने 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि धन रोकने से "गंभीर आर्थिक मंदी की एक श्रृंखला शुरू हो जाएगी जो लाखों लोगों के लिए और गरीबी और भुखमरी का कारण बन सकती है." उन्होंने कहा यह अफगानिस्तान से शरणार्थियों की एक और बड़ी आमद का कारण बन सकता है. और, वास्तव में यह अफगानिस्तान को पीढ़ियों के लिए पीछे धकेल सकता है.

उन्होंने कहा कि "अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त होने से बचाने के लिए" अफगानिस्तान को धन भेजने की तत्काल जरूरत है. गौरतलब है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से लगभग नौ अरब डॉलर फिलहाल वापस लेने का फैसला किया है.

अधिकांश पैसा न्यू यॉर्क के फेडरल बैंकों में जमा किया गया है. बाइडेन प्रशासन का कहना है कि वह देखना चाहता है कि तालिबान क्या करता है और उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा. तालिबान का अधिकांश पैसा उनके अपने राष्ट्रीय बैंक के बजाय बाहर है और तालिबान की अभी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तक पहुंच नहीं है.

अफगानिस्तान अब तक विदेशी सहायता पर बहुत अधिक निर्भर रहा है और अधिकांश देशों ने इसे रोक दिया है. ल्योंस के मुताबिक मौजूदा स्थिति यह है कि अधिकारी सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.

चीन ने की अमेरिका की आलोचना

इस बीच चीन ने तालिबान के साथ तेजी से राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं और गुरुवार को अफगानिस्तान को 3.1 करोड़ डॉलर आर्थिक सहायता की घोषणा की. चीन का कहना है कि अमेरिका अफगान केंद्रीय बैंक की संपत्ति को सौदेबाजी की चिप के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जो अंततः अफगान लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप राजदूत जिंग शुआंग ने कहा, "ये संपत्ति अफगानिस्तान की है और इसका इस्तेमाल अफगानिस्तान के लिए किया जाना चाहिए, न कि धमकी देने के लिए."

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)

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