क्या होगा उन अफगान शरणार्थियों का जिन्हें निकाल रहा है पाकिस्तान
वो तालिबान से बचने के लिए अफगानिस्तान से भाग निकले थे और पाकिस्तान में शरण ली थी. अब इन दो लाख से भी ज्यादा अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान से निकाला जा रहा है. देखिए किस हाल में हैं ये लोग.
जाने को मजबूर
हजारों लोग उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में तोरखम सीमा पर पहुंचे हैं. पाकिस्तान ने घोषणा की है कि बिना कागजों के देश में रह रहे अफगान लोगों को देश से निकालने के लिए कैम्पों में ले जाया जाना शुरू हो चुका है. पाकिस्तान में करीब 40 लाख अफगान रहते हैं. पाकिस्तानी सरकार मानती है कि उनमें से करीब 17 लाख अवैध रूप से रह रहे हैं.
दशकों से बसे हैं पाकिस्तान में
2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद करीब छह लाख अफगान भाग कर पड़ोसी देश पाकिस्तान चले गए थे. लेकिन उससे भी पहले 1970 और 1980 के दशकों के संकटों की वजह से कई अफगान पाकिस्तान में बस गए थे. कई दूसरी और तीसरी पीढ़ी के अफगान लोग कभी अफगानिस्तान नहीं गए हैं.
अपना सब कुछ साथ लिए
अफगानिस्तान का नांगरहार प्रांत पाकिस्तान की सीमा के ठीक दूसरी तरफ है. पूरी तरह से लदे हुए ट्रक अफगान परिवारों को सीमा के पार ले जा रहे हैं.
वापसी को लेकर डर
तालिबान सरकार ने इन लोगों के लिए तोरखम के पास दो तंबू वाले कैंप लगाए हैं. पाकिस्तान की सरकार ने घोषणा कर दी थी कि अवैध आप्रवासियों को एक नवंबर तक देश छोड़ देना पड़ेगा. लेकिन कई अफगान लोगों को उस देश में वापस लौटने से डर लग रहा है जहां से वो भाग गए थे.
तालिबान के नियंत्रण में
तालिबान के लड़ाके पाकिस्तान से आने वालों के लिए बनाए गए एक पंजीकरण स्थान पर पहरा दे रहे हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने बताया है कि करीब 200 अफगान मीडियाकर्मी भी पाकिस्तान से निकाल दिए जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं. तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद कई अफगान रिपोर्टर दमन के डर से भाग कर पाकिस्तान और दूसरे देश चले गए थे.
गंभीर हालात
कई अंतरराष्ट्रीय राहत संगठनों ने चिंता जताई है कि पाकिस्तान से निकाले गए कई अफगान संकटपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं. सीमा पार अफगानिस्तान में आवास, भोजन, पीने का पानी, गर्मी और सफाई सुविधाओं की कमी है. कई लोग खुले में सो रहे हैं.
सर्दियों में बेघर
रात में यहां तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे गिर जाता है. पाकिस्तान के फैसले की कड़ी आलोचना हुई है. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था ने चेतावनी दी है कि सर्दियां करीब हैं और ऐसे में एक मानवीय तबाही सिर पर है. कई परिवारों के पास तो अफगानिस्तान में लौट कर रहने के लिए कोई जगह भी नहीं है.
तालिबान का खतरा
शरणार्थी सुरक्षा संगठन प्रोएसील ने जर्मन सरकार से मांग की है कि वो उन अफगान लोगों को जल्द अपने पास ले ले जो विशेष रूप से खतरे में हैं. अफगानिस्तान के लिए प्रोएसील की प्रवक्ता अलेमा अलेमा ने कहा, "कई लोगों को जर्मनी और दूसरे देशों में जाने के लिए आप्रवासन कार्रवाई को पूरा करने के लिए पाकिस्तान जाना पड़ा था. केंद्रीय विदेश मंत्रालय को उन्हें जल्दी से निकालने के लिए कदम उठाने चाहिए." (यूली ह्यूएनकेन)