सोलर कारों की रेस
अफ्रीका की सबसे बड़ी सोलर कार रेस फिर लौट आई है. दक्षिण अफ्रीका में हुई इस रेस में इंजीनियरों के हुनर और क्षमताओं का मुकाबला हुआ.
धूप से चलने वाली कारों की रेस
सैसल सोलर चैंलज में सोलर पावर से चलने वाली कारों की दौड़ होती है. जोहानिसबर्ग से केप टाउन तक की इस रेस में भविष्य की तकनीकों का परीक्षण भी हुआ.
दक्षिण अफ्रीका की खास टीम
मुकाबले में शामिल टीमों में सोलरफ्लेयर टीम थी जो दक्षिण अफ्रीकी प्रांत पुमालांगा के स्कूलों में बच्चों को विज्ञान, तकनीक और गणित के प्रति प्रोत्साहित करने वाले लोगों का समूह है.
गरीब बच्चों ने दिखाया हुनर
सोलरफ्लेयर के मैनेजर क्लेसी बोथा कहते हैं कि हमारे छात्र कार बनाते हैं और उसे एक घंटे तक चलाते हैं. इससे बच्चों, खासकर गरीब तबके के बच्चों को खासा प्रोत्साहन मिला है.
अंतरराष्ट्रीय पहचान
सोलरफ्लेयर ने अपने छात्रों को वैश्विक मंच उपलब्ध कराने का फैसला किया और उन्हें इस रेस में लेकर आए. प्रांत से पहली बार कोई टीम इस रेस में शामिल हुई है.
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा
इस रेस का मकसद नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना है और ड्राइवर समझते हैं कि उनकी रेस इस मकसद में बड़ा योगदान दे रही है.
विजेता नीदरलैंड्स
इस साल भी नीदरलैंड्स की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी की टीम ने रेस जीती. यह चौथी बार है जब ब्रूनेल सोलर टीम विजेता बनी.