ब्राजील ने 2022 में की अमेजन जंगल की अंधाधुंध कटाई
१ जुलाई २०२३ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो की चार साल की सत्ता के दौरान अमेजन के विशाल इलाके खनन, पशुओं के बाड़ों, और सोयाबीन की खेती के लिए काट डाले गए. अकेले 2022 में, जो बोलसोनारो का राष्ट्रपति के रूप में आखिरी साल था, उस दौरान करीब 20 लाख हेक्टेयर (50 लाख एकड़) जंगल खत्म हो गया.
2019 से 2022 के अपने कार्यकाल के दौरान बोलसोनारो के प्रशासन ने वनों की कटाई से जुड़े नियम कायदों और पाबंदियों को कमजोर किया, पर्यावरण से जुड़े अपराधों की निगरानी करने वाली एजेंसियों के बजट कम कर दिए और मूल निवासियों की जमीन पर जंगल को तबाह करने वाले खनन की इजाजत देने वाले कानूनों का रास्ता साफ किया. इसकी कीमत चुकानी पड़ी.
ब्राजील ने भारी मात्रा में पेड़ गंवाए
2015 में ब्राजील लगभग एक चौथाई से ज्यादा उष्णकटिबंधियों प्राथमिक वनों की कटाई का जिम्मेदार था. ये दुनिया के सबसे पुराने वन हैं जो अनछुए रहते आये थे. शोध संगठन वर्ल्ड रिसोर्सेज इन्स्टीट्यूट (डब्लूआरआई) से प्रकाशित नयी ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट के मुताबिक ये आंकड़ा 2022 में बढ़कर 43 फीसदी हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से देश ने आग की घटनाओं से अलग हालात में सबसे ज्यादा मात्रा में पेड़ गंवाए.
अब ब्राजील में नये नेता की हुकूमत है. जनवरी 2023 में जब राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने कार्यभार संभाला तो उन्होंने 2030 तक अमेजन में अवैध कटाई को रोकने का वादा किया था.
ब्राजील के पर्यावरण वैज्ञानिक और इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन में पोस्टडॉक के जरिए इंसान और कुदरत के बीच अंतःक्रियाओं का अध्ययन कर रहे पाउलो मसोका का कहना है कि यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है.
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "लोग जंगलों को साफ कर रहे हैं, सट्टा लगा रहे हैं और उससे पैसा कमाना चाहते हैं और बदकिस्मती से आज भी हमें वन संसाधनों की परवाह नहीं है."
पिछले साल ब्राजील सबसे ज्यादा पेड़ गंवाने वाला देश बन गया था. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो दूसरे और बोलीविया तीसरे नंबर पर थे. दुनिया भर में जंगलों की कटाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
2022 में उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वनों में ट्री कवर लॉस 10 फीसदी बढ़कर 41 लाख हेक्टेयर हो गया था. जीएफडब्लू की रिपोर्ट में इस्तेमाल मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के डाटा के मुताबिक यह प्रति मिनट 11 फुटबॉल मैदानों के बराबर का इलाका है.
जलवायु पर विनाशकारी प्रभाव
जंगल कार्बन सिंक होते हैं जो हर साल जितनी कार्बन डाइऑक्साइड (सीओटू) बाहर निकालते हैं उससे दोगुनी मात्रा में सोख लेते हैं.
तमाम जंगलों पर डब्लूआरआई रिपोर्टें बनाता है लेकिन वो खासतौर पर ट्रॉपिकल वर्षावनों पर फोकस करता है क्योंकि सबसे ज्यादा खतरे में वही हैं. जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए भी वे अनिवार्य हैं क्योंकि वायुमंडल से दूसरे किस्म के जंगलों के मुकाबले वो ज्यादा सीओटू स्टोर करते हैं. नष्ट होने पर वो और ज्यादा सीओटू निकाल देते हैं.
ट्रॉपिकल इलाकों में अकेले 2022 के दौरान जंगलों के नुकसान से 2.7 गीगाटन सीओटू उत्सर्जन हुआ था. रिपोर्ट के लेखकों के मुताबिक यह दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जनों के बराबर था.
जीएफडब्लू निदेशक मिकाइला वाइसे ने एक प्रेस वार्ता में रिपोर्ट के नतीजों की घोषणा में कहा, "सदी की शुरुआत से हमने दुनिया के सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वन ईकोसिस्टमों की तबाही देखी है. जबकि इस रुझान को पलटने के लिए वर्षों से कोशिशें भी होती रही हैं."
वो कहती हैं, "ये डाटा दिखाता है कि हम बड़ी तेजी से, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने वाले, जैवविविधता की हिफाजत करने वाले और लाखों करोड़ों लोगों की सेहत और रोजीरोटी में मददगार अपने सबसे असरदार औजारों में से एक को गंवाते जा रहे हैं."
बोलसोनारो के कार्यकाल की विरासत
ये हालात सबसे ज्यादा कहीं दिखते हैं तो ब्राजील में. देश में प्राइमरी वन का नुकसान 2021 से 2022 के बीच 15 फीसदी बढ़ गया. मतलब देश में जंगल कम सीओटू सोख रहे हैं. जीएफडब्लू की रिपोर्ट के मुताबिक लगातार कटाई आखिरकार एक "'एक टिपिंग प्वांयट' पर ले आएगी जिसके आगे अधिकांश ईकोसिस्टम सवाना में तब्दील हो जाएंगे."
यह एक रुझान है जो विशेषज्ञों के मुताबिक राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के कार्यकाल में पलटा जा सकता है. 2023 के शुरुआती पांच महीनों में, अमेजन में जंगलों की सफाई के अभियान में पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 31 फीसदी की गिरावट आ गई थी. ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष शोध संस्थान, आईएनपीई ने ये आंकड़ा जारी किया था.
ये साफ नहीं है कि वनों की कटाई की दर गिरती चली जाएगी या नहीं. लेकिन ब्राजील की सांता कैटरिना संघीय यूनिवर्सिटी में जीवविज्ञानी कैटरीना याकोवाच का कहना है कि अमेजन में पर्यावरण कानूनों को लागू कराने वाली एजेंसी, आईबीएएमए को मजबूत बनाया जा रहा है.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "हम शुरुआती तीन महीनों में देख ही चुके हैं कि आईबीएएमए की ओर से पर्यावरणीय अपरादों के लिए जारी किए जुर्मानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. यह इस बात का संकेत है कि एजेंसी जमीनी स्तर पर फिर से सक्रिय हो चली है और वन-कटाई से वाकई लड़ रही है. हम ये बदलाव देख रहे हैं और उम्मीद है जल्द ही नतीजे भी मिलेंगे."
अमेजन की बहाली लूला डा सिलवा के लिए कड़ी चुनौती
अमेजन में पेड़ों की कटाई में कमी लाने के मामलों में राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की सफलता का इतिहास रहा है. आईएनपीई के मुताबिक 2003 से 2010 के बीच उनके पहले कार्यकाल में अमेजन वर्षावन में डिफोरेस्टेशन की दर 80 फीसदी गिर गई थी, लेकिन 2012 में फिर से बढ़ गई.
संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार, आदिवासी इलाकों की निशानदेही और जंगलों की निगरानी उन कुछ उपायों में से एक थे जिन पर राष्ट्रपति सिल्वा के पहले कार्यकाल में अमल कर लिया गया था. पर्यावरण वैज्ञानिक मसोका के मुताबिक लूला डा सिलवा की नयी सरकार अपने पुराने अनुभवों का फायदा ले रही है.
वो कहते हैं, "लूला की सरकार ने संरक्षित इलाकों और आदिवासी जमीनों की निशानदेही की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया है. पर्यावरण की सुरक्षा करने, लोगों के अधिकारों को मान्यता देने और इलाके में लोगों की रिहाइश की अहमियत भी इन कार्रवाइयों के जरिए समझी जा रही है."
लेकिन जाहिर है इसमें वक्त लगेगा. जीएफडब्लू रिपोर्ट के लेखक आगाह करते हैं कि 2024 तक तो प्रकट तौर पर कोई प्रगति नहीं दिखेगी. इस तरह ब्राजील के पास सिर्फ छह साल ही बचे हैं. जबकि बोलसोनारो के कार्यकाल के दौरान, उसने ग्लासगो में हुई संयुक्त राष्ट्र जलवायु बैठक में 140 से ज्यादा देशों के साथ, 2030 तक पूरी दुनिया में वनों की कटाई को खत्म करने का संकल्प लिया था.
ब्राजील सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहा है. जीवविज्ञानी याकोवाच कहती हैं कि महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है और ये अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भी निर्भर करता है कि दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण वर्षावन में जीरो डिफोरेस्टेशन के लक्ष्य तक पहुंचने में वो कितनी तत्परता से मदद करता है.
अमेजन के वर्षावन का 60 फीसदी हिस्सा ब्राजील की सीमा में पड़ता है. जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की वो दुनिया की सबसे बड़ी उम्मीद है. उसे बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से संगठित कोशिश और वित्तीय निवेश चाहिए.
याकोवाच कहती हैं, "ब्राजील को जमीन पर और ज्यादा लोगों की जरूरत है. हमें संसाधनों की जरूरत है...उपभोक्ता के रूप में भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को, जंगल काटकर तैयार हुई जमीनों पर बने उत्पाद खरीदने की जरूरत नहीं."