बिना ‘गड़बड़ी’ के क्यों नहीं हो रही हैं प्रतियोगी परीक्षाएं
१३ जून २०२४भारत में नीट परीक्षा का आयोजन पांच मई को कराया गया था. परीक्षा में शामिल होने के लिए 24 लाख से ज्यादा बच्चों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. 23 लाख से ज्यादा बच्चे इसमें शामिल हुए थे. परिणाम 14 जून को घोषित होने थे, लेकिन परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 10 दिन पहले, यानी चार जून को ही नतीजे घोषित कर दिए. इसी दिन लोकसभा चुनाव 2024 के भी परिणाम आए.
परीक्षा परिणाम आने के बाद लोगों के होश तब उड़ गए, जब 67 छात्रों ने एक साथ टॉप किया. हुआ यूं कि इन सारे विद्यार्थियों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए थे. 100 फीसदी अंक पहले भी विद्यार्थियों ने पाए थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में शत-प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र पहली बार थे. यह हैरान करने वाली बात थी.
नतीजों से उठे परीक्षा प्रक्रिया पर कई संदेह
और भी हैरान करने वाली बात यह थी कि ये जो 67 टॉपर्स थे, उनमें से छह अभ्यर्थी ऐसे थे जो एक ही सेंटर के थे और यह सेंटर था हरियाणा के झज्जर जिले में. जानकारों का कहना है कि सिर्फ यही एक तथ्य हैरान नहीं कर रहा है. हैरानी इस बात पर भी है कि 720 अंक की परीक्षा में 718 और 719 अंक कैसे आ गए हैं.
परीक्षा में जितने प्रश्न पूछे जाते हैं, उनके हिसाब से ये संभव ही नहीं है. ऐसा इसलिए कि परीक्षा में निगेटिव मार्किंग होती है. यानी अगर परीक्षा में एक प्रश्न गलत है, तो चार अंक तो मिलेंगे ही नहीं, एक अंक और कट जाएगा. यानी अगर कोई व्यक्ति सिर्फ एक सवाल गलत करे, तो भी उसके 715 अंक आएंगे.
यही नहीं, नीट 2024 में पेपर लीक के आरोप भी सामने आ रहे हैं. इस मामले में बिहार में एक एफआईआर भी दर्ज की गई है और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बिहार पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का भी गठन किया है. छात्रों का कहना है कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक होने का मामला सामने आया था, लेकिन एनटीए ने कोई कदम नहीं उठाया.
बिहार में परीक्षाओं के पेपर बार-बार लीक क्यों हो जाते हैं
हालांकि, पेपर लीक के आरोपों को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खारिज किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "नीट परीक्षा में किसी प्रकार की धांधली, भ्रष्टाचार या पेपर लीक का कोई भी पुख्ता सबूत अभी तक सामने नहीं आया है. इससे संबंधित सारे तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं और विचाराधीन हैं." उन्होंने यह भी कहा कि नीट परीक्षा मामले में एनटीए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उचित कार्यवाही करने को कटिबद्ध है.
ग्रेस मार्क्स वापस लिए जाएंगे
परीक्षा के दौरान कई सेंटरों पर पेपर बांटने में भी देरी हुई, छात्रों ने हंगामा किया. बाद में ऐसे ही छात्रों को अतिरिक्त अंक, यानी ग्रेस मार्क्स देने की बात कही गई और इसी ग्रेस मार्क्स की वजह से नतीजे प्रभावित हुए हैं. ग्रेस मार्क्स किस नियम से दिए जा रहे हैं, एनटीए के पास इसका कोई जवाब नहीं है.
इस मामले में कुछ अभिभावक इस साल हुई नीट परीक्षा को रद्द करने और इसे दोबारा कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द करने से इंकार कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लापरवाही बरतने पर एनटीए से जवाब मांगा. 13 जून को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि नीट-यूजी 2024 की परीक्षा में शामिल हुए 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देने का फैसला रद्द कर दिया गया है.
इन उम्मीदवारों को 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा. इसका नतीजा 30 जून को आएगा. केंद्र सरकार ने यह भी बताया कि एमबीबीएस और बीडीएस समेत बाकी कोर्स में दाखिले के लिए काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होगी. हालांकि, कोर्ट ने दाखिले की काउंसलिंग प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया है. उधर, दोबारा परीक्षा कराए जाने की मांगको लेकर दिल्ली समेत कई शहरों में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं.
एनटीए पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल
एनटीए को देश की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था माना जा सकता है. राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं कराने के मकसद से केंद्र सरकार ने साल 2017 में इसका गठन किया था. एनटीए ही देश भर की तमाम तरह की परीक्षाओं का आयोजन करती है. चाहे इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों में भर्ती हो, या फिर विश्वविद्यालयों में दाखिले से लेकर फेलोशिप वाली परीक्षाएं, ये सभी अब एनटीए के जरिए ही हो रही हैं. मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए नीट की परीक्षा भी इसी संस्था ने आयोजित की थी.
नीट की तैयारी कराने वाले तमाम संस्थानों के विशेषज्ञों ने भी सोशल मीडिया पर परीक्षा के परिणामों को लेकर सवाल खड़े किए हैं. वहीं अभ्यर्थियों में भी इस बात को लेकर बेहद नाराजगी है. लखनऊ के रहने वाले ऋषि कुमार ने भी इस साल नीट की परीक्षा दी थी. डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहते हैं, "हम लोगों का तो इस परीक्षा से भरोसा ही उठ गया है. मुझे 610 अंक मिले हैं. उम्मीद थी कि इतने स्कोर में मेरी रैंक ऐसी आ जाएगी कि अच्छा कॉलेज मिल जाएगा. लेकिन मेरी रैंक कट-ऑफ से भी नीचे है."
बड़ा सवाल यह है कि क्या देश की इतनी बड़ी संस्था एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा संपन्न कराने में सक्षम नहीं है. देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रतियोगी छात्रों को लंबे वक्त से पढ़ाने वाले पवन कुमार यादव खुद भी मेकेनेकिल इंजीनियर हैं. परीक्षाओं में धांधली न रोक पाने के मुख्य कारण की चर्चा करते हुए वह कहते हैं, "सच पूछिए तो लगता है कि सही-सलामत परीक्षा कराना इनकी मंशा ही नहीं है. जितनी भी परीक्षाएं हो रही हैं, ऐसा लगता है कि उनमें कोई गंभीरता नहीं है. दरअसल, यह सीधे-सीधे प्रतियोगी परीक्षाओं को धीरे-धीरे खत्म करने की साजिश है. कई परीक्षाओं को साथ मिला दे रहे हैं, पाठ्यक्रम कम कर दे रहे हैं. यह सब दिखाता है कि परीक्षा कराने को लेकर गंभीरता नहीं है."
पवन कुमार यादव आगे कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि बेहतर सिस्टम बना नहीं सकते हैं. चाहें तो कितना भी मजबूत बना सकते हैं, लेकिन बनाना ही नहीं चाहते. अब आप नीट के नियम ही देख लीजिए कि पेपर देर से मिला तो ग्रेस नंबर मिल गया. जिसने पेपर पहले दिया है, उसे रैंक में प्रेफरेंस मिल गई. ये क्या हुआ. मजाक नहीं तो क्या है. ये सिस्टम को जानबूझकर ढहा रहे हैं. यही GATE परीक्षा के साथ किया गया. उसकी गंभीरता कम होती गई."
पेपर लीक, परीक्षाओं में धांधली के नेटवर्क पर कार्रवाई जरूरी
जहां तक परीक्षाओं में धांधली रोकने या पेपर आउट होने का सवाल है, तो राज्यों के अलावा केंद्र सरकार ने भी उसके खिलाफ कड़े कानून बनाए हैं. इन कानूनों के बावजूद शायद ही कोई प्रतियोगी परीक्षा हो, जो बिना धांधली के संपन्न हो रही है. पर्चा लीक से लेकर कॉपी जांचने तक में धांधलियों के आरोप सामने आ रहे हैं.
इस साल फरवरी में ही संसद ने 'द पब्लिक एग्जामिनेशंस (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) ऐक्ट, 2024' पारित किया गया है. इसके अनुसार, परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले, ऐसा करने में मदद पहुंचाने वालों के लिए तीन से दस साल जेल तक की सजा का प्रावधान है. दोषी ठहराए जाने पर 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. लेकिन जानकारों का कहना है कि सिर्फ कानून बनाकर परीक्षाओं में गड़बड़ी को नहीं रोका जा सकता. इसके लिए परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी के साथ-साथ गड़बड़ियों में शामिल बड़े नेक्सस को खत्म करने की जरूरत है.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके रिटायर्ड पुलिस अधिकारी डॉक्टर वीएन राय कहते हैं, "कानून तो सजा दिलाने के लिए है, लेकिन जब कानून की जद में ऐसे लोग आएंगे तब न? परीक्षा में धांधली होती है, तो कुछ छोटे-मोटे लोग पकड़ लिए जाते हैं. बाद में सबूतों के अभाव में वे भी छूट जाते हैं. सबको पता है कि इस तरह की धांधलियां ऐसे सामान्य स्तर पर नहीं होतीं. इनके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम करता है और यही नेटवर्क लगभग हर परीक्षा में होने वाली धांधली में काम करता है. सबसे जरूरी है कि इस नेटवर्क पर प्रहार हो. जब तक ऐसा नहीं होगा, धांधली रोक पाना असंभव होगा."
वहीं पवन यादव कहते हैं कि एनटीए परीक्षा कराने के बाद तमाम गाइडलाइंस जारी करता है, जबकि उसे हर तरह की गाइडलाइंस पहले ही जारी कर देनी चाहिए. वह कहते हैं, "ऐसा न हो कि परिस्थिति सामने आने पर गाइडलाइंस का निर्धारण हो. नीट परीक्षा की ही बात करें, तो सारी दिक्कत ग्रेस मार्क्स की वजह से हुई है. अभी भी मेरे हिसाब से टॉपर्स केवल छह-सात ही हैं. ये तो ग्रेस मार्क्स ने करीब 70 छात्रों को 720 अंक तक पहुंचा दिया है. यह तो साफ है कि प्रतियोगी परीक्षाएं जब से एनटीए के हाथ में आई हैं, परीक्षाओं की साख गिरी है और एजेंसी की भी. कभी पर्चा लीक हो रहा है, कभी कुछ हो रहा है."