एमनेस्टी इंटरनेशनल: अफगानिस्तान में शोषण बंद करे तालिबान
८ मार्च २०२३एमनेस्टी इंटरनेशनल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से तालिबान शासकों द्वारा "गंभीर दुर्व्यवहार" जैसे मुद्दों पर कड़ी नजर रखने का आह्वान किया है, जिसमें महिलाओं पर प्रतिबंध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है.
अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से तालिबान द्वारा देश में अधिक उदार स्थिति लाने के वादे के बावजूद, उसके पिछले नियमों की तुलना में इस बार के नियम और भी कठिन हैं. तालिबान ने ऐसे सख्त कानून को लागू किया है जिससे देश की महिलाओं का जीवन मुश्किल हो गया है.
सार्वजनिक जीवन और शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी पर प्रतिबंध लगाकर तालिबान ने अफगान लड़कियों और महिलाओं की स्थिति को खराब कर दिया है. उनका भविष्य भी अंधकारमय दिख रहा है. अफगान तालिबान ने न केवल छठी कक्षा से आगे की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया, बल्कि तालिबान अदालतों के फैसले के तहत, उन्होंने खुले तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कार्रवाई और सामान्य फांसी का प्रदर्शन करके समाज में भय और दहशत फैला दी है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि तालिबान अपने क्रूर दुर्व्यवहार में महिलाओं को बुरी तरह निशाना बना रहा है.
निशाने पर अधिकार कार्यकर्ता
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और शिक्षा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को हाल के महीनों में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है. तालिबान की ओर से इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पूरी तरह से मनमानी है. गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के पास कोई कानूनी सहारा नहीं होता है और न ही उनके परिवारों तक उनकी पहुंच होती है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अफगानिस्तान में जल्द से जल्द एक स्वतंत्र 'जांच तंत्र' स्थापित करने का आह्वान किया है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से मांग की गई है कि वे दंड मुक्ति को समाप्त करें और दुर्व्यवहार के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करें.
अल्पसंख्यकों पर भी टूट रहा कहर
एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, "अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है और तालिबान द्वारा अनगिनत अत्याचार हर दिन जारी हैं." मानवाधिकार समूह ने यह भी कहा कि जो लोग खुले तौर पर या सार्वजनिक रूप से तालिबान के शोषण की आलोचना करते हैं, उन्हें बिना वजह के गिरफ्तार कर लिया जाता है. जबकि महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदी और हजारा जातीय समूह के नरसंहार और अल्पसंख्यकों की सार्वजनिक हत्या बेरोकटोक जारी है.
एमनेस्टी ने कहा है कि हिरासत में लिए गए लोगों में महिला अधिकार कार्यकर्ता नरगिस सादात भी शामिल हैं. साथ ही नागरिक समाज कार्यकर्ता फरदीन फेदाई, लेखक और कार्यकर्ता जकरिया उसुली और अफगान फ्रांसीसी पत्रकार मुर्तजा बेहबूदी, पूर्व अफगान सांसद कैस खान वकीली और पत्रकार मुहम्मद यार मजरूह भी शामिल हैं.
एमनेस्टी की रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए तालिबान के प्रवक्ता उपलब्ध नहीं थे.
एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)