अर्जेंटीना: वस्तुओं की कीमत तय करने से महंगाई कम होगी?
१७ फ़रवरी २०२३अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के आवेनिडा कॉर्डोबा स्थित एक सुपरमार्केट में कई प्रोडक्ट के सामने नीले रंग का टैग लगा हुआ है, जिस पर सफेद अक्षरों में ‘उचित मूल्य' लिखा है. इसके जरिए दुकानदार यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आउटलेट देश में वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार के हालिया आदेश का पालन कर रहा है.
राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांदेज के नेतृत्व वाली अर्जेंटीना की वामपंथी सरकार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. इसके तहत सरकार ने यह आदेश दिया है कि रोजमर्राके इस्तेमाल वाली चुनिंदा वस्तुओं की कीमतों में 1 फरवरी से 30 जून के बीच हर महीने ज्यादा से ज्यादा 3.2 फीसदी ही बढ़ोतरी की जा सकती है.
अर्जेंटीना में महंगाई काफी तेजी से बढ़ रही है. दिसंबर 2022 में मुद्रास्फीति की दर दिसंबर 2021 के मुकाबले 94.8 फीसदी बढ़ गई थी. जितनी तेजी से लोगों का वेतन नहीं बढ़ रहा है उससे काफी ज्यादा तेजी से महंगाई बढ़ रही है. इससे आम जनता का जीना मुहाल हो गया है.
समाजवादी मूल्य नियंत्रण बनाम मुक्त-बाजार व्यापार
कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार कैब, टेलीविजन और रेडियो पर विज्ञापन कैंपेन चलाकर अपनी नीति को ‘आर्थिक संकट के समाधान' के तौर पर प्रचारित कर रही है. वामपंथी पेरोनिस्ट गुट के स्वयंसेवक स्थानीय सुपरमार्केट पर नजर रख रहे हैं, ताकि यह पक्का किया जा सके कि सरकार के आदेशों का सही तरीके से पालन किया जा रहा है.
महंगाईरोकने के लिए सरकार पर बढ़ते दबाव और जनता के बीच अपनी कम होती लोकप्रियता को फिर से हासिल करने के लिए फर्नांदेज ने पिछले साल इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस मौके पर उन्होंने कहा था, "यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य महंगाई कम करना और जनता की खरीदारी की क्षमता बढ़ाने के लिए कीमतें स्थिर करना है."
ब्यूनस आयर्स में मौजूद जर्मन संस्था फ्रेडरिक नौमैन फाउंडेशन के लिए काम करने वाले लार्स-आन्द्रे रिक्टर इस प्रयोग पर नजर बनाए हुए हैं. वह कहते हैं, "मूल्य को नियंत्रित करने से समस्याएं पैदा होंगी, क्योंकि इससे बाजार प्रभावित होते हैं.”
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "अर्जेंटीना की सरकार महंगाई से निपटना चाहती है, लेकिन मौजूदा प्रयास ऐसा प्रतीत होता है जैसे उफनती नदी को नियंत्रित करने के लिए कुछ कंकड़ डाल दिए जाएं. आधिकारिक तौर पर, बढ़ती महंगाई के लिए उत्पादकों और उनकी कथित सट्टा प्रवृत्तियों को दोषी ठहराया जा रहा है. यह स्पष्ट तौर पर तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने जैसा है.”
रिक्टर बढ़ती महंगाई के लिए सरकार की मुद्रा छपाई योजना को दोषी ठहराते हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक लगभग चौबीसों घंटे पेसो की छपाई कर रहा है. साथ ही, वह कहते हैं कि ‘उचित मूल्य' सुनिश्चित करने के लिए सरकार जो कैंपेन चला रही है वह भी भ्रामक है और ‘गलत आर्थिक नीति को नैतिक तौर पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है'.
असफल साबित होगा यह कदम?
ब्यूनस आयर्स के गरीबइलाकों में रहने वाले लोगों के पास बुनियादी संसाधनों की भी कमी है, जैसे कि उन्हें पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिलता. ऐसे में अर्जेंटीना में लगातार बढ़ती महंगाई इन गरीबों पर कहर बरपा रही है.
‘पैको' ओलिवेरा एक कैथोलिक पादरी हैं. वे गरीब लोगों की मदद करते हैं. उनका मानना है कि सरकार द्वारा वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने से ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है.
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "उचित मूल्य, कंपनियों के साथ किया गया एक समझौता है. इसके तहत कंपनियां वस्तुओं की कीमतों को समझौते में तय की गई दर से ज्यादा नहीं बढ़ाएंगी. हालांकि, सिर्फ इस कदम से राहत नहीं मिलने वाली है. लोगों का वेतन महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए.”
लिबर्टाड वाई प्रोग्रेसो (फ्रीडम एंड प्रोग्रेस) एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक नीति अनुसंधान केंद्र है. इससे जुड़े ऑगस्टीन एचेबर्न भी सरकार के इस कदम की आलोचना करते हैं. उनका कहना है कि कीमतें तय करने से फायदा नहीं होगा.