यूक्रेन हथियार आयात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश
१३ मार्च २०२३बीते एक साल में यूरोप पहुंचने वाले हथियारों की तादाद में 93 फीसदी का इजाफा हुआ. ना सिर्फ यूक्रेन, बल्कि पोलैंड और नॉर्वे जैसे देशों के सैन्य खर्च में बढ़ोतरी की वजह से भी ज्यादा हथियार यूरोप आ रहे हैं. ये सारी बातें स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की सोमवार को जारी सालाना रिपोर्ट में सामने आई है.
SIPRI के सीनियर रिसर्चर पीटर वेजमान ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हमले ने यूरोप में हथियारों की मांग में तेजी ला दी और इसके दूसरे नतीजे भी हुए हैं. ज्यादा आसार यही हैं कि यूरोपीय देश हथियारों का और ज्यादा आयात करेंगे."
अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में कहां है भारत
SIPRI के आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन को छोड़ दें, तो यूरोपीय देशों में हथियारों का आयात 2022 में ही करीब 35 फीसदी बढ़ चुका है. इसके पिछले साल तक यूक्रेन हथियारों का आयात करने वाले देशों की सूची में बहुत नीचे था, लेकिन अब वह शीर्ष पर मौजूद देशों में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है. यूक्रेन से आगे अब सिर्फ कतर और भारत हैं.
सिपरी के आंकड़ों के मुताबिक पूरे यूरोप में भेजे गये हथियारों का एक-तिहाई सिर्फ यूक्रेन में आया, जबकि दुनिया के पैमाने पर यह आंकड़ा आठ फीसदी का है.
हथियारों का आयात 60 गुना बढ़ा
यूक्रेन में हथियारों का आयात पिछले साल 60 गुना बढ़ गया. इसमें दान में मिले हथियार भी शामिल हैं. इनमें बड़ा हिस्सा उन हथियारों का है, जो भंडार से निकालकर यूक्रेन पहुंचाये गये. इन हथियारों में अमेरिका से आये 230 टैंक, 280 पोलिश बख्तरबंद गाड़ियां और 7,000 से ज्यादा ब्रिटिश एंटी टैंक मिसाइल के साथ ही नये बनाये गये एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम जैसे हथियार भी हैं.
दुनियाभर में हथियारों के कारोबार की रैंकिंग तैयार करने के लिए इंस्टीट्यूट डॉलर या यूरो के बजाय अपनी ईकाई इस्तेमाल करता है. इनकी डॉलर में कीमत तय करना मुश्किल है, क्योंकि बहुत से सौदे स्पष्ट नहीं होते. आमतौर पर सालभर में 100 अरब डॉलर से ज्यादा के हथियारों का कारोबार होता है. सिपरी का कहना है कि पिछले साल सैन्य खर्च बढ़कर पहली बार 2,000 अरब डॉलर के पार चला गया. 2022 में हुए सैन्य खर्च का आंकड़ा SIPRI अप्रैल में जारी करेगी.
यूक्रेन में हथियारों का आयात बढ़ने के साथ हथियारों का पहले से तेज कारोबार और तेज हो गया है. 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से छीन लिया था, उसके बाद से ही यूरोपीय देशों के साथ तनाव बढ़ गया. वेजेमान का कहना है कि यूरोपीय देशों ने "पनडुब्बियों से लेकर लड़ाकू विमान, ड्रोन, एंटी टैंक मिसाइलों और राइफल से लेकर रडारों तक के ऑर्डर पहले ही दे दिये थे या इसकी योजना बना रहे थे."
2018 से 2022 के बीच पांच साल में यूरोपीय आयात इससे पहले के पांच साल की तुलना में 47 फीसदी बढ़ा. यूरोप को छोड़कर दुनिया के बाकी हिस्सों में पिछले पांच साल के दौरान हथियारों का आयात कम हुआ है. सबसे ज्यादा 40 फीसदी की कमी अफ्रीका में आई. उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में यह कमी 20 फीसदी, जबकि एशिया में 7 और मध्यपूर्व में 9 फीसदी की कमी थी.
मध्यपूर्व सबसे ऊपर
एक और बदलाव यह आया है कि पिछले एक साल में मध्यपूर्व हथियार निर्यातकों की सबसे बड़ी मंजिल बन गया है. पूरी दुनिया में निर्यात हुए हथियारों का 32 फीसदी मध्यपूर्व के देशों को गया है. इस उछाल के बाद अब तक सबसे ऊपर रहा एशिया ओशेनिया का क्षेत्र दूसरे नंबर पर है, जहां 30 फीसदी हथियार गये, जबकि 27 फीसदी के साथ यूरोप तीसरे नंबर पर है.
चीन सेना पर भारी खर्च कर रहा है, लेकिन वह अपने लिये हथियार खुद बना रहा है. इससे पहले चीन हथियारों के आयात के लिए रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर था. यही वजह है कि एशिया में हथियारों का आयात कम हुआ है. सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाले देशों में कतर ने कुल निर्यात का सबसे ज्यादा 10 फीसदी हथियार आयात किया है. भारत 9 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है, जबकि 8 फीसदी के साथ यूक्रेन तीसरे नंबर पर. इसके बाद सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान की बारी आती है.
हथियार निर्यातकों की बात करें, तो इस लिस्ट में अमेरिका 40 फीसदी के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद रूस 16 फीसदी, फ्रांस 11 फीसदी, चीन 5 फीसदी और जर्मनी ने 4 फीसदी हथियारों का निर्यात किया है. अमेरिका का हथियार निर्यात अब भी बढ़ रहा है, जबकि रूस का नीचे जा रहा है.
एनआर/वीएस (एएफपी, एपी)