जर्मनी में चर्च टैक्स नहीं देना चाहते लोग
१७ जुलाई २०२३जर्मनी में सरकार से मान्यता प्राप्त धार्मिक संस्था यह टैक्स लेती है जिसकी राशि, स्थान और तनख्वाह के हिसाब से अलग हो सकती है. हालांकि यह टैक्स नहीं देने और छूट का प्रावधान भी है. जो लोग यह टैक्स नहीं देना चाहते उन्हें या तो खुद को नास्तिक या फिर चर्च छोड़ने की घोषणा करनी पड़ती है. दूसरे धर्म के लोगों को यह टैक्स नहीं देना होता है. जर्मन बिशप कांफ्रेंस के मुताबिक कैथोलिक चर्च ने पिछले साल तकरीबन 6.8 अरब यूरो का टैक्स वसूला. 2022 में ही 5 लाख से ज्यादा लोगों ने चर्च की सदस्यता छोड़ी जबकि 380,000 ने प्रोटेस्टेंट चर्च को त्याग दिया.
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सर्वे की मुख्य बातें
करीब 74 फीसदी लोगों ने कहा कि आज की दुनिया में चर्च टैक्स प्रासंगिक नहीं है. महज 13 फीसदी लोग ही इसके हक में हैं. जर्मनी की सबसे बड़ी मल्टीमीडिया समाचार एजेंसी डीपीए के लिए एक गैर-सरकारी संस्था यूगव ने यह सर्वेक्षण किया है. जर्मनी के दो प्रमुख ईसाई चर्चों ने 2019 में एक पूर्वानुमान प्रकाशित किया जिसके मुताबिक साल 2060 तक चर्च को मिलने वाला टैक्स सालाना 13 अरब यूरो से ऊपर रहने की संभावना है क्योंकि टैक्स देने वालों की तनख्वाह बढ़ रही है हालांकि खर्च भी बहुत तेजी के साथ बढ़ा है जो अगले चालीस सालों में 25 अरब यूरो से ज्यादा होगा. इसका मतलब है कि 2017 के मुकाबले लोगों की पैसे खर्च करने की क्षमता 51 फीसदी कम होगी. यही वजह है कि चर्च भी अपने खर्च में कटौती के लिए कदम उठा रहे हैं.
चर्च छोड़ने की वजह बना टैक्स
यूगव के इस सर्वे में अपने आप को ईसाई बताने वाले लोगों में से 43 प्रतिशत का कहना है कि चर्च की सदस्यता छोड़ने की वजहों में यह टैक्स भी एक वजह हो सकता है. हालांकि सबसे ज्यादा यानी 49 फीसदी लोगों ने माना कि चर्च त्यागने का बड़ा कारण यौन उत्पीड़न की मामले रहे. इसके अलावा 25 फीसदी लोगों ने अपनी घटती आस्था को वजह बताया जबकि 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि चर्च में सुधारों की धीमी गति इसका कारण है.
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दिलचस्प बात यह है कि 18 फीसदी लोग चर्च छोड़ने का कोई ठोस कारण नहीं बता सके. इस सर्वे में 18 साल से ऊपर के 2,006 लोगों से बातचीत के बाद नतीजे निकाले गए हैं जो जर्मनी में चर्च और आस्था को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया की एक झलक पेश करते हैं.
एसबी/एनआर (डीपीए)