निर्दलीय महिलाओं ने बदल दी ऑस्ट्रेलियाई राजनीति
२३ मई २०२२ऑस्ट्रेलिया की कुछ पेशेवर महिलाओं ने जलवायु परिवर्तन के लिए चिंतित देश के मतदाताओं के साथ मिलकर राजनीति में एक बड़े बदलाव की आहट दी है. देश में हाल ही में हुए आम चुनावों में कई महिलाओं ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और बड़े नेताओं को हराया.
ऑस्ट्रेलिया में पिछले तीन बार से लगातार विपक्ष में बैठ रही लेबर पार्टी ने चुनाव जीता है लेकिन उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया. 151 सीटों वाले निचले सदन में लेबर पार्टी को 72 सीटें मिली हैं, जबकि लिबरल-नेशनल गठबंधन विपक्ष में होगा, जिसे 52 सीटें मिली हैं. इसकी बड़ी वजह रही निर्दलीय उम्मीदवार, जिन्होंने कई अहम सीटों पर दोनों मुख्य पार्टियों लेबर और लिबरल के नेताओं को हराया. अन्यों को 15 सीटें मिली हैं जिनमें 3 ग्रीन्स सांसद हैं और बारीक निर्दलीय हैं. यह निर्दलीयों की अब तक की सबसे बड़ी जीत है.
महिलाओं को श्रेय
इस जीत का श्रेय उन निर्दलीय महिलाओं को दिया जा रहा है जिन्होंने मुख्यतया जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चुनाव लड़ा. यह चुनाव बहुत योजनाबद्ध तरीके से लड़ा गया जिसमें अलग-अलग सीटों पर समुदायों के समूह बनाकर प्रचार किया गया. इस प्रचार अभियान की कमान अक्सर महिलाओं के हाथों में ही थी.
सिडनी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर साइमन जैकमैन कहते हैं, "ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में इस तरह के अभियान कम ही नजर आते हैं. ऐसे अभियान जो चिंगारी की तरह शुरू हों और आग की तरह फैल जाएंगे.”
महिलाओं की इस कामयाबी के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और उनकी सरकारके प्रति जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर निष्क्रिय रहने को लेकर महिलाओं का विशेष गुस्सा भी एक वजह माना जा रहा है. कैनबरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर क्रिस वॉलेस कहती हैं कि महिलाओं में "ऑस्ट्रेलिया की राजनीति में जवाबदेही को लौटा लाने की जबर्दस्त इच्छा” देखी गई.
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वॉलेस कहती हैं, "सरकार से नाराज महिलाओं में से ऐसी बहुत सी थीं जो जलवायु परिवर्तन पर नीतिगत कार्रवाई चाहती हैं. इसने महिलाओं को ऐसी संख्या में एकजुट किया जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. अभिजात्य वर्ग की धनी महिलाओं से लेकर मध्यमवर्गीय पेशेवर्ग महिलाओं तक सभी ने गठबंधन की कई सुरक्षित मानी जाने वालीं सीटों पर धावा बोला और उन्हें कब्जा लिया.”
सिडनी की एक सीट को निर्दलीय सोफी स्कैंप्स ने जीता है. यह सीट पिछले 70 साल से लिबरल पार्टी के कब्जे में थी. पेशे से डॉक्टर स्कैंप्स ने स्थानीय स्काई न्यूज से कहा, "मैं ऐसे कितने ही लोगों से मिली जो कह रहे थे कि उन्होंने पूरी उम्र लिबरल पार्टी को वोट दिया है लेकिन अब वे हमारा प्रतिनिधित्व नहीं करते.”
केंद्र में वित्त मंत्री रहे और लिबरल पार्टी के बड़े नेता जॉश फ्राइडेनबर्ग को भी एक निर्दलीय महिला उम्मीदवार से मात खानी पड़ी. मोनीक रायन बाल रोग विशेषज्ञ हैं. रविवार को अपने विजयी भाषण में रायन ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले भुगतान में अंतर और लैंगिक हिंसा उनके सबसे बड़े मुद्दे रहे.
ऑस्ट्रेलिया आगे बढ़ा है
प्रोफेसर जैकमैन कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा था जिसने आमतौर पर लोगों को छुआ. क्लाइमेट-200 नामक एक संस्था के साथ पोलिंग डेटा पर काम करने वाले प्रोफेसर जैकमैन ने मतदान के रोज बड़ी संख्या में मतदाताओं से बात की. वह बताते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त मतदाता कई अन्य मुद्दों पर भी सरकार से नाराज थे जिनमें निष्ठा, संसद में यौन हमलों के आरोपों पर प्रतिक्रिया और लैंगिक भेदभाव के मामले शामिल थे.
जैकमैन कहते हैं, "महिलाओं विशेष तौर पर उत्साहित थीं, जबकि उनके पुरुष जीवनसाथी भी यह मान रहे थे कि लिबरल पार्टी अब गुजरी बात हो चुकी है. ऑस्ट्रेलिया आगे बढ़ चुका है. हम जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आगे बढ़ चुके हैं. हम लैंगिक समानता के मुद्दे पर आगे बढ़ चुके हैं.”
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लिबरल-नेशनल गठबंधन सरकार में वित्त मंत्री रहे साइमन बर्मिंगम ने माना कि मॉरिसन सरकार को 2030 के उत्सर्जन लक्ष्यों को ज्यादा गंभीरता से अपनाने चाहिए थे, और चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि लिबरल पार्टी को और ज्यादा समावेशी होने की जरूरत है. एबीसी टीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, "खासतौर पर ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं को शामिल करने की जरूरत है, जो आज कहीं ज्यादा शिक्षित हैं. यह एक ऐसा समूह है जिसे हम समुचित संख्या में प्रतिनिधित्व देने में नाकाम रहे.”
नया जनादेश
सिडनी की वेंटवर्थ सीट पर एक उद्योगपति ऐलेग्रा स्पेंडर ने भारतीय मूल के लिबरल उम्मीदवार डेव शर्मा को हराया. जैकमैन कहते हैं कि स्पेंडर को तो लिबरल पार्टी की शान होना चाहिए था, क्योंकि वह और उनके पिता एक दशक तक पार्टी के सांसद रहे और उनके दादा देश के विदेश मंत्री रहे थे.
प्रोफेसर जैकमैन ने कहा, "हुआ यह कि वेंटवर्थ एक मिसाल बन गई है कि कैसे पढ़े-लिखे मध्यमार्गी लिबरल वोटर जो जलवायु विज्ञान की समझ रखते हैं और स्वच्छ तकनीक में निवेश करना चाहते हैं, पार्टी को छोड़ रहे हैं.”
जलवायु परिवर्तन ऑस्ट्रेलियाई वोटरों के लिए कैसे अहम मुद्दा रहा, इसका संकेत ब्रिसबेन शहर की दो सीटों पर ग्रीन्स पार्टी को पहली बार मिली जीत से भी मिलता है. चुनाव से ठीक पहले ब्रिसबेन में बाढ़ ने तबाही मचाई थी, जिसके लिए जलवायु परिवर्तन को ही जिम्मेदार माना गया था. ग्रीन्स पार्टी के नेता ऐडम बेंट कहते हैं, "लिबरल और लेबर दोनों पार्टियों ने अपने मतदाताओं को खोया है और रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने ग्रीन्स पार्टी के लिए मतदान किया है. यह चुनावी नतीजा जलवायु परिवर्तन और समानता पर कार्रवाई करने का जनादेश है.”
वीके/एए (रॉयटर्स)