रीफ बचाने की एक अरब डॉलर की ऑस्ट्रेलियाई योजना पर सवाल
३१ जनवरी २०२२ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने पिछले हफ्ते एक अरब डॉलर की योजना का ऐलान किया है. नौ साल लंबी इस योजना का मकसद नष्ट हो जाने का खतरा झेल रहे दुनिया के सबसे बड़े कोरल रीफ, ग्रेट बैरियर रीफ की सुरक्षा है.
रीफ की सुरक्षा के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है, जिसका ऐलान प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने क्वीन्सलैंड के केयर्न्स शहर में किया था. इस योजना में ऐसी तकनीक और जल प्रबंधन व्यवस्था के विकास पर ध्यान दिया जाएगा, जो रीफ की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं.
कई संस्थाओं ने किया स्वागत
नई योजना में ज्यादातर निवेश जल प्रदूषण को कम करने और जल प्रबंधन बेहतर बनाने में किया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया और विश्व स्तर पर पर्यावरण व रीफ संरक्षण के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने संघीय सरकार की इस योजना का स्वागत किया है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ने कहा है कि यह एक सकारात्मक समाचार है.
डबल्यूडबल्यूएफ-ऑस्ट्रेलिया के महासागर प्रमुख रिचर्ड लेक ने कहा, "यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के लिए एक अच्छी खबर है और इस बात का प्रतीक है कि रीफ के लिए धन की उपलब्धता लगभग मौजूदा स्तर पर बनी रहेगी. रीफ की सुरक्षा के लिए जल प्रदूषण को कम करने में सरकार अपने लक्ष्य से चूक गई है. इसलिए यह जरूरी है कि यह निवेश इस तरह से लागू हो कि पानी की गुणवत्ता को सुधारे. साथ ही जल प्रदूषण के खिलाफ ज्यादा सख्त कानून और उनके पालन में सख्ती की भी जरूरत है.”
ऑस्ट्रेलियन मरीन कंजर्वेशन सोसाइटी (AMCS) ने भी मॉरिसन सरकार की घोषणा का स्वागत किया है. संस्था के जल गुणवत्ता विशेषज्ञ जेमी वेबस्टर कहते हैं, "रीफ के भविष्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक से निपटने के लिए यह निवेश स्वागतयोग्य है. जल प्रदूषण से निपटने के लिए निवेश बढ़ाना रीफ को मौसम परिवर्तन से लड़ने में सक्षम बनाने के लिए आवशयक है.”
वेबस्टर हालांकि अभी योजना की बारीकियों के सामने आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि इसे और अच्छी तरह समझ सकें लेकिन वह मंशा की तारीफ करने से नहीं हिचकते. वह कहते हैं, "जिस तरह के संकट से रीफ इस वक्त जूझ रही है, और जल प्रदूषण को कम करने में जिस तरह की धीमी प्रगति हुई है, यह जरूरी हो गया है कि अगले तीन साल में जल प्रबंधन में निवेश को तेजी से इस्तेमाल किया जाए. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि क्वीन्सलैंड राज्य और ऑस्ट्रेलिया की सरकारें उस चार अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई हैं, जो जल गुणवत्ता हासिल करने के लिए 2025 तक उपलब्ध करवाने का वादा किया गया था.”
तीखी आलोचना
तारीफों और स्वागत के बावजूद कई विशेषज्ञ इस योजना को नाकाफी मानते हैं और सरकार के ऐलान से खुश नहीं हैं. क्वीन्सलैंड स्थित जेम्स कुक यूनिवर्सिटी में मरीन बायोलॉजी पढ़ाने वालीं एसोसिएट प्रोफेसर जोडी रमर कहती हैं कि इस ऐलान ने उन्हें उत्साहित नहीं किया है.
स्थानीय सार्वजनिक चैनल एबीसी को दिए एक इंटरव्यू में रमर कहती हैं कि मौसम परिवर्तन का जिक्र किए बिना यह घोषणा कोई खास नहीं लगती. रमर ने बताया, "हमें अपने संसाधन और धन 2035 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने की ओर व हमारे उत्सर्जन को इस दशक में 75 प्रतिशत तक कम करने की ओर खर्च करना चाहिए.”
डॉ. रमर उन बहुत सारे विशेषज्ञों में शामिल हैं जिनका मानना है कि ऑस्ट्रेलिया ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने की दिशा में समुचित कोशिशें नहीं कर रहा है. वह कहती हैं, "हमने अब तक जो देखा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग में 1-1.2 डिग्री का बढ़ना पांच साल में 30 लाख ग्रीष्म-लहरें लेकर आया और दुनियाभर के रीफ में 98 प्रतिशत ब्लीचिंग हुई. यहां ऑस्ट्रेलिया बाकी दुनिया से अलग नहीं है. यह पूरी दुनिया की समस्या है.”
ऑस्ट्रेलिया के विपक्षी दलों ने भी सरकार की योजना की आलोचना की है. विपक्षी लेबर पार्टी की पर्यावरण मामलों की प्रवक्ता टेरी बटलर ने इस योजना के ऐलान के समय पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, "सरकार ने यह धन दस साल के लिए उपबल्ध करवाया है. हम नहीं जानते हैं कि इसमें से कितना धन अब खर्च होगा और कितना आने वाले सात, आठ या नौ साल में खर्च किया जाएगा.”
ऑस्ट्रेलिया की प्रतिबद्धताओं पर सवाल
पर्यावरण परिवर्तन को लेकर ऑस्ट्रेलिया सरकार के रुख की लगातार आलोचना होती रही है. स्थानीय राजनेता और कार्यकर्ता ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद भी कहते रहे हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में ऑस्ट्रेलिया को जितना योगदान करना चाहिए, उतना वह नहीं कर रहा है.
देश के मौसम विभाग के अनुसार 1910 में आंकड़े जमा किए जाने के वक्त से अब तक ऑस्ट्रेलिया के तापमान में 1.44 (+- 0.24 ) डिग्री की वृद्धि हो चुकी है और देश में अत्याधिक गर्मी पड़ने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं. विभाग कहता है कि 1970 से अब तक देश के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में अप्रैल से अक्टूबर के बीच होने वाली बारिश में 16 प्रतिशत की कमी हो चुकी है जबकि मई-जुलाई की बारिश 20 प्रतिशत तक घट चुकी है.
1950 से अब तक ऑस्ट्रेलिया में आग लगने की घटनाएं, अत्याधिक गर्मी पड़ने की घटनाएं और आग लगने के खतरे वाले मौसम की समयावधि में भी वृद्धि दर्ज की गई है. 1982 से अब तक चक्रवातीय तूफानों की संख्या घटी है लेकिन 1910 से अब तक के आंकड़े दिखाते हैं कि देश के आसपास के महासागरों का तापमान 1 डिग्री तक बढ़ चुका है और उनका अम्लीयकण भी बढ़ा है, जिससे समुद्री हीटवेव में वृद्धि हुई है.