शहर में घुस आए हैं बबून
दक्षिण अफ्रीका के चकमा बबून अब अक्सर केप टाउन के इलाकों में कचरे के डिब्बों और बगीचों में इस तरह दिखते हैं जैसे वे आम आवारा जानवर हों. शहर के लोग इन जंगली जानवरों के साथ रहना सीख रहे हैं.
प्राकृतिक भोजन स्थल
बबून का प्राकृतिक भोजन स्थल समतल जमीन पर होता है, जहां केप टाउन के उपनगरीय इलाके बस गए हैं. इसलिए भोजन की तलाश में ये बबून अब शहरों की ओर आ जाते हैं.
शहर की ओर खिंचाव
शोधकर्ताओं के मुताबिक शहरी इलाकों में कचरे के डिब्बों में बहुत सारा भोजन, हरे-भरे बगीचे, और खेलने के स्थान हैं जो इन जानवरों को आकर्षित करते हैं.
इंसानों से टकराव
बबून अक्सर निवासियों और उनके पालतू जानवरों से टकराते हैं, स्थानीय फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, और गाड़ियों, बिजली की तारों और छर्रों वाली बंदूकों का सामना करते हैं.
बबूनों के स्वास्थ्य पर असर
शहर में रहने से बबूनों की सेहत पर भी असर पड़ा है. कचरे में मिलने वाला खाना खाने से उन्हें त्वचा की समस्याएं हो रही हैं और उनके दांत खराब हो गए हैं.
संघर्ष कम करने के प्रयास
2013 से स्थानीय प्रशासन ने बबून-रोधि कचरे के डिब्बे और बाड़ लगाए हैं ताकि वे शहर में न आ सकें. कुछ मामलों में आक्रामक बबूनों को मार भी दिया गया है.
नई बाड़ लगाने की योजना
केप टाउन प्रशासन ने बबूनों को ग्रामीण इलाकों में रखने के लिए और बाड़ लगाने की योजना बनाई है, खासकर केप प्रायद्वीप और पश्चिमी उपनगरों के किनारों पर.
संरक्षण की चिंता
संरक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि बबूनों को इंसानों से दूर रखना दोनों के लिए बेहतर है, ताकि बबून पहाड़ियों में ही रहें. लेकिन फिलहाल यह एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है. वीके/एए (रॉयटर्स)