रूसी यूरेनियम पहली खेप बांग्लादेश पहुंची
६ अक्टूबर २०२३बांग्लादेश के रूपपुर में रूसी परमाणु एजेंसी 'रोसएटॉम' के प्रमुख अलेक्सी लिखाचेव ने यूरेनियम की खेप, बांग्लादेश के विज्ञान और तकनीक मंत्री याफेश ओस्मान को सौंपी. परमाणु बिजलीघर के लिए यूरेनियम की यह खेप सितंबर आखिर में बांग्लादेश पहुंची. इस दौरान धूमधाम से एक समारोह भी मनाया गया.
इस कार्यक्रम में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक वीडियो लिंक से शरीक हुए. इस दौरान पुतिन ने बांग्लादेश को यूरेनियम सप्लाई का भरोसा दिलाते हुए कहा, "बांग्लादेश लंबे समय से हमारा दोस्त और पार्टनर है".
बांग्लादेश और पाकिस्तान को अंधेरे में डुबो रही है यूरोप की गैस की मांग
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था, इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के एक अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से इस इवेंट में शामिल हुए. बांग्लादेश की न्यूज एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी.
बांग्लादेश का पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट
बांग्लादेश के रूपपुर में 2,400 मेगावॉट क्षमता वाला देश का परमाणु बिजलीघर बनाया जा रहा है. न्यूक्लियर पावर प्लांट रूसी परमाणु एजेंसी रोसएटॉम बना रही है. दो यूनिटों वाले इस बिजलीघर से 1.5 करोड़ घरों को बिजली सप्लाई की जा सकेगी.
गैस से चलने वाले बिजलीघरों पर बहुत ज्यादा निर्भर बांग्लादेश का यह पहला और इकलौता परमाणु बिजलीघर है. इसके निर्माण के लिए 11.38 अरब डॉलर का कर्ज भी मॉस्को ने ही दिया है. कर्ज भुगतान 2027 में शुरू होगा और अगले दो दशकों तक चलेगा.
ओसमान के मुताबिक रूपपुर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट की पहली यूनिट जुलाई 2024 और दूसरी यूनिट जुलाई 2025 में शुरू हो जाएगी. इसी के साथ बांग्लादेश परमाणु ऊर्जा पैदा करने वाले 30 से ज्यादा देशों में शामिल हो जाएगा.
रूसी यूरेनियम की पहली खेप रिएक्टर को एक साल तक चलाने के लिए पर्याप्त बताई जा रही है. उसके बाद फिर से एटमी ईंधन लोड किया जाएगा. बांग्लादेश पहुंचा यूरेनियम रूस के नोवोबिर्स्क केमिकल कंस्ट्रेशन प्लांट में प्रोड्यूस किया गया है. प्लांट, रोसएटॉम की सहायक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है.
रिश्तों पर यूक्रेन युद्ध का असर नहीं
बांग्लादेश और रूस के रिश्ते पारंपरिक रूप से अच्छे रहे हैं. इन रिश्तों पर यूक्रेन युद्ध का असर नहीं पड़ा है. परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में ढाका ने मॉस्को के साथ कई करार किए हैं. हाल के बरसों में दोनों देशों के बीच कारोबार, वित्तीय सेवाओं और अन्य क्षेत्रों में भी समझौते हुए हैं.
बांग्लादेश प्राकृतिक गैस पर अपनी निर्भरता घटाना चाहता है. फिलहाल बांग्लादेश की करीब आधी बिजली गैस पावर प्लांटों से आती है. युद्ध की स्थिति में या गैस महंगी होने पर इन संयंत्रों पर खतरा मंडराने लगता है. 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कारण प्राकृतिक गैस बहुत महंगी हो गई. इसके कारण बांग्लादेश के कई गैस बिजलीघर, कीमतें नीचे आने तक बंद करने पड़े.
बांग्लादेश अब कोयला बिजलीघर स्थापित करने की तैयारियां भी कर रहा है. ढाका सरकार 2041 तक सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और पनबिजली की हिस्सेदारी 40 फीसदी करना चाहती है.
ओएसजे/वीएस (एपी)