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समाज

भाषान चर पर रोहिंग्याओं का दूसरा जत्था भेजेगा बांग्लादेश

२९ दिसम्बर २०२०

मानवाधिकार समूहों के विरोध के बावजूद बांग्लादेश ने करीब 1,000 रोहिंग्या शरणार्थियों के दूसरे समूह का पुनर्वास एक सुदूर द्वीप पर शुरू कर दिया है.

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तस्वीर: Rehman ASAD/AFP/Getty Images

बंगाल की खाड़ी में स्थित भाषान चर नाम के द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों के दूसरे जत्थे को बसाने के लिए सोमवार को करीब एक हजार लोगों को वहां भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई. मंगलवार को सभी लोग सात नावों पर सवार होकर भाषान चर द्वीप के लिए रवाना होंगे.

बांग्लादेश ने सोमवार 28 दिसंबर को रोहिंग्या शरणार्थियों के एक अन्य समूह को बंगाल की खाड़ी में स्थित भाषान चर द्वीप पर ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने सुरक्षा कारणों से शरणार्थियों को वहां भेजने के काम पर रोक लगाने की मांग की है, लेकिन सभी दबावों के बावजूद शरणार्थियों को द्वीप पर भेजने का काम जारी है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों से करीब 1,000 और शरणार्थियों को भाषान चर द्वीप पर स्थानांतरित किया जा रहा है. ये सभी शरणार्थी म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे. 2017 में म्यांमार में एक सैन्य अभियान के दौरान अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों के गांव नष्ट कर दिए गए थे. संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के मुताबिक लाखों लोग वहां से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे.

शरणार्थियों को कॉक्स बाजार से चटगांव के बंदरगाह पर भेजा गया है, जहां से उन्हें जहाज द्वारा मंगलवार को द्वीप पर ले जाया जाएगा. इससे पहले 4 दिसंबर को पहली बार अधिकारियों ने द्वीप पर 1,600 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजा था और उस वक्त भी अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी. भाषान चर द्वीप 20 साल पहले ही समुद्र में बना है और यहां अक्सर बाढ़ आ जाती है. अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि भारी बारिश और चक्रवात के समय में वहां खतरा बढ़ सकता है.

Bangladesch Ukhia | Rohingya-Flüchtlinge
जिन लोगों को द्वीप पर भेजा जा रहा है उनके रिश्तेदार परेशान हैं. तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

क्या शरणार्थी अपनी मर्जी से जा रहे हैं?

बांग्लादेश की नौसेना ने द्वीप पर बाढ़ से बचाव के लिए बांध, मकान, अस्पताल और मस्जिदें बनाई हैं. इस द्वीप पर लगभग एक लाख लोग रह सकते हैं. म्यांमार से भागकर आए दस लाख से ज्यादा रोहिंग्या कॉक्स बाजार में शिविरों में रहते हैं. शिविर शरणार्थियों से इतनी भीड़ के कारण अक्सर यहां सुविधाओं की कमी हो जाती है. हालांकि द्वीप पर एक लाख लोगों के रहने की सुविधा देश में उनकी आबादी के हिसाब से बहुत कम है.

बांग्लादेश की सरकार का दावा है कि सिर्फ उन्हें ही द्वीप पर भेजा जा रहा है जिन्होंने इच्छा जाहिर की है, जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई शरणार्थियों को वहां जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने जोर देकर कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को स्वतंत्र रूप से यह फैसला करने की इजाजत दी जानी चाहिए कि वे वहां जाना चाहते हैं या नहीं. बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "वे अपनी मर्जी से वहां जा रहे हैं."

एए/एके (रॉयटर्स, एएफपी)

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